शराबबंदी लागू होने के 7 साल बाद भी चल रहा अवैध शराब का धंधा
प्रशासन की सारी कोशिशें नाकाम
बिहार न्यूज़ लाइव सिवान डेस्क: नौतन। प्रदेश में शराबबंदी कानून को लागू हुए 7 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन 7 साल पूरे होने के बावजूद भी शराब का धंधा खूब फल फूल रहा है। प्रशासन द्वारा शराब के धंधे पर रोक लगाने की तमाम तरह की कोशिशें की जा रही है, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं
। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए दिन शराब की बरामदगी तथा शराबियों व शराब के धंधेबाजों की गिरफ्तारियां इस बात की पुष्टि करते हैं। गौरतलब है कि बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी करने के फैसले के बाद एक अप्रैल 2016 से प्रदेश भर में शराबबंदी कानून के लागू हो गया। लेकिन समाज के कुछ लोगों द्वारा ही इसे अमल में लाया गया।
बाकी शराब पीने वाले और इसका धंधा करने वाले ज्यादातर लोगों ने इसे मन से नहीं स्वीकार किया, जिसका नतीजा है कि इन सात सालों में अब तक शराब के धंधे में उपयोग की जाने वाली साइकिलें, मोटरसाइकिलें एवं चारपहिया सहित काफी संख्या में वाहन शराब के साथ जब्त किये गए हैं ।
साथ ही शराबियों एवं शराब कारोबारियों सहित सैकड़ों लोगों को जेल भी भेजा जा चुका है। उनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जो शराब पीने या इसके धंधे के मामले में एक से अधिक बार भी जेल जा चुके हैं। इनमें बिहार के अलावा सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के लोग भी शामिल हैं। शराब पीने के मामले में सिर्फ़ मजदूर एवं पिछड़े तबके के लोग ही नहीं हैं; बल्कि समाज के शिक्षित एवं सम्मानित ओहदे पर कार्यरत लोग भी शामिल हैं।
ऐसा समय-समय पर देखने को मिलता है। शराबबंदी कानून लागू होने के साथ ही पुलिस प्रशासन को इस कानून को अमली जामा पहनाने का जिम्मा सौंपा गया, जिस पर पुलिस प्रशासन पुरी तन्मयता के साथ कोशिश भी करता है। लेकिन शराब पीने के आदी हो चुके लोग एवं शराब के धंधेबाज पड़ोसी राज्यों की मदद से पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी के बावजूद भी पुलिस की नजरों में धूल झोंकने से नहीं चुकते हैं । ऐसा नहीं है कि पुलिस उन शराबियों और शराब कारोबारियों को पकड़ने में पूर्णतः विफल है।
पुलिस काफी हद तक शराबियों और शराब कारोबारियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजती रहती है। लेकिन फिर भी क्षेत्र में शराब का कारोबार पूर्णतया बंद नहीं हो पा रहा है। इस तरह से शराबबंदी कानून लागू होने के सात सालों बाद भी शराब का कारोबार चल रहा है, जिस पर लगाम लगाना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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