*राजस्थान के तेरह जिलो मे अजमेर को भी मिलेगा ईआरपीसी योजना का लाभ- चौधरी
*पानी के बंटवारे पर चल रहा विवाद का डबल इंजन की सरकार ने किया अंत
*नदियों को जोड़ने का पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना
*कांग्रेस ने जानबूझकर ईआरसीपी को 5 साल तक अटकाया
बिहार न्यूज़ लाइव अजमेर डेस्क अजमेर/(हरिप्रसाद शर्मा) राजस्थान में ईआरपीसी योजना के तहत सरकार के प्रयासों से राजस्थान के तेरह ज़िलों को पानी का लाभ मिलेगा ।
यह बात केंद्रीय जल संसाधन समिति के सदस्य व भागीरथ चौधरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि हम सभी भली-भांति जानते हैं कि दुनिया के सार्वभौमिक सत्यों में से एक सत्य यह है कि “जल ही जीवन” है।
चौधरी ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ERCP पर अब हल निकलने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच पानी के बंटवारे पर चल रहा विवाद का डबल इंजन की सरकार ने अंत किया है।
*दोनों राज्यों की सरकारो मे एमओयू हुआ
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना दोनों प्रदेशों की जरूरत है. 2013 में हमारी सरकार ने इसकी डीपीआर बनाई थी लेकिन बाद में कांग्रेस की सरकार आ गई. कांग्रेस में इच्छा शक्ति नहीं दिखाई दी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर ईआरसीपी को मुद्दे को 5 साल तक अटकाए रखा,केवल राजनीति के अलावा इस प्रोजेक्ट को आगे बढाने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने कुछ नहीं किया।
चौधरी ने कहा कि नदियों को जोड़ने का पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था, जिसे अब धरातल पर उतारा जाएगा,राजस्थान और मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार रही,दोनो ने इस मुद्दे पर राजनीति की। गहलोत सरकार ने ERCP पर राजनीति के अलावा कुछ नहीं किया।
इस योजना से खेती के साथ पर्यटन और उद्योग को भी फायदा होगा।राजस्थान और एमपी दोनों को इसका फायदा होगा।
साथ ही पूर्वी राजस्थान की जीवन रेखा कहीं जाने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के बारे में जल शक्ति मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय में बैठक में
भारत सरकार द्वारा पूर्वी राजस्थान के संपूर्ण विकास के लिए एक संशोधित मेगा परियोजना जिसको ईआरसीपी – पीकेसी (संशोधित पार्वती काली सिंह चंबल लिंक परियोजना) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने हेतु संशोधित डीपीआर को मूर्त रूप दिया गया।इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने का मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने हेतु 90% राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी,जिसकी अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य जल निकायों में केवल चंबल नदी के बेसिन में अधिशेष जल की उपलब्धता है परंतु इसके जल का सीधे तौर पर उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि कोटा बैराज के आस-पास का क्षेत्र मगरमच्छ अभयारण्य के रूप में संरक्षित है।
चौधरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि इसमें राजस्थान के 13 ज़िलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है, 13 ज़िलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल हैं।
इससे राज्य के ग्रामीण इलाकों में भूजल तालिका (Ground Water Table) में सुधार होगा।
इस प्रेस वार्ता मे भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रमेश सोनी,प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अरविन्द यादव, उप महापौर नीरज जैन,संभाग मीडिया प्रभारी अनीश मोयल,संभाग सह प्रभारी रचित कच्छावा उपस्थित रहे।
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