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कोसी में बाढ़ त्रासदी को रोकने हेतु लोकहित में गाद प्रबंधन नीति लाना चाहती है सरकार अगर हां तो कब तक।

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रंजीत कुमार/ मधेपुरा:कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ संजीव कुमार सिंह ने जल संसाधन विभाग से यह बतलाने की मांग की की नेपाल से आने वाली कोसी नदी में अत्यधिक गाद के कारण नियमित बाढ़ आपदा से तटबंध की मरम्मत और उसके रखरखाव निर्माण में अरबो रुपए खर्च हो रहा है उक्त आपदा के कारण सरकार को वाढ प्रभावित एवं पीड़ितों को मुआवजा देने में भी अरबो रुपए खर्च हो रहा है और लोगों को इस इलाके से विस्थापन का दंस झेलना पड़ता है, क्या सही है कि पुराने बाराज की क्षमता पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि इसकी आयु तकनीकी रूप से समाप्त हो चुकी है ।

 

इसका जवाब देते हुए जल संसाधन विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जो माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है ।बिल्कुल सही है कि कोसी नदी में सबसे अधिक गाद भी आती है क्योंकि वह पहाड़ से आती है ।वह खड़ी पहाड़ी है जितना खड़ी पहाड़ी होती है उतनी अधिक गाद बनता है और जो माननीय सदस्य ने कहा है इसीलिए इस बार का जो 2024 के बाढ़ का अनुभव रहा है महोदय पहली दफा बडाज के ऊपर से पानी निकल गया और साथ उसका गेट लगा हुआ है वॉटर डिसचार्ज मापा जाता है उसके उपर से पानी निकल गया इसका दोनों कारण होता है कि एक तो जब अधिक वर्षा होती है नेपाल के इस नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में और साथ ही चुकी गाद जमा होते जाता है नदी का तल ऊंचा उठ जाता है तो पानी जो जल संग्रहण क्षमता होती है नदी की वह भी घट जाती है भारत सरकार को हमने लिखा है और इस बात की इससे बराज के बने हुए भी काफी दिन हो गए थे ।

 

1963 में ही यह कमीशन हुआ था हम लोगों ने लिखा है कि इसके स्ट्रक्चर की पूरी तरीके से यह कमीशन हुआ था हम लोगों ने लिखा है कि इसके स्ट्रक्चर के पूरी तरीके से तकनीकी और यूटिलिटी के हिसाब से इसकी जांच करने जो भारत सरकार की एजेंसी है और इस बीच में हम लोगों ने ढगमारा में एक सेकंड बराज का ऑप्शन दिया है और हम लोगों ने जो कहा है की जांच करने के लिए स्वाभाविक रूप से अगर इसकी उपयोगिता पर कोई प्रश्न आएगा तो उसकी जगह पर हम लोग कोई नया बाराज भी बनाना चाहते हैं ।इसलिए मूल रूप से जो माननीय सदस्य की चिंता है सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील कोई प्रश्न आएगा तो उसकी जगह पर हम लोग कोई नया बाराज बनाएंगे।

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डॉ संजीव कुमार सिंह ने कहा कि कोसी में जो गाद जमा है जिसके कारण नदी उथली हुई जा रही है उसे सरकार नियम बनाकर लोगों को मुफ्त में ले जाने के लिए कानून बनाएं क्योंकि अभी खनन विभाग के कनुन के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है चाहे घर भरने हो या घर के आगे की सड़क मुफ्त में उठाकर ले जाने दीजिए

