बिहार न्यूज़ लाइव / कैनडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो के पिता जब कैनडा के प्रधानमंत्री थे, तब खलिस्तान की मांग करनेवाले तलविंदर सिंह परमार नामक आतंकवादी ने विमान में बमविस्फोट कर सैकडों सिक्खों को मार डाला था । उससे पूर्व सिक्ख यात्री जहाज ‘कामागाटामारू’ को कैनडा में प्रवेश नकार कर उस पर गोलीबारी की गई । यह कैनडा के सिक्ख प्रेम का इतिहास है । कैनडा आतंकवाद का समर्थन करनेवाला देश नहीं, अपितु आतंकवादियों का अड्डा बन गया है ।
श्री. रविरंजन सिंह ने आगे कहा, ‘‘कैनडा निज्जर की हत्या का बेबुनियादी और सरासर झूठा आरोप भारत पर कर रहा है । इस आरोप के पीछे पाकिस्तान का षड्यंत्र है । अन्य देश की सीमा में जाकर देशद्रोहियों को नष्ट करना, हमारे कानून के दायरे में नहीं आता; और कोई अधिकारी अपनी नौकरी संकट में डालकर ऐसा कृत्य कभी नहीं करेगा । खालिस्तान, यह एक ऐसा रोग है जिसपर अनेक डॉक्टर उपचार कर रहे हैं; परंतु निदान कोई भी नहीं जानता । जब तक पाकिस्तान को पूर्णरूप से नष्ट नहीं कर दिया जाता, तब तक यह समस्या समाप्त नहीं होगी । अब आक्रमण ही बचाव का मार्ग है । भारत देश में सिक्खों की कुछ समस्याएं हैं; परंतु उन्हें खालिस्तान से न जोडें । उन समस्याओं को संवैधानिक मार्ग से रखा जाए । उसके लिए शत्रु राष्ट्रों से मिलकर देश–विरोधी कार्रवाईयां करना सर्वथा अनुचित है । हिन्दू और सिक्ख भाई–भाई हैं । इन दोनों में मदभेद निर्माण कर अलग करना, पाकिस्तान के आइ.एस्.आइ.का राजनैतिक षडयंत्र है । सिक्ख समुदाय के 4 तख्त होते हुए 1960 में पांचवां तख्त निर्माण करना, यह इसी षड्यंत्र का भाग है । इसके साथ ही गुरुपतवंत सिंह पन्नू, सिक्ख धर्म का पालन नहीं करता । इसलिए उसे सिक्खों का नेतृत्व करने का अधिकार ही नहीं है ।’’
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति की महिला शाखा की ‘रणरागिनी’ श्रीमती संदीप मुंजाल ने कहा, ‘‘कैनडा में गुरुद्वारा के बाहर आज भी निज्जर के समर्थन में पोस्टर्स लगाए जा रहे हैं । वहां भारत के राजनैतिक अधिकारियों के छायाचित्र लगाकर उनकी हत्या के लिए उकसाया जा रहा है । खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा वहां के लक्ष्मीनारायण मंदिर पर आक्रमण करने के प्रकरण में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई । ‘करीमा बलोच’ नामक प्रभावशाली महिला की हत्या पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई । इसलिए कैनडा सरकार पूर्णरूप से खलिस्तानी आतंकवादियों के समर्थन में दिखाई देती है । जिस देश की नीतियां भारतविरोधी हैं, वहां भारत के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं । भारतीय अभिभावक अपने बच्चों पर 8 अरब डॉलर्स खर्च करते हैं । ऐसे देश में बच्चों को भारतविराेधी ही सिखाया जाएगा, इस पर अभिभावकों को विचार करना आवश्यक है ।’’
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