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सुल्तानगंज: अंतिम सोमवारी पर हर हर महादेव के जयकारों से गुंजा अजगैवीनगरी….

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कांवरियों से पटा उत्तरवाहिनी गंगा तट

बिहार न्यूज़ लाइव सुल्तानगंज डेस्क:  सुल्तानगंज: चार जुलाई से शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला अब धीरे-धीरे अपने अंतिम पड़ाव पर चल रही है। इसके बावजूद भी यहां कावड़िया का अनवरत रैला चल रहा है। सावन मास के अंतिम सोमवारी पर पूरा उत्तर वाहिनी गंगा तट सहित अजगैवीनगरी केसरिया रंग में पटा रहा एवं हर हर महादेव की गूंज अजगैवीनगरी में गूंजायमान हो रहा है। हर तरफ भक्ति भाव का माहौल देखने को मिल रहा है।काँवर के झुनझुन की आबाज एवं अगरबत्ती के सुगंध से पूरा क्षेत्र मंत्रमुग्ध हो रहा है। वही सावन की अंतिम सोमवारी को लेकर रविवार रात से ही शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती रही।

 

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आने जाने वाले ट्रेन से कंवरिया की भीड़ देर रात तक उतरकर उत्तरवाहिनी गंगा घाटों की ओर जाते दिखे।वहीं अंतिम सोमवारी को लेकर अहले सुबह से ही कावड़िया जल भरकर बाबा धाम की ओर रवाना होते रहे। हर हर महादेव की गूंज से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होता रहा। कांवरिया पथ पूरी तरह केसरिया में हो गया है जहां एकता एवं समरसता का भाव बना हुआ है।सावन की अंतिम सोमवारी को हजारों लाखो की संख्या में कांवड़ियों बाबा अजगैवीनाथ को गंगाजल से जलाभिषेक किया। सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ मंदिर में अहले सुबह से ही कांवड़ियों का तांता लगा रहा। उत्तर वाहिनी गंगा तट से लेकर कांवरिया पथ तक कांवरिया की भीड़ से 105 किलोमीटर लंबा रास्ता वाला कांवरिया से पूरी तरह गुलजार हो उठा है। देश के विभिन्न राज्यों सहित विदेशों से भी आने वाले कांवड़िए गेरुआ रंग में रंगे हुए हैं।

 

यहां आकर इनकी दिनचर्या के साथ-साथ बोली भी बदल गयी है। बच्चा बम , माता बम, बहना बम, बूढ़ा बम, लड़का बम, चलो बम, हटो बम मसलन सब बम-बम। कांवड़िए एक-दूसरे को रास्ते में ऐसे ही आपस में पुकारते हुए अनवरत बाबा धाम जा रहे है। रास्ते में पैदल चलने के दौरान इन्हें सड़क किनारे जहां जगह मिल जाए, वहीं इनका विश्राम स्थल बन जा रहा है। फर्श पर लेटते तनिक भी इन्हें संकोच नहीं। यों जगह-जगह सरकारी स्तर पर इंतजाम भी हैं। फिर भी ये अपनी मंजिल जल्द से जल्द तय करने में ही मशगूल है। रास्ते में चल रहे बम की दिल में बस एक ही तमन्ना है कि सावन मास में बाबा को जलाभिषेक करना है।

 

क्योंकि सावन मास में बाबा को जलाभिषेक करने का एक अलग ही महत्व है। कहते हैं बाबा देवलोक छोड़कर सावन मास में पृथ्वी लोक पर आते हैं इस वजह से कांवरिया सावन मास में बाबा को जलाभिषेक करने का अधिक महत्व देते हैं। हालांकि इस वर्ष सावन मास मलमास की वजह से दो महीने तक लगातार चल रहा है। अब सावन मास खत्म होने में चार दिन का समय शेष रह गया है। इस वजह से काँवरिया का हुजूम दिन प्रतिदिन और बढ़ता ही जा रहा है।

 

 

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