जमुई: जनाब यह बिहार है, रात के अंधेरे में भी खुलता है राजस्व कचहरी, बिचौलिया के कंधे पर राजस्व कचहरी की जिम्मेवारी, अधिकारी मौन।
बिहार न्यूज़ लाइव / मृगांक शेखर सिंह/जमुई डेस्क: बिहार में जमीन राजस्व का प्राइवेट मुंशी समानांतर सरकार संचालित कर रहे हैं।वे नक्सलियों की तरह अंचल के काम पर पूरी तरह अपना कब्जा जमा चुके हैं।
जमुई जिला अंतर्गत इस्लामनगर अलीगंज प्रखंड के राजस्व कचहरी रात के अंधेरे में भी अब खुलने लगा है। यह मैं नहीं कह रहा हूं यह तस्वीर बयां कर रही है। बता दें कि जमुई जिले के अलीगंज अंचल राजस्व कचहरी में मंगलवार की देर शाम कचहरी को खोलकर बिचौलिया रजिस्टर में छेड़छाड़ कर रहा था जिसका किसी व्यक्ति ने वीडियो बना लिया। वीडियो में बिचौलिया तुलसी राम नामक एक व्यक्ति मंगलवार की शाम 7:00 बजे के करीब एक व्यक्ति के साथ कार्यालय का ताला खोलकर वहां बक्से में रखे रजिस्टर टू से पंजी निकाल रहा था। बता दें कि जिस राजस्व कचहरी को बिचौलिया द्वारा रात में खोलकर सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ किया जा रहा था उन दस्तावेजों की जिम्मेवारी दरखा एवं अलीगंज पंचायत के राजस्व कर्मचारी अशोक राय के जिम्मे है। बताया तो यह भी जा रहा है कि राजस्व कर्मचारी अशोक कुमार विगत कई दिनों से अंचल एवं राजस्व कचहरी नहीं आ रहे है। फिर आखिर रात के अंधेरे में किसके आदेश से और कैसे बिचौलिया सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर रहा था। आखिर राजस्व कचहरी की ताला की चाबी इसको कहां से मिली। ऐसे कई सवाल हैं जो गहनता पूर्वक जांच के बाद राजस्व कर्मचारियों एवं बिचोलियों के कारनामों की पोल खुल सकती है।बिहार में जमीन राजस्व का प्राइवेट मुंशी समानांतर सरकार संचालित कर रहे हैं। वे नक्सलियों की तरह पूरी तरह अंचल के काम पर अपना कब्जा जमा चुके हैं। राजस्व का अधिकांश सरकारी पंजी और कागजात प्राइवेट लोगों के हाथ है। सरकारी कर्मी या अधिकारी मुश्किल से कभी इसपर नजर डालते हैं। नतीजा, प्राइवेट मुंशी की मनमर्जी इन कागजों पर खूब चलती है।जबकि इसके लिए एक रुपया भी सरकार से उनको नहीं मिलना है। यानी राजस्व का अधिकांश काम निजी लोगों के माध्यम से हो रहा है। ऐेसे में काम कितना सही और कितना गलत के साथ कितनी अवैध राशि का खेल होता होगा, इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा जा सकता है। एक हल्का कर्मचारी अपने कार्यालय में दो से तीन प्राइवेट मुंशी की बहाली किए हुए हैं। ये मुंशी कम, रैयतों से पैसा वसूली की बिचौलियागिरी ज्यादा करते है।जानकारी के अनुसार एक हल्का कर्मचारी के कार्यालय में रैयतों से हर महीने लाखों में वसूली होती है। हर कर्मचारी के पास से दो से तीन राजस्व ग्राम का प्रभार हैं। सूत्र बताते हैं कि कोई भी दाखिल-खारिज पांच से दस हजार रुपये से कम में नहीं होता है। एक-दो दाखिल खारिज करवाने वालों को यह पांच हजार रूपया से कम नहीं लगता है। यह सब तब होता है कि जब आपकी जमीन में कोई कागजी कम नहीं हो। किसी कमी पर 10 हजार से 80 हजार रूपये तक अवैध वसूली जमीन के एक-एक दाखिल-खारिज केस में होने की बात सामने आ चुकी है। पैसे का सारा खेल प्राइवेट मुंशी ही करता है। वह इस पैसे से कार्यालय का खर्च के अलावा ऊपर के अधिकारियों तक उसका कमीशन पहुंचाता है।