इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंस बंगलोर में रिसर्च एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रथम इंटरव्यू में ही सेलेक्ट हुई सिवान के जसौली की ईशा
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंस बंगलोर में रिसर्च एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रथम इंटरव्यू में ही सेलेक्ट हुई सिवान के जसौली की ईशा
सीवान। पचरुखी प्रखंड के जुड़ीहाता जसौली की स्व• डाo सूर्यदेव सिंह की पोती एवं रविन्द्र कुमार सिंह की पुत्री ईशा ने मात्र बाईस वर्ष की उम्र में एशिया के टाप टेन इंस्टीट्यूट इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंस बंगलोर से रिसर्च एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रथम इंटरव्यू में ही सेलेक्ट होकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है। इससे ना केवल उसके माता पिता बल्कि जिले का नाम भी रौशन हुआ है।
ईशा के बारे में बताते हुए उसकी शिक्षिका मांं मधुमिता सिन्हा ने बताया कि बेटी ने मात्र बाईस वर्ष की उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर हम सभी को गौरवान्वित किया है। यह बचपन से ही पढ़ने में तेज है। इंटर में सारण जिले की सेकंड टापर रही है। प्रथम प्रयास में ही एनआईटी पटना इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में प्रवेश के बाद 9.5 सीजीपीए के साथ बीटेक की डिग्री प्राप्त की। कैंपस सेलेक्शन एलस्ट्रम एंड कंपाजामिनी में जॉब के लिए चयनित हुई लेकिन पीएचडी के लिए सेलेक्ट होने के कारण जॉब छोड़ दिया।पीएचडी के फर्स्ट सेमेस्टर में इसने 9.3 सीजीपीए प्राप्त किया है। ईशा अमेरिका के एक इंस्टीट्यूट से एक आनलाईन कोर्स भी कर रही है।
मालूम हो कि ईशा के पिता सारण के अतरसन मध्य विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं तथा माताजी विशेश्वर सेमिनरी इंटर कॉलेज में गणित की शिक्षिका हैं। ईशा की उपलब्धि पर क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने बधाईयां दी हैं। वाकई सिवान केे लिए ये गर्व की बात है।