हाजीपुर: स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी पं0 जयनंदन झा की 45वीं पुण्यतिथि के अवसर पर परिचर्चा व सम्मान समारोह आयोजित
बिहार न्यूज़ लईव हजीपुर डेस्क: डॉ० संजय (हाजीपुर)- ऐतिहासिक गांधी आश्रम पार्क परिसर में बिहार के वैशाली से आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले सत्याग्रही पं जयनंदन झा की 45वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी स्मृति में पं0 जयनंदन झा फाउंडेशन द्वारा परिचर्चा सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह का उद्घाटन सिक्किम के पूर्व राज्यपाल, गंगा प्रसाद, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन,पटना के अध्यक्ष, डॉ अनिल सुलभ, रेड क्रॉस सोसाइटी, बिहार के उपाध्यक्ष एवं स्काउट एण्ड गाइड, बिहार के अध्यक्ष,
उदय शंकर,मानवाधिकार पत्रकारिता के संवाहक, डॉ शशि भूषण कुमार, पूर्व सांसद प्रतिनिधि,हाजीपुर,अवधेश कुमार सिंह, संतोष कुमार सिंह, जगजीत सिंह, डॉ सुबोध कुमार और पंडित जयनंदन झा फाउंडेशन के अध्यक्ष,डॉ आनंद मोहन झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।कार्यक्रम में
पूर्व राज्यपाल,गंगा प्रसाद ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पं0 जयनंदन झा मानवतावाद व लोकतंत्र के समर्थक थे तथा उन्हें स्वतंत्र भारत से कम कुछ मंजूर नहीं था। इसलिए उन्होंने महात्मा गांधी की राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा से ओतप्रोत होकर आजादी की लड़ाई में सरकारी सेवा से त्यागपत्र देकर कूद पड़े। पं. जयनंदन झा भारत के प्रमुख सत्याग्रहियों में शुमार किए जाते हैं। हमें उनके विचारों का अनुसरण करना चाहिए।बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष,डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों में पंडित जय नंदन झा का नाम प्रमुखता और आदर के साथ लिया जाता है। हमें उनकी जयंती या पुण्यतिथि वृहत स्वरूप में सामाजिक स्तर पर, राज्य स्तर पर मनाने की आवश्यकता है ताकि उनके व्यक्तित्व तथा कृतित्व को अधिकाधिक संख्या में लोग जान सके। इस समारोह के स्वागताध्यक्ष, डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि पं0 जयनंदन झा परतंत्रता के घोर विरोधी थे। उन्होंने सत्याग्रही और अहिंसात्मक विचार को आत्मसात कर आजाद भारत के विचार को जन-जन तक पहुंचाया।
समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित पूर्व सांसद प्रतिनिधि,अवधेश कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पं जयनंदन झा ने आज़ादी की लड़ाई में अपना सबकुछ दांव पर लगाकर पूरे समर्पण के साथ भाग लिया था। उनके आग्रह पर ही महात्मा गांधी हाजीपुर आए थे और इस क्रम में उन्होंने इस स्थल की नींव रखी थी।इस स्थल पर उन्होंने प्रवास किया था और वर्तमान में गांधी आश्रम कहा जाता है।
इनकी प्रेरणा से हाजीपुर क्रांतिकारियों का मुख्य केंद्र बन गया। कार्यक्रम में उपस्थित रविन्द्र कुमार रतन ने अपने संबोधन में कहा कि पं0 जयनंदन झा कविराज के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने गांधीजी के सत्याग्रही विचारधारा से प्रभावित होकर सत्याग्रह के विचार को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया। साहित्यकार अखौरी चंद्रशेखर ने कहा कि पं0 जयनंदन झा वर्ष 1920 में विद्यालय की सेवा छोड़ कर महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। हाजीपुर से थोड़ी दूर स्थित राजापाकर गांव में उन्होंने पहली बार राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण भाषण दिया।
हमें हमेशा अपने पूर्वजों का आदर करना चाहिए और पं0 जयनंदन झा के पौत्र डॉ. आनंद मोहन झा ने इस समारोह को आयोजित कर एक बेहतर परंपरा की शुरुआत की है। समारोह में उपस्थित भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष,संतोष कुमार सिंह ने कहा कि पं0 जयनंदन झा ने इस पूरे क्षेत्र में गांधी जी के सत्याग्रह से लोगों को परिचय कराते हुए राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया। उनकी नज़र में सबसे बड़ा धर्म व सेवा राष्ट्रसेवा है। वे बिहार के धरोहर थे। डॉ सुबोध कुमार ने कहा कि हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानना चाहिए और उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए।
इस कार्यक्रम के अध्यक्ष, डॉ आनंद मोहन झा ने कहा कि मेरे दादाजी पं0 जयनंदन झा का प्रभाव मेरे व्यक्तित्व पर है। हमारा फाउंडेशन उनके सपनों को साकार करने के लिए संकल्पित है। मंच संचालन अमित कुमार ‘विश्वास’ ने किया।
समारोह में स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से आए सदस्यों को स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी सम्मान – 2023 से सम्मानित किया गया
जिनमें ज्योति सिंह, जयप्रकाश गुप्ता उर्फ नक्कू गुप्ता, शशि भूषण सिंह, सुरेश सिंह, पुरुषोत्तम कुमार थे। इस अवसर पर समाज को बेहतर दिशा देने वाले समाजसेवियों को पं0 जयनंदन झा जनसेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।जनसेवा सम्मान-2023 से सम्मानित होनेवाले में रविन्द्र कुमार रतन, अखौरी चंद्रशेखर, डॉ राजीव कुमार, संतोष कुमार सिंह, विश्वनाथ जी, राज कुमार पासवान, डॉ सुरेश प्रसाद सिंह, विमल प्रसाद सिंह, नंदेश्वर सिंह,डॉ० संजय ‘विजित्वर’, प्रो चन्द्र भूषण सिंह,
कुंदन कृष्णा, अलका श्री, चंदा जेशना, कविता नारायण, लालदेव सिंह थे।
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