प्राचार्य डॉ. वसुंधरा पाण्डेय 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होंगी
छपरा : जगलाल चौधरी महाविद्यालय, छपरा के शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रभारी प्राचार्य डॉ. वसुंधरा पाण्डेय के सेवानिवृत्त होने के उपलक्ष्य में भव्य विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। विदित हो कि प्राचार्य 31 अक्टूबर, 2024 को सेवानिवृत्त हो रही हैं लेकिन 30-31 को अवकाश होने के कारण 29 अक्टूबर को ही कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय परिवार की ओर से प्रभारी प्राचार्य को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रभारी प्राचार्य डॉ. वसुंधरा पाण्डेय ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं जब इस महाविद्यालय में योगदान की थी तब इस महाविद्यालय के पास चहारदीवारी तक नहीं थी, लोग हम शिक्षकों को वृक्ष के नीचे बैठे देखकर अजीब-अजीब बातें करते थे लेकिन हम सभी विजय बाबू के आभारी हैं कि वे प्राचार्य बनकर महाविद्यालय में आये तो इस महाविद्यालय की चहारदीवारी बनवाये और महाविद्यालय को एक बेहतर स्वरूप प्रदान किया। मुझे मौका मिला तो जितना होते बना मैंने किया और उम्मीद है कि आगे हमारे अनुज इस महाविद्यालय को और बेहतर बनाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि मैं इस महाविद्यालय से सेवानिवृत्त जरूर हो रही हूँ लेकिन दूर नहीं हो रही हूँ। सदा महाविद्यालय परिवार से जुड़ी रहूँगी। प्राचार्य डॉ. वसुंधरा पाण्डेय के पति डॉ. सुभाष तिवारी ने कहा कि आज मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है कि आज से मुझे और मेरे दोनों बच्चों को मैंडम का भरपूर साथ मिलेगा वरना जब से प्राचार्य बनी थीं तब से हमेशा महाविद्यालय के कामों को लेकर ही चिंतित रहती थीं।
हमारे बच्चों को आज मुझसे भी अधिक खुशी मिलेगी। महाविद्यालय के वरीय प्राध्यापक प्रो. शिव कुमार प्रसाद ने बताया कि हमलोग 21 वर्षों से एक साथ हैं। हमलोगों का संबंध सिर्फ महाविद्यालय तक ही नहीं बल्कि पारिवारिक सम्बंध भी रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पाँच माह बाद मैं भी इस महाविद्यालय से सेवानिवृत्त होऊंगा। डॉ. अरविंद कुमार ने भावुक होते हुए कहा कि मैं आज जिंदा हूँ तो उसमें मैंडम का अहम योगदान है। यदि मैंडम सहयोग नहीं की होतीं तो शायद आज मैं यहाँ खड़ा नहीं होता। डॉ. रवींद्र कुमार वर्मा ने कहा कि डॉ. वसुंधरा पाण्डेय बहुत समन्वयवादी स्वभाव की महिला हैं। सभी को साथ लेकर उन्होंने महाविद्यालय में विकास का जो काम कर दिया वह सराहनीय है और अगले प्राचार्य के लिए अनुकरणीय भी है।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थियों द्वारा प्राचार्य का स्वागत करके किया गया। इंटरमीडिएट की छात्रा रिया ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। ततपश्चात गोल्डी कुमारी, राहुल तिवारी, सनम कुमारी, मनीष कुमार, खुशी कुमारी, भूमि कुमारी सोबिना खातून, कौशिक कुमार, गुड़िया कुमारी, शिल्पी कुमारी, रंकित कुमार सिंह, पीर मुहम्मद एवं अजित कुमार ने अपने उद्गार व्यक्त किये और अपनी-अपनी ओर से डॉ. उपहार भेंट किये।
महाविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारी बिजेंद्र कुमार सिंह ने भोजपुरी में ‘पूरा भईल के समईया हो, अवकाश ग्रहण के दिन आ गइल’ गाकर सभी को भावुक कर दिया। भोजपुरी गीत सुनने के बाद संचालक ने छपरा के भोजपुरी कवि प्रो. एच. के. पाण्डेय को याद किया, जो कि जगदम महाविद्यालय, छपरा से अंग्रेजी के प्राध्यापक सह प्रभारी प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे और आज उनकी बेटी डॉ. वसुंधरा पाण्डेय, जगलाल चौधरी महाविद्यालय, छपरा से सेवानिवृत्त हो रही हैं। डॉ. पुष्पलता हँसडक ने इतना ही कहा कि पिछले जिन परिस्थितियों का मैंने सामना किया है, यदि मैंडम नहीं होतीं तो शायद सम्भव नहीं होता और आज मैं भी जिंदा नहीं होती। वे आगे कुछ बोलती की भावुक हो गईं, और फुट-फुट कर रोने लगीं। उन्हें देखकर हर किसी के आंखों में आँसू आ गए।
डॉ. सावन रॉय ने कहा कि मैं पिछले सात सालों से इस महाविद्यालय में हूँ और यहाँ मेरे अभिभावक की कमी मैंडम कभी खलने नहीं दीं। उन्होंने आगे कहा कि मेरी एक माँ पश्चिम बंगाल में है तो दूसरी मां छपरा में है। जगदम महाविद्यालय, छपरा में कार्यरत डॉ. सतेन्द्र कुमार ने कहा कि मैंडम का व्यवहार व अपनत्व ऐसा है कि मैंम की बजाय मॉम कहने का मन करता है। शिक्षक संघ के सचिव डॉ. पवन कुमार प्रभाकर ने कहा जगलाल चौधरी महाविद्यालय को अग्रणी बनाने में आगे भी मैंडम की जरूरत पड़ेगी और हमलोग हमेशा सहयोग की अपेक्षा रखेंगे। डॉ. संदीप कुमार यादव ने बताया कि तीन साल पहले यह महाविद्यालय खण्डहर जैसा लगता था लेकिन डॉ. वसुंधरा पाण्डेय ने जिस तरह से इसे चमकाया और फूल-पौधों से सुसज्जित किया है, वह काबिले तारीफ है। अर्थपाल डॉ. मो. जियाउल होदा अंसारी ने कहा कि मैं अर्थपाल बना तो बहुत डरा-सहमा हुआ था लेकिन मैंडम ने मुझे काम करने और जीवन जीने का तरीका सीखा दिया है, जिसके लिए सदा आभारी रहूँगा।
अनिल कुमार ने तो कहा कि सात साल की नौकरी में चार साल ऐसा रहा है, जैसे मैं किसी कॉलेज में शिक्षक नहीं बल्कि कारागार में कैदी था लेकिन पिछले तीन सालों में मैंने कॉलेज में कॉलेज बहुत सुखद महसूस किया और कॉलेज के हर काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया साथ ही मेरे व्यक्तिगत जीवन में भी परिवर्तन आया, जिसमें प्रिंसिपल मैंडम का अहम योगदान है। डॉ. कुमारी मनीषा ने कहा कि विदाई एक सफ़र की शुरुआत होती है। डॉ. रामनाथ ने बताया कि मैं इस महाविद्यालय में अंधकार भी देखा हूँ और प्रकाश का भी साक्षी रहा हूँ।
डॉ. अवधेश कुमार ने कहा कि पिछले सात सालों में मैंने कभी डॉ. वसुंधरा पाण्डेय के चेहरे पर गुस्सा नहीं देखा, जो कि हर किसी के लिए अनुकरणीय है। भारत डायनेमिक पब्लिक स्कूल, कोपा के डायरेक्टर जितेन्द्र कुमार ने बताया कि मेरे विद्यालय का शुभारंभ मैंडम के हाथों हुआ है और आज प्रगति के पथ पर अग्रसर है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश पाल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सूर्यदेव राम ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन के दौरान डॉ. सूर्यदेव ने कहा कि मैंडम अपने घर में कभी कुदाल व टोकरी नहीं उठाई होंगी लेकिन इस महाविद्यालय के विकास हेतु वे कुदाल और टोकरी भी उठाई हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी शिक्षकों के साथ डॉ. वसुंधरा पाण्डेय ने महाविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया। कार्यक्रम में उपर्युक्त वक्ताओं के अतिरिक्त सुकृति, राकेश कुमार सिंह, मोनू कुमार, पल्लवी कुमारी, प्रिया कुमारी सहित सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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