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बिहार में जहरीली शराब का तांडव: 16 लोगों की हुई मौत !

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बिहार न्यूज़ लाइव / बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब कांड हुआ है. यहां पश्चिमी चंपारण के मोतिहारी में संदिग्ध हालत में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है. वहीं 4 दर्जन से अधिक लोग बीमार हैं. आशंका जताई जा रही है कि मृतक संख्या बढ़ सकती है. वैसे बिहार में 2016 से ही शराबबंदी कानून लागू है.

 

राज्य में कहीं भी शराब पीना या शराब से जुड़ा कारोबार करना कानूनी जुर्म है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है. लेकिन बावजूद इसके इस कानून की हकीकत क्या है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है. इसी कड़ी में अब एक ताजा मामला मोतिहारी से निकलकर सामने आया है. जहां एक साथ 16 लोगों की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई… इनके मौत के पीछे की वजह जहरीली शराब बताई जा रही है.

 

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हालांकि, प्रसाशन की टीम इसे डायरिया की वजह से हुई मौत बता रही है. इस मामले में जांच करने के लिए पटना से मद्य निषेद्य इकाई की एक स्पेशल टीम मोतिहारी जा रही है. स्पेशल टीम में 5 पुलिस अफसर शामिल हैं. इनमें 2 डीएसपी और 3 इंस्पेक्टर हैं. डीएम-एसपी का कहना है कि डायरिया-फूड पॉइजनिंग से मौतें हुई हैं. मामला सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन एक्शन में है. घटना को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने जांच के आदेश दिए हैं. सदर व अरेराज के अनुमंडल पदाधिकारी प्रभावित गांवों में जाकर जांच कर रहे हैं.वैसे यह पहली बार नहीं है जब कथित रूप से जहरीली शराब के कारण लोगों की मौत हुई है. मौतें का सिलसिला 14अप्रैल से शुरू हुआ हुआ और शाम तक 8 लोगों की जान चली गई. 15 अप्रैल के सुबह तक यह आंकड़ा बढ़ कर 16 हो गया.

 

परिवार वालों ने 7 लोगों के शव बिना पोस्टमार्टम के ही जला दिए. खबरों के अनुसार रघुनाथपुर ओपी क्षेत्र के लक्ष्मीपुर गांव, तुरकौलिया थाना क्षेत्र के गोकुला, जसीनपुर, मथुरापुर गांव, हरसिद्धि थाना के मथलोहियार और पहाड़पुर थाना के बलुआ गांव में जहरीली शराब से मौतें हुई हैं. गौरतलब है कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी नीतीश सरकार से सवाल किया था कि….क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में बिहार से जमानत के लिए कितनी याचिकाएं आ रही हैं ….और इसका बड़ा हिस्सा बिहार के शराबबंदी कानून से जुड़ा हुआ है. पीठ ने कहा कि क्या कोई अध्ययन किया गया है या कोई ऐसा डेटा है…. जो यह साबित करता हो कि शराबबंदी कानून के कारण बिहार में शराब की खपत का ग्राफ नीचे आ रहा है?”

 

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, “हम कानून लागू करने की आपकी मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि हम आपको इस अदालत में आने वाले जमानत के आवेदनों की संख्या के बारे में तथ्य बता रहे हैं. पीठ ने कहा कि यह कोर्ट पर बोझ डाल रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति तब बनती है जब बिना किसी अध्ययन या डेटा के बिना कानून लागू किया जाता है. वहीं अब फिर से जहरीली शराब का तांडव देखा जा रहा है. अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या होता है.

 

 

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