जानकार बताते हैं राजस्व कर्मचारी एवं उनके द्वारा रखे गए प्राइवेट मुंशियो (दलाल) की मनमानी रवैया के कारण किसानों को अंचल कार्यालय व राजस्व कचहरी का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। विभिन्न क्षेत्रों के किसानों को ग्रामीणों ने नाम नहीं प्रकाशित करने के शर्त पर जानकारी दी कि राजस्व कर्मचारी के सह पर बिचौलियों की धांधली व मनमानी से हम लोग काफी परेशान हैं। जमीन संबंधित काम करवाने के लिए अंचल और राजस्व कचहरी कभी भी शायद ही बिना रुपए खर्च किए किसी का काम होता है। यदि गौर करें तो राजस्व कचहरी से लेकर अंचल कार्यालय तक भ्रष्टाचार में लिप्त है। यहां काम के हिसाब से सुविधा शुल्क तय है। इसे ना देने पर जरूरतमंदों को कचहरी व अंचल कार्यालय के महीनों चक्कर काटने पड़ते हैं। केंद्र व राज्य सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने को भले ही भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मिशन मोड में कार्रवाई जारी रहने की बात कह रही है।लेकिन जमुई जिले की इस्लामनगर अलीगंज अंचल कार्यालय व कचहरी में तैनात कर्मचारी को इस कार्रवाई का खौफ नहीं दिख रहा। यही कारण है कि बिना सुबिधा शुल्क दिए लोगों के काम पूरे नहीं होते। इसका ताजा उदाहरण लगभग बीते दो माह पूर्व भी इस्लामनगर अलीगंज कार्यालय कचहरी से जुड़ा था।जहां अंचल क्षेत्र अंतर्गत पुरसंडा पंचायत के सबसिनिया बीघा गांव के स्व गारो यादव की 50 वर्षीय पत्नी आशो देवी से रसीद काटने के नाम पर ₹18000 की मांग करने वाले पुरसंडा पंचायत के राजस्व कर्मचारी धनराज सिंह से जुड़ा था। महिला ने इस मामले की लिखित शिकायत आवेदन देकर अंचलाधिकारी अरविंद कुमार से किया था। संबंधित मामले में भी महिला को न्याय दिलाने में अंचलाधिकारी द्वारा कोई रुचि नहीं दिखाई गई।अंचलाधिकारी द्वारा स्पष्टीकरण मांगने पर कर्मचारी धनराज सिंह द्वारा जवाब भी नहीं दिया गया। लगता तो ऐसा है कि इन कर्मियों को कोई भी कार्रवाई का भय नहीं है। जिससे कर्मचारियों एवं प्राइवेट मुंशियो का तेवर सातवें आसमान पर है। जिसका नतीजा आए दिन रैयतों को भुगतना पड़ रहा है।
अंचल कार्यालय से लेकर राजस्व कचहरी तक बिचौलियों का साम्राज्य-
जमुई जिले के इस्लामनगर अंचल कार्यालय से लेकर राजस्व कचहरी तक बिचौलियों का समराज व्याप्त है। बात किसी से छुपी नहीं है लेकिन फिर भी सब मौन है।और बिचौलियों के चंगुल से आम लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। ऊपर से हालत यह है कि लोग खुलकर शिकायत करने की स्थिति में भी नहीं होतेl क्या पता शिकायतकर्ता के खाते से लेकर खसरा तक बिगड़ जाए। हालत यह है कि बेखौफ राजस्व कर्मियों को बिचौलियों रखने की खुली छूट मिली हुई है। इतना ही नहीं अंचल कार्यालय के कर्मी भी अपने लिए कथित सहयोगियों की सहायता लेने में मस्त रहते हैं। जो खुले रूप से अपने आकाओं के लिए अवैध वसूली करने में व्यस्त दिखते हैंl मामला भूमि से जुड़े होने के कारण रैयतों को अभी तक जमीदारी प्रथा से मुक्ति नहीं मिल पाई है फर्क इतना है कि अब के जमींदार को सरकारी होने का लेवल लग चुका है। आरटीपीएस को मुखौटा बना संबंधी लोग धड़ल्ले से शोषण पर उतारू है और सब कुछ जान कर भी विभाग मौन है। हालत यह है कि प्रत्येक राजस्व कर्मी के पीछे कई बिचोलिया नियुक्त हैं। जिन्हें राजस्व कचहरी में मुंशी का नाम दिया गया।
