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भाजपा में भूचाल-एनडीए नेताओं के चेहरे से नकाब उतर गया

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बिहार न्यूज़ लाइव पटना डेस्क:  राजद कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को अन्य प्रवक्ताओं के साथ सम्बोधित करते हुए राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने एकमुश्त एक लाख बीस हजार शिक्षकों को नौकरी देकर एक नया कीर्तिमान स्थापित करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन की सरकार को बधाई देते हुए कहा है कि भाजपा और एनडीए नेताओं द्वारा दिए जा रहे अनर्गल बयानों से युवाओं और महिलाओं के प्रति उनके सोच को उजागर कर दिया  है।
            राजद प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी जी ने 2020 के विधानसभा चुनाव के समय जनता से जो वादे किए थे और 15 अगस्त 2022 को गांधी मैदान में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नीतीश कुमार जी ने जो घोषणा किया था उसे पुरा कर भाजपा को बेनकाब कर दिया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया गया था उसे जुमला करार कर दिया गया। 2020 के विधानसभा चुनाव के समय केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वादा किया था कि बिहार में यदि एनडीए की सरकार बनी तो 19 लाख नौकरियां दी जाएगी। वह भी जुमला बन कर रह गया। 14 जून 2022 को प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा घोषणा की गई थी कि आगामी अठारह महीने में दस लाख नौकरी देंगे। सत्रह महीने बीत गए अभी तक उसके आधे को भी नौकरी नहीं दिया गया। हालांकि इनमें से अधिकांश की नियुक्ति प्रक्रिया केन्द्र में भाजपा के सत्ता में आने के पहले यूपीए सरकार के समय हीं शुरू हो चूकी थी।
        उन्होंने कहा कि जो सुशील मोदी जी पहले तेजस्वी जी पर कटाक्ष करते हुए कहते थे कि पैसा कहां है जो नौकरी देंगे । वे और उनके कुछ शागिर्द अब फर्जी आंकड़ों द्वारा डोमिसाइल के नाम पर भ्रम पैदा कर रहे हैं।‌जबकी मात्र 12 प्रतिशत अभ्यर्थी हीं दूसरे राज्य के हैं यानी 88 प्रतिशत चयनित अभ्यर्थी बिहार के हैं।। यदि डोमिसाइल नीति लागू भी रहता तो भी बिहार के 90 प्रतिशत अभ्यर्थियों का हीं चयन होता। दूसरे राज्यों के चयनित अभ्यर्थियों में सर्वाधिक संख्या भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के हैं। भाजपा वाले जिस गुजरात मॉडल की चर्चा करते हैं वहां के अभ्यर्थी को भी शिक्षक की नौकरी के लिए बिहार आना पड़ा है।
    राजद प्रवक्ता ने कहा कि प्रायोजित तरीके से भाजपा नेता   लेबर सप्लायर राज्य बता कर बिहार को बदनाम करते हैं जबकि गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में जिन टॉप पांच राज्यों हरियाणा, त्रिपुरा, गोवा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में सर्वाधिक बेरोजगारी बताया है उसमें बिहार शामिल नहीं है। सेन्टर फॉर इकोनॉमी और इंडियन कौंसिल ऑफ रिसर्च के आंकड़े बता रहे हैं कि जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में आती है वहां बेरोजगारी दर में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है।‌ और गैर भाजपा शासित राज्यों में कमी आ जाती है। 2014 में हरियाणा में बेरोजगारी दर 4.8 प्रतिशत था जो भाजपा शासन में बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया। 2018 में जब भाजपा राजस्थान में सरकार में थी तो बेरोजगारी दर 36.1 था जो 10 प्रतिशत घटकर अब 26 प्रतिशत हो गया। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में 2018 में जब सरकार भाजपा की थी तो बेरोजगारी दर 17.6 प्रतिशत था जो घटकर अब 4 प्रतिशत रह गया है। 2014 में जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी तो देश का बेरोजगारी दर 5.44 प्रतिशत था जो भाजपा राज में बढ़कर आज 10.04 प्रतिशत हो गया है। भाजपा के लिए नौकरी और रोजगार कोई मुद्दा नहीं है वह केवल नफरत, घृणा, दुष्प्रचार, घटिया प्रोपगंडा और भावनात्मक मुद्दों की राजनीति करती है। जिसका परिणाम है कि देश आज बेरोजगारी दर के मामले में विश्व के पांच टॉप देशों में शामिल है।
            राजद प्रवक्ता ने कहा कि नौकरी और रोजगार को तेजस्वी यादव जी ने जब मुद्दा बनाया और नीतीश कुमार जी ने इसे कार्यरूप देने का अभियान शुरू किया है तो भाजपा की नफरती राजनीति के पैर बिहार से उखड़ने लगे हैं और इसी छटपटाहट में उसके एवं उसके संपोषित नेताओं द्वारा शिक्षक नियुक्ति के बारे में बगैर किसी प्रमाणिक आधार के चयन प्रक्रिया के बारे में अनर्गल बयानबाजी की जा रही है। साथ हीं  बीपीएससी के चयन प्रक्रिया पर तथ्यहीन सवाल खड़े कर नव चयनित शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है। जबकि रेकॉर्ड समय में शिक्षक बहाली की जो प्रक्रिया अपनाई गई है इससे सरकारी विधालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी साथ हीं लगभग आधी हिस्सेदारी महिलाओं को मिला है जिससे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।भाजपा नेताओं में यदि थोड़ी भी लाज और शर्म बचा हो तो उन्हें दूसरों से सवाल करने के बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

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