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विमर्श केंद्र के रूप में विकसित होगा जे पी अध्ययन केंद्र: कुलपति

लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती समारोह संपन्न विमर्श केंद्र के रूप में विकसित होगा जे पी अध्ययन केंद्र: कुलपति पीड़ित मानवता के मुक्तिदाता थे जे पी:वीरेंद्र

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लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती समारोह संपन्न
विमर्श केंद्र के रूप में विकसित होगा जे पी अध्ययन केंद्र: कुलपति
पीड़ित मानवता के मुक्तिदाता थे जे पी:वीरेंद्र

छपरा कार्यालय। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 122वीं जयन्ती शुक्रवार को जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के सीनेट सभागार में कुलपति प्रो. परमेंद्र कुमार बाजपेयी की अध्यक्षता में आयोजित की गई।

इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति ने जेपी के प्रति अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जेपी के सपनों का भारत अभी तक नहीं बन सका है। उन्होंने कहा कि जे पी के 1975 से 1977 के काल को केवल सत्ता परिवर्तन के लिए आज भी याद किया जाता है जबकि इसके इतिहास को गहराई से देखने की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि जय प्रकाश विश्वविद्यालय का जेपी अनुसंधान केन्द्र एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के विमर्श केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ न सिर्फ देश के, बल्कि दुनिया भर के शोधार्थी जे पी के विचारों पर शोध, अध्ययन एवं चिंतन के लिए आएंगे। इसकी जिम्मेवारी भी लेनी चाहिए। हम सभी को विकसित भारत अभियान 2047 के लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ना चाहिए तभी हम सभी सफल होंगे।

इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने जे पी को पीड़ित मानवता का मुक्तिदाता बताते हुए कहा कि उनके विचारों में समाज को राजनीतिक, आर्थिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन की रूपरेखा देखी जा सकती है, इसे प्राप्त करने के लिए हम सब को एकजुट प्रयास करना चाहिए।उन्होंने कहा कि जे पी विलासिता के खिलाफ थे।यह भी कहा कि जेपी अध्ययन केंद्र को विकसित करने की जरूरत है।

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वि वि के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रखर वक्ता डॉ. लाल बाबू यादव ने जे पी को गाँधी का सच्चा अनुयायी बताते हुए युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे जेपी के सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्पित हों।उन्होंने जे पी की पूरी जीवनी को सविस्तार रखा तथा कहा कि जे पी त्याग के प्रतिमूर्ति थे। इनका आंदोलन काफी प्रगाढ़ है जिसे अध्ययन करने को आवश्यकता है।आज के बदलते राजनीतिक वातावरण में जे पी के विचार,आदर्श एवं कार्य प्रासंगिक है।

आयोजन के मुख्य अतिथि और पटना विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आर पी एस ‘राही’ ने जेपी से जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने जेपी को एक महामानव बताया तथा उनके विचार दर्शन को जीवन में अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज जे पी रहते तो क्या होता।जे पी एक ऐसे वीर थे जिसे भुलाया नहीं जा सकता।

राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ. आर. एन. शर्मा ने कहा कि जे पी का जीवन क्रांतिधर्मिता पर आधारित है, जिसमें एक साथ गांधीवाद, समाजवाद, मार्क्सवाद एवं सर्वोदय देखा जा सकता है क्योंकि जे पी कांग्रेस पार्टी में रहकर भीं समांजवाद से जुड़े रहे।विश्वविद्यालय के ।दर्शन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रामनाथ प्रसाद का कहना था कि जेपी के विचार एवं दर्शन को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जे पी में मानवता की चिंता व्याप्त थी।उन्होंने गांधी एवं जे पी के विचारधारा को तुलनात्मक ढंग से रखा।

इतिहासकार प्रो. अभय कुमार ने जे पी आंदोलन से जुड़े कुछ तथ्यों को रखते हुए उनके वैचारिक यात्रा का उल्लेख किया।जेपी पर और अधिक शोध एवं अध्ययन की आवश्यकता बतलाई।

 

प्रारंभ में जेपी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. संजय कुमार पाठक ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, जबकि रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रविन्द्र सिंह ने सभी के प्रति आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। मौके पर राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विभु कुमार, प्राचार्य प्रो. के. पी. श्रीवास्तव, डॉ उदय शंकर ओझा,प्रो. सुशील श्रीवास्तव, प्रो. दिव्यांशु कुमार, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशोक कुमार मिश्रा, डॉ. दिनेश पाल, डॉ. उदय अरविंद, प्रो. आशा रानी, डॉ श्याम शरण, सहायक अभियंता प्रमोद कुमार सिंह,डॉ.विद्या भूषण श्रीवास्तव,सत्येंद्र प्रसाद ,मिंटू सिंह ,प्रकाश कुमार,नीरज सिंह, डॉ. ब्रज किशोर, सीमा कुमारी, सोनू यादव सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं शहर के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।इसके पूर्व सभी अतिथियों ने कुलदेवता लोक नायक जय प्रकाश नारायण के तेल चित्र पर माल्यार्पण किया गया तदोपरांत दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत उद्घाटन कियां गया।

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