नतीजा है कि आरटीपीएस और समयावधि का इसके लिए कोई मायने नहीं रखता। लगान रसीद से लेकर भू स्वामित्व प्रमाण पत्र दाखिल खारिज तक में बिना चढ़ावा के कार्य संभव नहीं है। हक व अधिकार तथा नियमों का हवाला देने वालों रैयतों का कार्य महीने ही नहीं साल तक लंबित रख दिया जाता है। वही मनमाफिक चढ़ावा देने वालों का काम छोटा हो या बड़ा 1 दिन में भी संभव हो जाता है। ऐसे तथाकथित मुंसीयों को सरेआम राजस्व कचहरी में कार्य निपटाने में व्यस्त देखा जा सकता है। जबकि अंचलाधिकारी तक से मिलकर ऐसे मुंसीयों के कारनामे जगजाहिर हो रहे हैं।ऐसे में रैयत शिकायत लेकर जाएं भी तो कहां अंचलाधिकारी के संज्ञान में शिकायतें भी होती रहती है। उदाहरण बहुत है लेकिन नाम सामने आने पर उनकी परेशानी बढ़ सकती है। सो इसका जीता जागता उदाहरण राजस्व कचहरी से लेकर अंचल कार्यालय तक की गतिविधि से मिल सकता है।
भ्रष्टाचार की प्रकाष्ठा पार कर रहे इन कार्यालयों के बिचौलियों की तूती के आगे बेबस रैयत घुटने टेकने को मजबूर है।जानकारों की मानें तो जिस निर्भीकता से अंचल व राजस्व कचहरी में अवैध वसूली को अमली जामा पहनाया जा रहा है।बावजूद इसके उक्त गतिविधि पर लगाम कसने में किसी प्रकार की पहल नहीं होना कई सवालों को जन्म दे रहा है। सरकार के लाख दावों के बावजूद भ्रष्टाचार का बोलबाला जारी है।जिससे हैरानी होती है कि भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी एवं प्राइवेट मुंशी कितनी बेरहमी से जनता का धन लूट कर अपनी तिजोरीयों में भर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि यहां कर्मचारी के निजी मुंशी द्वारा शाम 6:00 बजे तक बिना किसी सरकारी कर्मी की उपस्थिति में सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ किया जाता है। राजस्व का अधिकांश सरकारी पंजी का प्राइवेट लोगों के हाथ में है।
सरकारी कर्मी या अधिकारी मुश्किल से कभी इस पर नजर डालते हैं। नतीजा प्राइवेट मुंशी की मनमानी इन कार्यों पर खूब चलती है। जबकि इसके लिए उन्हें सरकार से एक रुपया भी नहीं मिलना है। यहां राजस्व का अधिकांश काम निजी लोगों के माध्यम से हो रहा है ऐसे में काम कितना सही और कितना गलत के साथ कितनी अवैध राशि का खेल होता होगा इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है। एक हल्का कर्मचारी अपने कार्यालय में दो से तीन प्राइवेट मुंशी की बहाली किए हुए हैं। वह मुंशी काम कम तो उसे पैसा वसूली की बचोलिया गिरी ज्यादा करते हैं।
संबंधित मामले में इस्लामनगर अलीगंज के अंचलाअधिकारी ने बताया कि
मामले की जानकारी मिली है।अंचलाधिकारी अरविंद कुमार ने कहा कि प्राइवेट कर्मी से मेरा कोई लेना देना नहीं है। जिस राजस्व कचहरी का ताला बिचोलिया द्वारा रात को खोला गया है उस राजस्व कचहरी की जिम्मेदारी दरखा एवं अलीगंज पंचायत के राजस्व कर्मचारी अशोक राय की है वे कई दिनों से बाहर हैं। स्पष्टीकरण मांगा जाएगा
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