प्रशिक्षण ले रहे यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली के प्रशिक्षु शिक्षकों को बिहार के लोकगीतों की संस्कृति *बिदेसिया, बटोहिया, रोपनी, कटनी* से कराया गया अवगत
फोटो 01 कार्यक्रम प्रस्तुत करते रामेश्वर गोप एवं सरिता साज
बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क: छपरा कार्यालय।राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) पटना में जिले के लोक गायक रामेश्वर गोप व सरिता साज ने साप्ताहिक शुक्रवार कला संगम के विशेष कार्यक्रम में प्रशिक्षु शिक्षकों के बीच भोजपुरी संस्कृति को गीतों के माध्यम से पहचान बताई।
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू के बिहार आगमन पर बिहार की कृषि व कला संस्कृति पर उनके द्वारा दी गई अभिव्यक्ति पर आधारित राज्य के चर्चित लोक गायक शिक्षक रामेश्वर गोप व लोकगायिका सरिता साज ने करीब एक दर्जन गीतों की प्रस्तुति प्रशिक्षुओं के बीच की।एससीइआरटी के व्याख्या व कार्यक्रम के संयोजक प्रसिद्ध नाट्यकार डॉ.जैनेन्द्र दोस्त की परिकल्पना पर आधारित इस कार्यक्रम में लोकगायिका सरिता साज ने भिखारी ठाकुर रचित बिदेसिया, बटोहिया और पूर्वी गीत *पिया मोर मती जा हो पुरूबवा*, तथा *डगरिया जोहत ना* आदि गीतों के माध्यम से प्रशिक्षुओं को रोजगार पलायन व बेरोजगारी को रेखांकित किया वहीं रामेश्वर गोप ने कृषि गीत *करअ जैविक खेती हो किसानवा* की प्रस्तुति से आर्गेनिक कृषि समय की मांग का संदेश दिया।गायक गोप ने बिदेसिया नाटक के गीत *प्यारी देश तनी देखे द हमके*
के अलावे छठ गीत व झूमर गीत गाकर उपस्थित सैकड़ों प्रशिक्षुओं को झूमने पर मजबूर किया।एससीआरटी से जुड़े अधिकारी सुषमा कुमारी, डॉ. सीताराम प्रसाद, डॉ. वीर कुमारी कुजुर, व्याख्यता गिरधारी राम, डॉ. अयुब, डॉ. रहमान, हीरा चौधरी ने सामुहिक रूप से कलाकारों को सम्मानित किया।
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