बिहार न्यूज़ लाइव अररिया डेस्क वरीय संवाददाता अंकित सिंह। अररिया। ये पब्लिक है सब जानती है…1974 में रिलीज हुई फिल्म रोटी का यह गीत इन दिनों चुनावी माहौल में सटीक बैठ रहा है। फाल्गुन के इस महीने में सुबह-सुबह चाय की दुकानों पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेते लोग प्रत्याशियों की जीत-हार का समीकरण बिठा रहे हैं। राजनीतिक दलों ने अपनी सत्ता में कितना और क्या काम किए हैं। इससे मतदाता अनजान नहीं है। इस समय चाय-पान की दुकानों व चौराहों से लेकर गलियों में कहीं भी चार लोगों के इकट्ठे होते हीं चुनावी चर्चाओं का सिलसिला शुरू हो जा रहा है। मतदाता सरकार के साथ हीं प्रत्याशियों के व्यवहार और उनके कार्यों को देख उनकी जीत का गणित लगाने में लगे हैं।
गली-मोहल्लों में भी चुनावी माहौल
लोकसभा चुनाव को लेकर शहर से लेकर गांव व कस्बों में चुनावी माहौल बना है। ऐसे में लोग लोकसभा वार अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत-हार के कयास लगा रहे हैं। यहां तक की बाजार व सरकारी कार्यालयों में भी इन दिनों चुनावी माहौल की हीं चर्चाएं चल रही है।
टटोली मतदाताओं के मन की बात
इन दिनों केवल चुनावी चर्चाओं का बाजार गर्म। घरों के भीतर से लेकर बाजारों,दफ्तरों तक बस एक हीं चर्चा। इस बार कौन जीतेगा,मतदाता प्रत्याशियों के व्यवहार और उनके कार्यों को देख उनकी जीत का गणित लगाने में लगा है। हर चौक-चौराहे के अपने अनुमान व अपने-अपने दावे हैं। कोई कह रहा है बीजेपी आ रही है तो कोई ताल ठोककर कह रहा है कि राजद की वापसी तय है,तो कोई निर्दलीय के बारे में अपनी राय रख रहे हैं। उधर,मतदाता के मन की बात जानने हमारी टीम ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में निकली तो सामने आया कि मतदाता वोट करने को लेकर उत्साहित हैं। कुछ मतदाता अपने दिल की बात खोलना नहीं चाहते। कुछ परिवर्तन की चाहत रखते हैं। वहीं कुछ ने प्रत्याशी का व्यवहार देखकर वोट देने की बात कही।
नेताजी के पास अब केवल 47 दिन का समय
जिले में चुनाव प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है। जिले में तीसरे चरण में 7 मई 2024 को होने वाले मतदान के लिए अब केवल 47 दिन शेष है। अररिया जिले के लोकसभा सीटों पर चुनावीरण में अलसवेरे जल्दी उठकर कार्यकर्ताओं के साथ मतदाताओं के बीच पहुंचने के लिए रवाना हो जाते हैं। उनका खाना-पीना व चाय-नाश्ता सभी मतदाताओं के बीच हीं हो रहा है।
प्रत्याशियों के रिश्तेदार भी जुटे प्रचार में
प्रत्याशियों के जनसम्पर्क में तेज आने के साथ हीं उनके परिजन भी जनसम्पर्क में जुटे हैं। प्रत्याशियों की पत्नी,बहु,बेटे,भाई व भाभी सहित अन्य रिश्तेदार गांवों व शहर की गलियों में जाकर प्रचार कर रहे हैं। वहीं आमजन से अपने पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि अररिया बिहार राज्य के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह बिहार के 38 जिलों में से एक है। अररिया में प्रशासनिक मुख्यालय है। यहां से पर्वत कचनजंगा को देखा जा सकता है। इस क्षेत्र से कोसी,सुवाड़ा,काली,परमार और कोली नदियां बहती हैं। यह इलाका नेपाल की तराई से सटा हुआ है। यह जिला प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की कर्मभूमि रहा है। प्रदेश की राजधानी पटना से यह क्षेत्र करीब 322 किलोमीटर दूर है,जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 1323 किलोमीटर है। बताया जाता है कि अररिया सीट आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस का गढ़ बनी रही। इसके बाद जनता दल और फिर बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की। वर्तमान हालात में एमवाई समीकरण के कारण आरजेडी की यहां काफी मजबूत स्थिति है। अररिया में वोटरों की कुल संख्या लगभग 1,311,225 है। इसमें से महिला मतदाता 621,510 और पुरुष मतदाता 689,715 हैं। अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। नरपतगंज,रानीगंज,फारबिसगंज,अररिया,जोकिहाट और सिकटी। अररिया सीमांचल क्षेत्र का हिस्सा है और यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल है। 45 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम और यादव मतदाता यहां है।
इस सीट के इतिहास पर अगर नजर डालें तो 1967 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के तुलमोहन सिंह ने चुनाव जीता था। इसके बाद फिर 1971 के चुनाव में भी वे विजयी रहे थे। 1977 में यहां से भारतीय लोक दल के महेंद्र नारायण सरदार जीते थे। इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के डुमर लाल बैठा के हाथ जीत लगी थी। इसके बाद के तीन चुनावों 1989,1991 और 1996 में जनता दल के टिकट पर सुखदेव पासवान इस सीट से जीतकर दिल्ली पहुंचे थे। वहीं 1998 में बीजेपी के रामजी दास ऋषिदेव जीते थे। फिर 1999 के चुनाव में सुखदेव पासवान आरजेडी के टिकट पर जीते,लेकिन 2004 के चुनाव में सुखदेव पासवान बीजेपी के खेमे से उतरे और फिर इस सीट पर कब्जा किया था। 2009 के चुनाव में बीजेपी ने प्रदीप कुमार सिंह को उतारा और ये सीट जीतने में फिर कामयाब रही थी।
2019 का जनादेश
2019 अररिया लोकसभा सीट पर 62.38 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी प्रदीप सिंह 6,18,434 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। उन्होंने राजद के नेता सरफराज आलम को हराया था। सरफराज आलम को 4,81,193 वोट मिले थे। वहीं बीएमयूपी के उम्मीदवार ताराचंद्र पासवान मात्र 7,266 वोट हासिल कर पाए।
2018 उपचुनाव का नतीजा
मार्च 2018 के उपचुनाव में अररिया लोकसभा सीट पर कुल सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। लेकिन सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के सरफराज आलम और भाजपा-जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवार प्रदीप सिंह के बीच था। भाजपा के प्रदीप सिंह को 4,47,546 वोट मिले और राजद प्रत्याशी सरफराज आलम को 5,09,334 वोट मिले। सरफराज आलम 6,17,88 वोटों से ये चुनाव जीत गए थे।
2014 चुनाव का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर आरजेडी ने फतह हासिल की थी जब मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था। तस्लीमुद्दीन को 41 प्रतिशत वोट मिले थे। इस चुनाव में आरजेडी के तस्लीमुद्दीन को 4,07,978, बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को 2,61,474, जेडीयू के विजय कुमार मंडल को 2,21,769 और बीएसपी के अब्दुल रहमान को 17,724 वोट मिले थे। 2014 में इस लोकसभा सीट पर 60.44 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
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