* कांग्रेस राहुल व खरगे के फ़ार्मूले के परिणाम का इंतज़ार
बिहार न्यूज़ लाईव / जयपुर डेस्क: /(हरिप्रसाद शर्मा) राजस्थान में पेपर लीक के मामले में ईडी की जांच से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा हुआ है। ईडी की जांच में जो तथ्य उजागर हो रहे हैं उससे निश्चित तौर पर कुछ राजनेताओं और अधिकारियों के शामिल होने की बात सामने आ रही है। फ़िलहाल ईडी ने अभी तक किसी नेता से सीधे तौर पर पूछताछ नहीं की है। लेकिन राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा की नियुक्ति साथ ही उसमें डेढ़ करोड़ के लेनदेन की सूचना ने कई राजनेताओं और अधिकारियों की नींद हराम कर दी है।
फिलहाल ईडी ने अभी तक स्थिति को स्पष्ट नहीं किया है इस बारे में पुख्ता सबूत जुटाने के लिए लोक सेवा आयोग के गिरफ्तार सदस्य बाबूलाल कटारा से फिर से गहनता से पूछताछ करने से कुछ और नए तथ्य उजागर हो सकते हैं। कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए जयपुर में डेरा डाल दिया है। वे मौजूदा राजनीतिक हालातों पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने यह संदेश देने का काम किया कि ईडी की जांच से कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि इस मामले में कोई शामिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का प्रशासनिक तंत्र मजबूत है और पेपर लीक के मामले में ठोस कार्रवाई की गई है।
ईडी लगातार तीसरे दिन भी अपनी जांच पड़ताल में सक्रिय है। प्रदेश में 3 दर्जन से अधिक स्थानों पर छापेमारी की गई है और पूरे तथ्य जुटाए जा रहे हैं। ईडी द्वारा प्राथमिक जांच प्रकरण दर्ज करने की बात सामने आ रही है। राजनीतिक हल्कों में चर्चाएं जोरों पर है कि ईडी ने अभी तक राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव हरजीराम अटल के बयान दर्ज किए हैं और आयोग के अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय के बयान दर्ज होने बाकी है।
फिलहाल अजमेर, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सांचौर (जालौर), जयपुर और सिरोही के 3 दर्जन स्थानों पर छापेमारी किए जाने की बात सामने आ रही है। पेपर लीक मामले का प्रमुख सरगना सुरेश ढाका अभी गिरफ्तारी से दूर है 1 लाख का इनाम घोषित कर रखा है। इसकी गिरफ्तारी के लिए पहले जैसे प्रयास नहीं हो रहे हैं। अब केंद्रीय एजेंसी इसकी गिरफ्तारी में सक्रियता ला सकती है। यह भी बात सही है कि इसके कई राजनेताओं और आला अफसरों से संबंध भी रहे हैं। उसकी गिरफ्तारी के बाद कुछ नए तथ्य सामने आने की संभावना बनी हुई है। चुनाव से पहले यह सब कुछ होता है तो निश्चित तौर पर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच संबंध में सुधार नहीं आने से भी कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। कांग्रेस प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा दोनों के बीच सुलह कराने में सक्षम नहीं है उन्होंने इतना ही कहा कि फार्मूला दोनों के पास है। इसकी जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है।प्रभारी रंधावा का यह कहना कि पायलट को उसके राजनीतिक कद के अनुसार पद मिलेगा इस बात से भी अब चर्चा जोरों पर है कि यह पद कौनसा है स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ही जानते हैं कि दोनों के बीच क्या फार्मूला तय हुआ है और वह कब तक क्रियान्वित होगा इसका सभी को इंतजार है । राजनीति में रोज नई चर्चा सामने आ रही है यह भी कहा जा रहा है कि नई पार्टियां बन रही है उन पार्टियों को बनाने वाला कौन है स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है । राहुल गांधी 9 जून को वापस लौटेंगे उनके आने के बाद ही राजस्थान का पेचीदा और चुनौतीपूर्ण मसला सुलझने की संभावना है। कांग्रेस के राजनीतिक माहौल में अस्थिरता निश्चित तौर पर पार्टी के लिए नुकसानदायक है।
सीएम गहलोत और सचिन पायलट समर्थकों और नेताओं में फिलहाल बयानबाजी का दौर थमा हुआ है। प्रभारी रंधावा ने 8 जून को कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में स्थित वार रूम में बैठक बुला रखी है। इस बैठक में प्रदेश के 3 सह प्रभारी अमृता धवन,वीरेंद्र सिंह और काजी निजामुद्दीन सहित सीएम गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कुछ खास नेताओं को आमंत्रित किया हुआ है।
इस बैठक में सचिन पायलट को आमंत्रित किया है या नहीं अभी स्पष्ट नहीं है। सीएम गहलोत और पायलट के बीच समन्वय होने के बाद ही पायलट पार्टी की बैठकों में शामिल होंगे इससे पहले वे अपने आपको अलग रखे हुए हैं। फिलहाल राहुल गांधी के आने का इंतजार सभी को है फैसला उनके आने से ही स्पष्ट होगा कि सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी !
फिलहाल राजनीतिक तौर पर चर्चाएं जोरों पर है कि सचिन पायलट क्या कुछ करेंगे। हर कोई यह सोचने को मजबूर है कि कांग्रेस नेतृत्व फैसले को लागू करने में इतना समय क्यों लगा रहा है इसके पीछे क्या कुछ राजनीति है यह तो कांग्रेस का नेतृत्व ही बता सकता है पर यह सब कुछ पार्टी हित में नहीं कहा जा सकता है फैसला करो नहीं तो निश्चित तौर पर पार्टी को एक बड़ा नुकसान भी हो सकता है जिसकी भरपाई हो पाना संभव नहीं है पीजीआई डालनी है ।
ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व को सजग होकर काम करना ही पड़ेगा नहीं तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जो नतीजे आएंगे वह सभी के लिए चौंकाने वाले होंगे। अब सबको यही इंतजार है ईडी की जांच और सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच फार्मूले के परिणाम कब तक सामने आएंगे। इसी से कांग्रेस की भविष्य की राजनीति भी तय हो पाएगी चलो करते !
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