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सारण: मिड डे मिल हादसे की 11वीं बरसी पर किया गया श्रद्धांजली सभा का आयोजन।

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हवन-पूजन कर मृत बच्चों की आत्मा की शांति के किया गया भगवान से प्रार्थना

फ़ोटो: स्मारक पर पुष्प अर्पित करते सांसद

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बिहार न्यूज़ लाईव सारण डेस्क: मशरक

मशरक थाना क्षेत्र के धर्मासती गंडामन गांव में श्रद्धांजली सभा का आयोजन कर मीड डे मील हादसे के शिकार हुए 23 बच्चों को याद किया गया।काल के गाल में समाए बच्चों के पीड़ित अभिभावको द्वारा हवन-पूजन कर उनके आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी।इस दौरान घटना को याद कर सभी की आंखे नम हो गयी। मृत बच्चों के अभिभावक,स्कूली बच्चो सहित कई गणमान्य लोगो द्वारा मृत बच्चों के स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजली दी गयी। मौके पर पहुंचे महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने मृत बच्चों के स्मारक पर पुष्प अर्पित करने के बाद पीड़ित परिजनों के साथ हवन-पूजन में शामिल हुए। उन्होने घटना को लेकर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मीड डे मील हादसे से पूरा समाज मर्माहत हुआ था। इस घटना से सभी का दिल दहल उठा था,

 

बच्चों के पोषण का मील डे मील बच्चों का जान लेने वाला बन गया था। श्रद्धांजली सभा में मुख्य रूप से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बीणा कुमारी,भाजपा जिला प्रवक्ता त्रिभुवन तिवारी, पूर्व मंडल अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, मंडल अध्यक्ष बीरबल प्रसाद कुशवाहा,सरपंच संघ के प्रखंड अध्यक्ष अजय सिंह, मुखिया प्रतिनिधि सत्येंद्र सिंह सहित अन्य शामिल हुए। 11 वर्ष पूर्व हुए इस घटना को परिजन सहित आसपास के लोग आज भी भुला नही पाए है। 16 जुलाई 2013 के इस घटना में बचे बच्चो के परिजन आज भी इतने सहमे हुए है कि अपने बच्चों को सरकारी निवाले से दूर रखते है। हर वर्ष 16 जुलाई को इन मासूमों के स्मारक स्थल पर श्रद्धांजली सभा का आयोजन इनके परिजन करते है।घटना को याद कर नम आंखो से परिजन बताते है कि सरकारी सिस्टम के शिकार इन मासूमों की आत्मा को अभी तक शांति नही मिल पाया ।

 

घटना के बाद राज्य सरकार ने इस गांव को गोद लिया किंतु आज तक शिक्षा , चिकित्सा का समुचित विकास नही हो पाया। सबकुछ राम भरोसे चल रहा है। प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक तीन विद्यालय एक ही प्रधानाध्यापक के जिम्मे , जिस प्राथमिक विद्यालय सामुदायिक भवन में घटना घटी वो भवन आज भी डरावना दिखता है । एक कमरे वाले इस भवन की स्थिति जस की तस है।जानकारी हो कि 23 बच्चो की मौत मिड डे मील खाने से हो गई थी, जबकि 25 से ज्यादा बच्चे जिंदगी और मौत की जंग के बाद घर लौटे थे।

 

 

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