डॉ० संजय (हाजीपुर)- ऐतिहासिक गाँधी स्मारक पुस्तकालय परिसर में शुक्रवार को स्व0 उषा वर्मा तथा स्व0 धूपेन्द्र प्रसाद का सातवाँ स्मृति दिवस श्रद्धा पूर्वक मनाया गया तथा ‘सार्थक सेवा,बुजुर्गों की सेवा’ विषयक परिचर्चा हुई जिसकी अध्यक्षता डॉ० शिव बालक राय प्रभाकर ने की जिसपर उपस्थित बुद्धजीवियों ने अपने- अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर सर्वप्रथम आगत वुद्धिजीवियों ने स्व0 उषा वर्मा तथा स्व0 धूपेन्द्र प्रसाद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इसके बाद कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ० संजय ‘विजित्वर’ ने स्व0 उषा वर्मा तथा स्व0 धूपेन्द्र प्रसाद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि स्व0 उषा वर्मा कुशल गृहणी के साथ-साथ जनवादी महिला मोर्चा के लिए कई वर्षों तक सेवा दी,वहीं स्व0 धूपेन्द्र प्रसाद मितभाषी, व्यहार कुशल थे।शिक्षा विभाग में सेवारत रहे तथा अवकाश प्राप्ति के उपरान्त सामाजिक कार्यकलापों में सहभागिता दिखाई। इस क्रम में वरिष्ठ कवि, शंभु शरण मिश्र ने सार्थक सेवा बुजुर्गों की सेवा विषय पर अपने संबोधन में बताया कि सामाजिक विसंगतियों के कारण बुजुर्गों का जीवन कष्टप्रद बनता जा रहा है। वरिष्ठ कवि, डॉ० नंदेश्वर सिंह ने कहा कि बुजुर्ग सभ्यता और संस्कृति के संवाहक होते हैं ।
यदि बुजुर्गों की समुचित सेवा नहीं होती है तो हमारी सभ्यता और संस्कृति में ह्रास ही माना जायेगा। शिक्षक, उमेश कुमार निराला ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और एकल परिवार के कारण बुजुर्गों के सम्मान में कमी आ रही है जो चिन्ताजनक है।साहित्यसेवी, मेदिनी कुमार मेनन ने कहा कि बुजुर्ग हमारे लिए आदर्श होते हैं और उनके प्रति संतानों को शरणापन्न भाव होना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता, राजेश कुमार शर्मा ने कहा कि निम्न इच्छाशक्ति तथा विसंगतियों के कारण इन दिनों बुजुर्गों को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता सोनू सिंह आर्य ने बताया कि समाजसेवा सबसे बड़ा पुण्य का काम है और विशेष रूप से बुजुर्गों के प्रति सेवा भाव दर्शाना हमारी शिक्षा तथा संस्कार का द्योतक है।पटना से पधारे स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र डॉ० आनंद मोहन झा ने बताया कि संतानों को चाहिए कि बुजुर्गों के लिए जीवन भर श्रद्धा-भक्ति दिखाये और उनके स्वर्ग सिधारने के बाद भी उनके लिए एक आदर्श बनकर दिखलाये। साहित्यकार, डॉ० महेन्द्र प्रियदर्शी ने बताया कि बुजुर्गों की सेवा ही सच्ची समाजसेवा है। इसलिए युवाओं में यह भावना होनी चाहिए कि वे बुजुर्गों को सम्मान दें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ० शिव बालक राय प्रभाकर ने बताया कि स्वर्गीय धूपेन्द्र प्रसाद सादा जीवन जीने वाले तथा काफी ईमानदार व्यक्ति थे। शिक्षा विभाग से जुड़े रहने के कारण उन्हें करीब से जानने का मौका मिला। स्व0 उषा वर्मा की निडरता तथा सामाजिक क्रियाशीलता की चर्चा सुनता रहता था। हमारा समाज आदर्श के पथ पर तभी हो सकेगा जब बुजुर्गों के प्रति प्रत्येक संतान सच्ची श्रद्धा और निष्ठा दर्शावे। सुशांत शेखर ने आगत वुद्धिजीवियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर शुभी, सिल्की, बाबू साहेब, सुधीर कुमार सिंह तथा रोहित की भी उपस्थिति रही।
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