*मुख्यमंत्री गहलोत व राठौड़ की चुप्पी
* लाल डायरी का रहस्य सभी जानने को बेताब
* बर्खास्त मंत्री बर्खास्तगी के बाद क्यों पोल खोली
बिहार न्यूज़ लाइव जयपुर /(हरिप्रसाद शर्मा) लाल डायरी को लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक हंगामा मचा है। राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगों में भी इस बात की उत्सुकता है कि आख़िर इस डायरी में क्या कुछ है। इसको लेकर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्ष सहित विभिन्न राजनीतिक दलों में क्यों चर्चा की जा रही है।
जैसा कि कहा जा रहा है कि लाल डायरी में आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ द्वारा दैनिक गतिविधियों के बारे में विवरण है। इस विवरण में क्या कुछ है इसको लेकर भी रहस्य बना हुआ है।
विधानसभा में सोमवार को बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा इस विवादित डायरी को लेकर सदन में पहुंच गए। शून्यकाल की शुरुआत में ही उन्होंने डायरी को लहराते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से अपनी बात विधानसभा में रखने की मांग की। कुछ देर तक राजेंद्र गुढ़ा अपने स्थान पर ही डायरी को लहराते रहे ।जब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने उन्हें अपनी बात कहने की अनुमति नहीं दी ,तो वे आसन के समक्ष आकर लाल डायरी को लहरा कर मांग कर रहे थे कि उन्हें अपनी बात कहने दी जाए। इस मामले को लेकर डॉ. सीपी जोशी और राजेंद्र गुढ़ा के बीच काफी नोकझोंक व गहमागहमी बहस भी देखने को मिली। उन्होंने अपने अंदाज में राजेंद्र गुढ़ा को फटकार लगाते हुए कहा कि वे अपने मर्यादा में रहकर बात कहें उन्होंने कई बार नाम भी पुकारा लेकिन राजेंद्र गुढ़ा पर कोई असर नहीं हुआ। वे अपनी बात पर अड़े रहे। डायरी को सदन में लहराते रहे ।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी ने इस बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक नारायण बेनीवाल का नाम पुकार कर स्थगन प्रस्ताव के तहत अपनी बात कहने को कहा। भाजपा के विधायकों द्वारा इस बीच राजेंद्र गुढ़ा के पक्ष में आकर नारेबाजी करने लगे । विधानसभा में हंगामे की स्थिति के बीच नारायण बेनीवाल ने विवादित लाल डायरी का जिक्र किया और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की। शोर-शराबे के बीच उन्होंने अपनी बात भी विधानसभा में रखी। इसी बीच राजेंद्र गुढ़ा ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल द्वारा आपत्ति करने के लिए खड़े हुए कि उन्होंने उनका माइक नीचे कर दिया इससे स्थिति ओर ज़्यादा विवादित हो गई। कांग्रेस के विधायक रफीक खान ने पलटवार करते हुए राजेंद्र गुढ़ा से हाथापाई शुरू कर दी कुछ देर में लाल डायरी छीन ली गई और उसे फाड़कर खत्म करने का प्रयास किया गया। यही नहीं इस विवाद में तीन मंत्री और 2 दर्जन से अधिक विधायकों ने राजेंद्र गुढ़ा पर धावा बोल दिया बताया । हाथापाई होने से स्थिति और अधिक बिगड़ी तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी ने मार्शल के माध्यम से राजेंद्र गुढ़ा को बाहर निकालने के आदेश दिए । यही नहीं डॉ. सीपी जोशी ने विधानसभा की कार्रवाई भी स्थगित कर दी।
आखिर लाल डायरी में क्या कुछ है यह तो कौन बता सकता है । लाल डायरी वर्तमान में है या जला दी गई यह भी रहस्य बना हुआ है।
आखिर राजेंद्र गुड़ा ने लाल डायरी के बारे में मंत्री की बर्खास्तगी के बाद क्यों पोल खोली। इससे पहले लाल डायरी की बात तो करते थे लेकिन क्या कुछ है बताने की तैयार नहीं थे। अब निश्चित तौर पर लाल डायरी चर्चा में है यह चर्चा आम से खास तक है। अब सवाल यह उठता है कि जिसकी डायरी है और उन्होंने लाल डायरी में क्या कुछ लिखा है उसको लेकर चुप्पी क्यों साध रखी है ? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी स्थितिस्पष्ट करने की जगह चुप्पी साधे हुए हैं। जैसा राजेंद्र गुढ़ा कहते हैं कि मैंने मुख्यमंत्री गहलोत के लिए बहुत बड़ा काम किया था। लेकिन मिला कुछ भी नहीं। अब उनकी यह बात कोई माने कैसे कि उन्होंने क्या कुछ किया।
इस बात के भी क़यास लगाए जा रहे हैं कि क्या ईडी और आयकर विभाग इस मामले को लेकर कुछ कार्यवाही कर सकता है। अगर ईडी चाहेगी तो राजेंद्र गुढ़ा को बुलाकर उनके बयान दर्ज भी कर सकती है। इस बयान के दर्ज होने के बाद निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री गहलोत और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को बयान लिए जा सकते हैं। लेकिन फ़िलहाल कुछ कहना संभव नहीं है स्थिति गंभीर है और लाल डायरी चर्चा में है। डायरी पर सियासत जारी है । विपक्ष इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने में रणनीति तैयार कर रहे है । कहा जा रहा कि 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीकर के आगमन पर यहाँ जनसभा को संबोधित करने आ रहे हैं निश्चित ही यह मुद्दा उठाया जाएगा ।
जब तक लाल डायरी का रहस्य लोगों के सामने नहीं आ जाता है । लाल डायरी में किसके नाम है, किसका हिसाब है । किसको कितने दिये । इस रहस्य पर सियासत जारी रहेगी ।
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