पं दिनेश दत्त झा ने भारतीय पत्रकारिता में नवीन आदर्शों कि स्थापना कि*
*निर्भीक पत्रकार थे पं दिनेश दत्त झा*
*भारतीय पत्रकारिता के शलाका पुरुष थे पं दिनेश दत्त झा*
बिहार न्यूज़ लाइव वाराणसी डेस्क: मैथिल समाज, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा स्मृति दिवस पर *विचार संगोष्ठी सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा÷विचार एवं अनुशीलन सह सम्मान समारोह* काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डा अत्रि भारद्वाज की अध्यक्षता में काशी पत्रकार संघ, मैदागिन, वाराणसी में समपन्न|
समारोह का शुभारम्भ आगत अतिथियों द्वारा सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ
सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा के स्मृति दिया में दिया जाने वाला लब्ध प्रतिष्ठित सम्मान सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा पत्रकारिता गौरव सम्मान संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा (एडवोकेट) ने पत्रकारिता के क्षेत्र में गरीबों,वंचितों और शोषितों कि आवाज बुलंद करने के लिए हिन्दुस्तान अखबार के उप सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह को प्रदान किया|
सम्पादकाचार्य स्व.पं.दिनेश दत्त झा पत्रकारिता गौरव सम्मान के तहत 5100 रु.मिथिला संस्कृति के प्रतीक पाग,सॉल,माला, डायरी, कलम और स्व.पं.दिनेश दत्त झा की चित्र स्मृति चिन्ह प्रदान कि गई|
सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा के स्मृति में युवा पत्रकारों को दिया जाने वाला सजग प्रहरी सम्मान वरिष्ठ पत्रकार राष्ट्रीय सहारा के सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार ज्ञान सिंह रौतेला,वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरुण मिश्रा,वरिष्ठ पत्रकार वंश नारायण राय, आलोक मालवीय, अश्विन श्रीवास्तव, आलोक श्रीवास्तव को संस्था द्वारा प्रदान किया गया|
समारोह के मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए यूपी बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन,सदस्य अरूण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सम्पादन कला जादूगर पं दिनेश दत्त झा भारतीय पत्रिका के शलाका पुरुष थे| दैनिक आज, आर्यवर्त, रणभेरी, समाचार या शान्ति पत्रकारिता हो झा जी ने कभी भी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया| भाषा कि शुद्धता के प्रबल समर्थक थे| प्रूफ संशोधन में मामूली त्रुटि भी उनको बहुत खटकती थी| वह भाषा में हिन्दुस्तानी भाषा के प्रबल विरोधी थे, उन्होंने आर्यवर्त के माध्यम से हिन्दुस्तानी भाषा का ऐसा विरोध किया कि बिहार सरकार को अपनी भाषा नीति का अन्ततः परित्याग करना पड़ा
यह कहने में मुझे तनिक भी अतिश्योक्ति नही हो रही है कि आधुनिक भारतीय पत्रकारिता के नवीन आदर्शों कि स्थापना पं दिनेश दत्त झा ने कि है|
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के पद से बोलते हुए राजेन्द्र त्रिवेदी एडवोकेट ने कहा कि दिनेश दत्त झा निर्भीक पत्रकार थे सन 1947 में वाराणसी के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट ने एक आदेश जारी कर कहा था कि स्वतंत्रता आंदोलन विषयक समाचार सरकारी अधिकारियों को दिखाये बिना समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं होना चाहिए, तब झा जी ने काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष के हैसियत से पत्रकारों के हित और स्वाभिमान कि रक्षा के लिए सरकारी आदेश का तीव्र विरोध किया था| उन्होंने ने कहा था कि पत्रकार जिला मजिस्ट्रेट का स्टोनोग्राफर नही है “|अतः जिला मजिस्ट्रेट को झुकना पड़ा था|
विशिष्ट अतिथि पद से बोलते हुए दी सेन्ट्रल बार एसोसिएशन, बनारस के अध्यक्ष प्रभु नारायण पाण्डेय ने कहा कि दिनेश दत्त झा स्वाभिमानी पत्रकार थे अन्वेषण बुद्धि होने के कारण पत्रकारिता को नई दिशा देने में अत्यधिक अभिरुचि रखते थे|शब्दों के चयन, वाक्यों के गठन, भाषा की चुस्ती और समाचारों के शीर्षक पर उनकी कड़ी निगाह रहती थी|
समारोह कि अध्यक्षता करते हुए काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डा अत्रि भारद्वाज ने कहा कि प्रधानाध्यापक कि नौकरी छोड़कर सन 1940 ई. में आज के सम्पादकीय विभाग में कभी रिपोर्टर तो कभी डाक सम्पादक और प्रबंध सम्पादक के रूप में कार्य किया, झा जी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं लेखन का भी कार्य करते थे|
झा जी विद्धानों का बहुत आदर करते थे,इनके आवास पर साहित्यकारों और पत्रकारों का जमघट लगा रहता था, झा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू के साथ रत्नाकर रसिक मण्डल की बैठक में इनसे मिलने बांसफाटक स्थित उनके आवास पर मिलने पहुंचे थे|
समारोह का संयोजन/संचालन गौतम कुमार झा (एडवोकेट) ने किया स्वागत संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा (एडवोकेट) ने किया धन्यवाद ज्ञापन और सुधीर चौधरी ने किया|
समारोह में प्रमुख रूप राजेन्द्र त्रिवेदी,अनीशा शाही,विधु प्रकाश पाण्डेय, शशांक श्रीवास्तव,नित्यानंद राय, नटवर झा हरिमोहन पाठक आदि लोग उपस्थित थे|