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि उसके लिए तो अलग से कल बैठक निर्धारित है इससे भी आगे बहुत है कि हम लोग इसके व्यावसायिक उपयोग के लिए पहली बार एक पायलट बेसिस पर हम लोगों ने जो राजस्थान में हुआ है और केरल में हुआ है दो जगह हुआ है उसे मॉडल को हम लोग लागू किए हैं और मुख्यमंत्री जी के सहमति से उसे कैबिनेट का भी अनुमोदन मिल गया है चंदन डैम के इलाके के लोग यहां मौजूद हैं चंदन डैम में महोदय यह भी सदन को जानना चाहिए कि हम लोगों ने जो डीपीआर बनवाया और दूसरे से नहीं जो CWC यानी सेंट्रल वाटर कमीशन जो भारत सरकार की संस्था है उसे जो हम लोगों ने डीपीआर बनवाया जो चंदन डैम में जो लगभग मैंने उसका60% सिल्ट्रेशन से भर गया है उसकी ओरिजिनल कैपेसिटी जो है अभी मात्र उसके 30% ही पानी उसमें स्टोरेज हो पता है जब हम लोगों ने डीपीआर बनवाया तो उन्होंने लगभग 7.50 करोड़ से अधिक का एस्टीमेट दिया कि इसको साफ करने में इतना लगेगा लेकिन वह मॉडल जो महोदय हम लोग लाए हैं उसमें जो मान्य सदस्य कह रहे हैं उसी तरीके से हमने जो साफ करेगा उसको उसके व्यावसायिक उपयोग की इजाजत दे दिया है कि आप इसको जहां मार्केट में जो करना है करिए और इस प्रोजेक्ट के तहत हमको रॉयल्टी के तौर पर वह जो मिट्टी ले जाएगा उसके उपयोग में तो पैसा तो अपना नहीं लग रहा है उन्होंने 49 करोड़ रॉयल्टी देने का भी कमिटमेंट दिया है वह कैबिनेट से अप्रूवल हो गया है और हम लोगइसके इंतजार में है जो यह सफल हो जाए तो समझिए यह क्रांतिकारी व्यवस्था होगी जो मुख्यमंत्री जी से बात करके हम लोग लागू कर रहे हैं यह बहुत जबरदस्त जो बात संजीव कुमार सिंह जी वह कह रहे हैं और हम लोग इस पर पहले से कम कर रहे हैं और एक अच्छी चर्चा इन्होंने प्रश्न में राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति की भी की है सही बात है कि आज बिहार तो छोड़िए पूरे देश की नदियां मार रही हैं सिर्फ गाद के कारण नदी ताल ऊंचा उठ रहा है नदी में कहीं पानी रुकने और उसका संग्रहण क्षमता ही छीन हो गई यही गंगा सेतू पर चले जाइए जहां जहां गंगा को सबसे गहरी होनी चाहिए वहीं पर उथली है।

 

बीच में देखिएगा गाद जमा हुआ है और नदी का पूरा पानी दोनों तरफ जाकर बीच ही में नदी ऊंची हो जाती है और यही नदियों के मरने का कारण है और हम लोगों ने यह सभी बिहार वासियों के लिए फक्र की बात है कि यह बिहार में पूरे देश के हर नदी के साथ की समस्या है लेकिन राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बने इसकी सहमति मुख्यमंत्री जी ने दी थी और पहली दफा 2012 में जब यूपिए ही सरकार थी संजोग से मुख्यमंत्री ने उस वक्त भी हमें इस विभाग का जिम्मा दिया था पहली दफा बिहार में ही राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने की मांग की थी और मुझे खुशी है कि 2014 में जब एनडीए की हुकूमत बनी उमा भारती जी मंत्री थे थोड़ी देर के लिए वह कार्यकाल मेरा भी बचा हुआ था ।

 

15 के चुनाव के पहले उनसे मैं व्यक्तिगत स्तर पर बात की थी इसकी शुरुआत उन्होंने कर दी और इस पर एक एक्सपर्ट कमेटी टीम बना दी थी जिसे अध्ययन करके पूरा विस्तृत प्रतिवेदन दिया है और उसके आधार पर राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति का मसौदा तैयार हो गया है अलग-अलग राज्य सरकारों से कमेंट भी मांगा गया है उन सबको समेकित करके राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति हम समझते हैं कि अब जल्द ही आएगी जिससे गाद की समस्या का हर नदी में समाधान का कोई समय का रास्ता निकलेगा।

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