बिहार न्यूज़ लाइव /: कहा जाता है कि किसी भी इंसान को सोच समझकर बात करनी चाहिये…. क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि खुद के द्वारा कही बात खुद पर ही भारी पड़ जाए. वहीं कुछ धार्मिक लोग तो यह भी कहते हैं कि कभी कभी जीभ पर सरस्वती सवार होकर कुछ ऐसा कहवा देती हैं जो सही हो जाता है. दरअसल आज इन सब बातों को कहने की वजह राहुल गांधी हैं. गौरतलब है कि राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ हमला बोलने के चक्कर में कुछ ऐसा कह दिया कि आज उनका राजनीतिक भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है.
यानी कि प्रधानमंत्री बनने के लिए नरेंद्र मोदी की राह में जो सबसे बड़ी चुनौती हैं…. वह बिना लड़े ही रेस से बाहर होते नजर आ रहे हैं. आलोचकों के अनुसार इसके लिए लोग भले ही मोदी या कोर्ट को निशाने पर लें लेकिन सच्चाई यह है कि इसका असली दोषी खुद राहुल गांधी ही हैं जो भावना में बहकर शब्दों की मर्यादा भूल गए. वैसे राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले भी कुछ ऐसा बयान दिया जिसकी वजह से लोग उनका मजाक उड़ाने लगे….. लेकिन अंत में उनका यह बयान भी सही हो गया. जिस पर अब भाजपा ने फिर से तंज कसा है. दरअसल बीते दिनों राहुल गांधी ने कहा था कि दुर्भाग्य से मैं सांसद हूं ….इसके बाद जयराम रमेश के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से मैं आपका सांसद हूं.
यानी कि उन्होंने सांसदी को दुर्भाग्य से जोड़ा …. जो अंत में उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो गया. ऐसे में बीजेपी ने राहुल गांधी को ‘UNFORTUNATELY an MP!’ वाला बयान याद दिलाते हुए चुटकी ली है .बता दें कि कर्नाटक बीजेपी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा कि प्रिय राहुल गांधी, आपकी इच्छा पूरी हो गई है! कुछ दिन पहले, आपने स्वीकार किया था कि आप दुर्भाग्य से सांसद हैं! अब अदालत के फैसले ने आपकी इच्छा को भाग्य में बदल दिया. यानी की राहुल गांधी का दो बयान उन्हें भारी पड़ गया. हालांकि राहुल गांधी ने इस एक्शन के बाद भी हार नहीं मानी है. बता दें कि राहुल गांधी ने फैसले के करीब 3 घंटे बाद ट्वीट कर लिखा कि ….मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं और मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं. हालांकि राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं.
वहीं कांग्रेस ने एक्शन की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर किसी सांसद को अयोग्य घोषित कर सकते हैं. इस तरह राहुल गांधी प्रकरण में अभी आगे बहुत कुछ होना बाकी है. लेकिन इससे इतना तो साफ हो गया कि बड़े बुजुर्ग गलत नहीं कहते हैं कि व्यक्ति को अपने वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि इंसान का सबसे बड़ा मित्र और सबसे बड़ा शत्रु उसकी वाणी ही है.
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