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अजमेर: राष्ट्रीय शिक्षक दिवस सनातन संस्कृति में गुरू का विशेष महत्व….

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*अभियांत्रिकी कॉलेज के कार्यक्रम में
शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को पढ़ाया पाठ

*100 करोड़ की लागत से बनेगी आर.आई.टी

बिहार न्यूज़ लाईव अजमेर डेस्क: अजमेर(हरिप्रसाद शर्मा)राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राजकीय अभियांत्रिकी कॉलेज के कार्यक्रम में भाग लेकर शिक्षकों एवं बच्चों को पाठ पढ़ाया। उन्होंने शिक्षकों और बच्चों को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का अवबोध करवाया। कॉलेज के आरआइटी में क्रमोनत होने तथा बजट घोषणा में इस कॉलेज के विकास के लिए 100 करोड़ रूपए स्वीकृत होने पर सभी को शुभकामनाएं दी।
देवनानी ने कहा कि मैंने भी अपने जीवन की शुरूआत एक शिक्षक के रूप में की है। मुझे भी कॉलेज में पढ़ाने का सुअवसर मिला है। प्राचीन काल से ही सनातन संस्कृति में गुरू का विशेष स्थान रहा है। पहला गुरू माता होती है, दूसरा पिता तथा तीसरा गुरू अध्यापक होता है जो एक बच्चे के व्यक्तित्व का निर्माण करता है और उसके जीवन को संवारता है। हमारे देश में गुरू वशिष्ट, वाल्मीकि तथा विश्वामित्र जैसे प्रकांड विद्वान हुए हैं जिन्होने अपने विचारों से लोगों को प्रेरित किया है। आज के डिजीटल युग में भी शिक्षक की भूमिका कम नहीं हुई है वरन एक शिक्षक ई-शिक्षक के रूप में अपने ज्ञान को विद्यार्थियों तक प्रेषित करता है। इस आधुनिकता के दौर में भी हम सबको अपनी सनातन संस्कृति को ध्यान में रखना चाहिए। देवनानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विज्ञान को पर्यावरण के साथ जोड़ा है। ‘एक पेड़ मां के नाम‘ जैसे वृक्षारोपण अभियान चलाए जा रहें है।

 

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देवनानी ने बताया कि यह राजकीय अभियांत्रिकी कॉलेज लगभग 26 वर्ष पुराना एक वृक्ष की तरह है जिसने अब फल भी देने शुरू कर दिए है। इस कॉलेज के विद्यार्थियों का विभिन्न कंपनियों में प्लेसमेंट भी हो रहा है जो एक सुखद बात है। राज्य सरकार ने इस कॉलेज को राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बनाने का निर्णय किया है। के विकास के लिए 100 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर तंत्र मजबूत होने के साथ नवीनतम उपकरण भी लगेंगे जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। अध्यापक व विद्यार्थियों के बीच गहरा संबंध होता है। सभी बच्चों को अध्यापक के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए। एक अध्यापक बच्चों का आदर्श होता है। वह जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है तथा बच्चों के जीवन को संवारता है। उनका भविष्य उज्जवल बनाता है इसलिए शिक्षक को अपना चरित्र हमेशा प्रेरणादायक रखना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि आज के डिजीटल युग में पाठ्य सामग्री घर बैठे ही मिल जाती है लेकिन इस पाठ्य सामग्री को अध्यापक ही सहज रूप से समझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक ऎसे शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना है जिसमें शिक्षकों को सम्मान मिल सके। एक अच्छे बालक से अच्छा समाज बनता है और अच्छे समाज से अच्छा राष्ट्र बनता है। शिक्षकों को केवल वेतनभोगी तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए उनको अपने-अपने दायित्व अच्छी तरीके से निभाने चाहिए ताकि विद्यार्थियों में उनके प्रति श्रद्धा बनी रह सके। एक अध्यापक केवल कक्षा-कक्ष तक ही सीमित नहीं होता है वह 24 घण्टे शिक्षक की भूमिका निभाता है। समय का हमेशा सदुपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अध्यापक भी छात्र की तरह हमेशा नया सीखता रहता है।

 

 

वह दोहरी भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 में विकसित भारत का सपना देखा है। देश के सभी इंजीनियर इस सपने को साकार बनाने में महत्वपूण भूमिका निभाएंगे। एक इंजीनियर के दो उद्देश्य होते हैं अपने जीवन निर्वाह के साथ-साथ वह अपने देश के लिए अच्छी गुणवतापूर्ण सड़कें, ब्रिज तथा भवन बनाना जो एक विकसित राष्ट्र के लिए आवश्यक हैं। इंजीनियर देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर तंत्र मजबूत करते हैं। नेशन फर्स्ट की भावना के साथ काम करना चाहिए। इंजीनियर को हमेशा चरित्र और नवीनतम ज्ञान से अपडेट रहना चाहिए। गरीबों का जीवन स्तर अच्छा हो इस सोच के साथ काम करना चाहिए। सबको मिलकर इस भारत को पुनः विश्वगुरू बनाने का प्रयास करना चाहिए।

 

 

प्राचीन काल में तक्षिला तथा नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में ज्ञान की धारा बहती थी। शून्य का आविष्कार भी भारत में हुआ जो हमारे लिए गर्व की बात है। देवनानी ने विद्यार्थियों के लिए तीन सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी को हमेशा एकाग्र, दृढ निश्चयी, क्षमतायुक्त तथा अच्छा चरित्रवान बनना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चों को अनुशासन, प्रतिबद्धता, मर्यादा पालन तथा समर्पण की भावना के साथ अध्ययन करने से व्यक्तित्व का विकास होता है। विद्यार्थियों को धैर्य के साथ काम करना चाहिए।

 

 

 

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