अटल जी के सबसे प्रिय सहयोगी जिनको सुशासन स्थापित करने की ज़िम्मेदारी मिली। उन्हीं के हाथों हुआ अटल कलाभवन का कार्य शुभारंभ : विजय कुमार सिन्हा
अटल कलाभवन का कार्य शुभारंभ कर मुख्यमंत्री ने अटल जी को दी शताब्दी वर्ष की श्रद्धांजलि : विजय कुमार सिन्हा
विरासत के साथ विकास की सोच से विकसित किये जा रहे अटल कलाभवन : विजय कुमार सिन्हा
हमारी सांस्कृतिक चेतना ने हमें राष्ट्र के रूप में सूत्रबद्ध किया : विजय कुमार सिन्हा
कलाभवन के माध्यम से बिहार की बहुरंगी विरासत मिलेगा संरक्षण : विजय कुमार सिन्हा
पटना :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अपनी प्रगति यात्रा के क्रम में मुजफ्फरपुर में ‘अटल कला-भवन ‘ का कार्य शुभारंभ किया गया । माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ इस अवसर पर मौजूद उपमुख्यमंत्री-सह कला संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बिहार ने विरासत के साथ विकास की दिशा में कदम बढ़ा दिया है । हम अपने गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत की बहुरंगी छवि तो दुनिया के सामने प्रस्तुत करेंगे ही साथ ही कला-संस्कृति से जुड़ी प्रतिभाओं को उपयुक्त मंच उपलब्ध कराया जाएगा । इसी सोच के साथ राज्य के हर जिले में हम प्रेक्षागृह एवं कलाभवन विकसित करने जा रहे हैं ।जिसका नाम “अटल कला भवन” होगा।
श्री सिन्हा ने आगे कहा कि’अटल कला-भवन’ के निर्माण से जिले की सांस्कृतिक गतिविधियों को नई ऊंचाई मिलेगी । इस कला भवन में परंपरागत एवं आधुनिक प्रदर्शन कलाओं तथा ऑडियो-विज़ुअल कलाओं के प्रस्तुतियों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी । साथ ही यहां से जिले में सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा ।
श्री सिन्हा ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत और कला-संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों से समाज में सकारात्मक गतिशीलता आती है । इसका अनुकूल प्रभाव हमारे आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों पर भी पड़ता है । हमारी संस्कृति ही हमें राम और रावण के बीच अंतर बताती है । इसी से हम सीता और मंथरा में फर्क कर पाते हैं । आज जो माहौल देश में बनाने का प्रयास किया जा रहा उसमें देश को सुरक्षित रखने के लिए इन अंतरों की सही पहचान जरूरी है ।
श्री सिन्हा ने कहा कि हमारा इतिहास भी हमें यही बताता है कि भारत की एकता, अखंडता को निर्धारित करने में सांस्कृतिक चेतना ने निर्णायक भूमिका निभायी है । इसी चेतना के कारण हम आक्रांताओं की लाख कोशिशों के बावजूद सुरक्षित रह पाए । हमारे विरासत स्थल खंडित कर दिए गए, हमारे महत्वपूर्ण ग्रथों को नष्ट किया गया लेकिन भारतीय समाज में फैली सांस्कृतिक चेतना ने हमें एकसूत्र में पिरो दिया । आज हम अपने राज्य की बहुरंगी विरासत जो कहीं न कहीं ठहर सी गई थी, उसे फिर से सुरक्षित और संरक्षित करने में जुटे हैं । आने वाले दिनों में जब हम विकसित बिहार बनाने में सफल होंगें तब उसमें हमारी गौरवशाली संस्कृति ज्ञान, रोजगार और राजस्व सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ।
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