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सारण: प्रवचन में मां और पुत्र के प्रेम कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

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Bihar News Live Desk : *मां अपने पुत्रों पर कभी भी कोई कष्ट नहीं देखना चाहती, मां और पुत्र के बीच बड़ा अटूट हैं प्रेम का यह बंधन- डॉ साध्वी प्रज्ञा भारती*

 

*प्रवचन में मां और पुत्र के प्रेम कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु*

 

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*नौ दिवसीय श्री सहस्त्रचण्डी महायज्ञ के तीसरे दिन हुआ मंडप पूजन एवं पाठ आरंभ*

 

 

तरैया

 

प्रखंड के अरदेवा-जिमदाहा गांव स्थित नारायणी तट के किनारे संत शिरोमणि श्री नारद बाबा के आश्रम पर नौ दिवसीय श्री सहस्त्रचण्डी महायज्ञ में रविवार की संध्या में प्रवचन मंच से डॉ साध्वी प्रज्ञा भारती ने देवी भागवत कथा में मां और पुत्र के ममतामयी प्रेम की कथा सुनाई। डॉ भारती ने मां और पुत्र के प्रेम की उल्लेख करते हुए कहा कि अगर दिल से मां को पुकारते है तो मां अपनी सारी काम छोड़कर पुत्र के पास दौड़ी चली आती हैं। जिसके जीवन में मां होती हैं उसके जैसा भाग्यशाली कोई नही,मां अपने बच्चों के ऊपर कोई कष्ट नहीं देखना चाहती हैं। मां बच्चे की जान होती हैं, वो होते है किस्मत वाले जिनकी मां होती हैं।अगर हमारी मां पुकारने पर दौड़ी चली आती हैं तो जगत जननी मां क्यों नहीं आएगी।जन्म देने वाली मां भले ही हमें छोड़कर चली जाए,मगर जगतजननी मां हमारा साथ कभी नहीं छोड़ती हैं। जिस गांव में मां विराजमान हो जाए उस गांव में कभी भी ममता की कमी नहीं होती,क्योंकि मां ममता देने वाली हैं। उन्होंने देवी भागवत कथा की उत्पत्ति की उल्लेख करते हुए कहा कि देवी भागवत कथा की शुरूआत श्री मद्भागवत कथा से हुई हैं जब ब्यास जी ने राजा परीक्षित के पुत्र जन्मयजय को यह कथा सुनाई। तब से इस कथा का श्रवण हो रहा हैं। आगें कहा कि ईश्वर भक्ति हैं और भगवती शक्ति,अगर भक्ति चाहिए तो ईश्वर की आराधना करों और शक्ति चाहिए तो भगवती की आराधना।देवी भागवत कथा का श्रवण करने से पूज्य,तेज,शत्रु विनाश,धन-धान्य, की वृद्धि होती हैं।अगर आप प्रतिनिधि देवी भागवत कथा का श्रवण करते हैं तो आपके घर में धन-धान्य का भंडार भरा रहेगा। जिस घर में कुल देवी प्रसन्न नहीं रहती वहां विपत्ति,दुःख,दरिद्रता, रोग निवास करते हैं और जिस घर में कुल देवी प्रसन्न रहती हैं वहां उस घर में धन-धान्य,सुख, समृद्धि,ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं। और घर के सभी लोग निरोग रहते हैं।अगर कुछ न करें तो भी प्रतिदिन अपने कुल देवी के नाम से एक दीप जरूर जलाए और एक लोटा पानी अपने पितृ को जरूर अर्पित करें।वहीं महा भण्डारे में फरीदनपुर निवासी व नागपुर के प्रसिद्ध व्यवसायी रामा शंकर सिंह द्वारा दूसरे दिन के भण्डारे की व्यवस्था की गई थी। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने महाप्रसाद ग्रहण किया।वहीं यज्ञ के तीसरे दिन सोमवार को पंचांग पूजन व मंडप प्रवेश किया गया। ततपश्चात महायज्ञ का पूजन प्रारंभ हुआ।बनारस काशी से यज्ञाचार्य बुद्धिसागर मिश्र जी महाराज,आचार्य दीपक चौबे व दीपू चौबे के विधिवत वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मुख्य यजमान पंकज बाबा,प्रतीक प्रकाश उर्फ रिशु,अमलेश कुमार सिंह,ओम मिश्रा सहित अन्य श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा- अर्चना किया।मौके पर कार्यकारिणी अध्यक्ष हरि शंकर सिंह,उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह, सचिव धनवीर कुमार सिंह विक्कू, प्रत्यूष प्रकाश उर्फ राहुल सिंह, धनंजय कुमार सिंह भीम, अमरनाथ सिंह,राम शंकर सिंह, उमाशंकर सिंह,डॉ रंजय कुमार सिंह,रंजन श्रीवास्तव,नीरज सिंह, मंटू सिंह,उपेंद्र सिंह,आशीष कुमार छोटू,गोल्डन बाबा,अशोक राय नेता,छोटू बाबा,राणा सिंह, रौशन कुमार सहित प्रवचन पंडाल में सैकड़ों श्रद्धालु-भक्त उपस्थित थे।

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