जिले में एनबीएस की सफलता को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का किया जा उन्मुखीकरण
लोगों को जागरूक करने के लिए चलाया जाएगा विशेष प्रचार प्रसार अभियान:
फोटो 03 जानकारी देते स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी
बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क छपरा कार्यालय।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में फाइलेरिया के नए मरीजों की खोज की जाएगी। इसके लिए 26 दिसंबर से जिले में नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत की जानी है। सर्वे में लोगों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे और इसमें फाइलेरिया परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा। राज्यस्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देश पर सर्वे से पूर्व जिला के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लैब टेक्नीशियनों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना है। जिसके लिए जिला स्तर पर 23 दिसंबर को मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है। प्रशिक्षण में मुख्य रूप से सभी प्रखंडों के लैब टेक्नीशियन, सीएचओ और वीबीडीएस के लिए ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न प्रखंडों के लैब टेक्नीशियन को शामिल किया जाना है। जिसमें लैब टेक्नीशियन को बताया जाएगा कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान किस प्रकार खून के सैंपल लेने हैं और किस प्रकार से माइक्रोस्कोप में जांच करनी है।
एनबीएस की सटीक रिपोर्ट के आधार पर ही आईडीए होगा सफल: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिले से फाइलेरिया को पूरी से मिटाने के लिए आईडीए कार्यक्रम बेहद जरूरी है। लेकिन आईडीए तभी सफल होगा, जब वहां एनबीएस का रिपोर्ट सटीक आएगा। नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता। उन्होंने बताया कि एनबीएस को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण किया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने जिले के चयनित गांव के वासियों से एनबीएस को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील की।
प्रत्येक साइट लिए जायेंगे 300 ब्लड सैंपल: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जिला में 26 दिसंबर से नाइट ब्लड सर्वे होगा। इसके लिए लैब टेक्नीशियन का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा। प्रशिक्षण में दो बैच बना कर लैब टेक्नीशियन को ट्रेनिंग दी जा जाएगी। उन्होंने बताया नाइट ब्लड सर्वे के लिए 20 प्रखंड के सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत नाइट ब्लड सर्वे कार्य होगा। जिसके लिए जिले में 20 सेंटिनल और 20 रैंडम साइट बनाए गए हैं। साथ ही, सदर प्रखंड के शहरी इलाके के लिए भी एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट का चयन किया गया है। जहां पर रात्रि में रक्त के नमूने लिए जाएंगे। एक सेशन साइट से 300 लोगों के रक्त नमूने लिए जाएंगे। दो सेशन साइट से कुल 600 रक्त के नमूने जांच के लिए लिए जाएंगे। प्रत्येक नाइट ब्लड सर्वे में 20 वर्ष आयु वर्ग से अधिक उम्र के लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे।
माइक्रो फाइलेरिया पाए जाने पर चलेगा एमडीए अभियान: डीवीबीडीसी सलाहकार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार
(डीवीबीडीसी) सलाहकार सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि सर्वे के दौरान जिन इलाकों व गांवों में एक प्रतिशत से अधिक माइक्रोफाइलेरिया के संक्रमण की पुष्टि होगी वहां पर पर सर्वजन दवा सेवन के तहत आईडीए कार्यक्रम चला जाएगा। एक प्रतिशत से कम आने पर उस जगह पर आईडीए कार्यक्रम नहीं चलेगा। इस बीमारी में लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है। जिसकी जानकारी सभी लोगों को होनी चाहिए। कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना, शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन, हाथ, पैरों में सूजन (हाथीपांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) तथा महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है। संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं। जिसके कारण इसका पता लोगों को देर से चलता है।
बचाव के लिए ये करें:
– लक्षण दिखाई देने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
– फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल कर बचा जा सकता है।
– फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
– साफ़ सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
– रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
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