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अजमेर:खुंडियावास में बाबा रामदेव मेले में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानिए क्यों कहा जाता है मिनी रामदेवरा*

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*खुंडियावास में बाबा रामदेव जी मेले में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानिए क्यों कहा जाता है मिनी रामदेवरा*

 

अजमेर/(हरिप्रसाद शर्मा)अजमेर व नागौर जिले की सीमा खुंडियावास में स्थित बाबा रामदेव जी के मेले में आज दशमी के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। शुक्रवार को भादवा महीने की दशमी रामदेव जयंती पर बाबा रामदेव जी का सुबह पंचामृत से अभिषेक किया गया। इसके बाद बाबा रामदेव जी को विशेष पोशाक पहनाकर उनका शृंगार किया गया। सुबह से मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। मंदिर को आकर्षक रोशनी से सजाया गया। इस मौके कर मंदिर समिति ने विशेष व्यवस्था की। मंदिर में कार्यकर्ताओं ने व्यवस्था संभाल रखी थी। मेले को लेकर पुलिस का भी जाब्ता तैनात था। वहीं मंदिर में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही थी।

 

नागौर जिले और अजमेर जिले की सीमा पर स्थित मंदिर का आगे का हिस्सा नागौर तो वहीं पीछे का हिस्सा अजमेर जिले में आता है। यह स्थान प्रमुख रामदेवरा से कम नहीं है। यह मिनी रामदेवरा के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि एक भक्त की भक्ति ने इस स्थान को तीर्थ बना दिया। मेले की व्यवस्था में बाबा रामदेव सेवा समिति के अध्यक्ष रामलाल बजाड़, उपाध्यक्ष भंवर सिंह खंगारोत, कोषाध्यक्ष नटवर सिंह शेखावत, मंत्री अणदाराम सीमार, संरक्षक रामकरण सीमार, सदस्य गोपाल गुर्जर, रामाजी चाड़, रामलाल भडाणा, अर्जुन बागड़ी, रामाजी पटेल, मनरूप चाड़, नारायण मेघवाल, बबायचा ग्राम पंचायत के सरपंच हरीकिशन, अभिषेक सहित अन्य मौजूद रहे।

 

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ये है मान्यता

रामदेव जी मंदिर के पुजारी सत्यनारायण बताते हैं कि बूंदी के लाखेरी क्षेत्र में देवपुरा निवासी भोजराज गुर्जर लोकदेवता बाबा रामदेव के भक्त थे। भक्त भोजराज गुर्जर की बाबा रामदेव में इतनी गहरी आस्था थी कि वे सदा बाबा रामदेव का नाम जपा करते थे और हर वर्ष दंडवत करते हुए बूंदी से रामदेवरा जाया करते थे। 24 वर्षों तक उनकी यह यात्रा जारी रही। सन 1986 में भक्त भोजराज गुर्जर दंडवत करते हुए खुंडियावास पहुंचे। उनकी भक्ति और गहरी आस्था से वशीभूत होकर बाबा रामदेव ने उन्हें इस स्थान पर ही दर्शन देकर कहा कि अब तुम्हें रामदेवरा आने की जरूरत नहीं है मैं खुद यहीं पर आ गया हूं। इसके बाद भक्त भोजराज गुर्जर ने उस स्थान पर ध्वजा लगा दी, जहां पर बाबा रामदेव ने उन्हें दर्शन दिए थे। भक्त भोजराज गुर्जर तब से वहीं रहने लग गए। उस वक्त यहां घोर जंगल होने के कारण भोजराज गुर्जर समीप ही जामुन वाले देव जी के स्थान पर रहे। फिर मंदिर के उत्तर दिशा में पहाड़ी पर धूनीवाले बाबा के मंदिर में रहे। इसके बाद में भक्त भोजराज गुर्जर ने बाबा रामदेव के भक्तों के सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण करवाना शुरू किया। साथ ही मंदिर के ठीक सामने सड़क के दूसरी ओर अपना आश्रम बनाया। दर्शन के लिए दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था आज भी आश्रम में की जाती है।

 

भादवा महीने में रहती है भीड़

मंदिर के पुजारी सत्यनारायण ने बताया कि रक्षाबंधन पर आने वाली पूर्णिमा के दिन से अगली पूर्णिमा तक बाबा रामदेव का मेला हर्षोल्लास के साथ हर वर्ष भरता है। इसमें राजस्थान ही नहीं हरियाणा, पंजाब, गुजरात, मध्यप्रदेश, यूपी समेत कई राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु लोकदेवता बाबा रामदेव के दर्शन के लिए रामदेवरा आते हैं। इनमें बड़ी संख्या पैदल यात्रियों की होती है। लाखों लोगों के विश्वास और आस्था का बड़ा केंद्र रामदेवरा है। रामदेवरा अजमेर होकर जाने वाले श्रद्धालुओं में से अधिकांश श्रद्धालु खुंडियावास जरूर आते हैं। वहीं, भादवा की दूज से लेकर दशमी तक यहां लाखों को संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

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