हिन्दी दिवस पर विशेष.
हिन्दी राष्ट्र का गौरव
देश के हर कोने में बढ़ा है हिंदी का प्रचलन
कुमारी मीना रानी, पूनम कुमारी, प्रोफेसर अनीता ,शालिनी, मुस्कान कुमारी एवँ अर्चना कुमारी
बिहार न्यूज़ लाइव सरन डेस्क: ड़ॉ विद्या भूषण श्रीवज़तव /शेखर
छपरा नगर. हिन्दी देश की सर्वमान्य और सर्वव्यापक भाषा होने की ओर अग्रसर है. देश के हर कोने में हिन्दी का प्रचलन बढ़ा है. गैर हिन्दी भाषाई प्रदेशों में भी लोगों द्वारा इसका धड़ल्ले से उपयोग करना हिन्दी के लिए सुखद है. भारत में तमाम विविधताओं और अनेक भाषा और बोलियों के बावजूद हिन्दी आम बोलचाल की भाषा के रूप में लगातार फल फूल रही है. हिन्दी को राष्ट्र का गौरव के रूप में स्थापित करने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं.
वन नेशन-वन इलेक्शन की चर्चा के जमाने में एक देश-एक भाषा के रूप में हिन्दी को पहचान दिलाने की जरूरत भी महसूस की जा रही है. हिन्दी प्रेमी लोग इसे राष्ट्र की भाषा के रूप में पूरी तरह स्थापित करने के प्रयास भी कर रहे हैं तो भी देश के जन जन की आवाज बनाने के लिए और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है. किसी भी राष्ट्र की एक भाषा होती है, जो सर्वमान्य होती है और इससे राष्ट्र को एक धागे में बांधे रखने में सहूलियत होती है. एक भाषा के जरिए किसी भी देश में संचार या संप्रेषण को व्यापक और लोगों के लिए आसान बनाया जा सकता है.
भारत जैसे विशाल देश में हिन्दी भाषा के माध्यम से ही सभी को एक सूत्र में बांधा जा सकता है. समय है कि हिन्दी को लिखने और बोलचाल की भाषा के रूप में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाय. कई अड़चनों के बावजूद हिन्दी राष्ट्रभाषा के रूप में प्रख्यायित हो सकती है. हालांकि प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी के कथन “हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी बोलने वाले हिन्दी बोलने वालों से हिन्दी बोलने को कहते हैं” पर गौर करें, तो हिन्दी की दुर्दशा के लिए वे हिन्दी भाषी लोगों को ही कटघरे में खड़ा करते नजर आते है, तो भी हिन्दी को आज व्यापक पहचान मिली है और उत्तर भारत के अलाव दक्षिण और अन्य क्षेत्रों में हिन्दी बोलने और लिखने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.
14 सितंबर को हिन्दी दिवस के अवसर पर कई गणमान्य लोगों ने हिन्दी की व्यापकता और विकास के लिए अपनी प्रतिक्रियाएं दी है.
कुमारी मीना रानी, प्रधानाध्यापिका, रामचंद्र प्र.म. आर्य शिशु मध्य विद्यालय, छपरा.
हिन्दी हमारे लिए गर्व की भाषा होनी चाहिए. जब तक हमे हमारी भाषा पर गर्व नही होगा, हम उसके विकास में भागीदार नही बन सकेंगे. बांग्ला या अन्य दक्षिण भारतीय भाषाएं इसलिए ज्यादा फली फुली क्योंकि वहां के लोगों ने इसे अपने सम्मान से जोड़ा और ऐसा कर गर्व का अनुभव किया. हिन्दी के पास व्यापकता के सारे तत्व विद्यमान हैं, हम हिन्दी को देश के जन जन की भाषा बना सकते है.
पूनम कुमारी, गृहिणी
हिन्दी में बात करना अच्छा लगता है. संस्कृत के गर्भ से निकली हिन्दी के शब्दकोश में अद्भुत और अर्थपूर्ण शब्द भरे पड़े हैं. संप्रेषण के लिए इससे सुलभ और सरल भाषा शायद ही कोई हो. हिन्दी के माध्यम से देश को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है. हमे इसके विकास के लिए चाहिए कि अपनी मातृभाषा के साथ साथ अधिक से अधिक हिन्दी में लिखना बोलना जारी रखें.
प्रोफेसर अनीता
विभागाध्यक्ष,हिन्दी विभाग
जय प्रकाश विश्वविद्यालय,छपरा
हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए राज्य स्तर पर भी कई कार्य किए जा रहें हैं. राज्य सरकार ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देते हुए सारे सरकारी कार्य इसी में करने के निदेश जारी किए हैं. अब तो न्यायपालिका के फैसले भी हिन्दी में लिखे जा रहें हैं, यह नई प्रगति है. हिन्दी को जन जन तक पहुंचाने के लिए इसका अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए.
शोध छात्रा शालिनी
हिन्दी को अंग्रेजी की तरह बढ़ावा मिलना चाहिए. विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में हिन्दी में वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन, नारे, भाषण, आदि आयोजित किए जाने चाहिए.विश्वविद्यालयों में हिन्दी विषय पर सेमिनार तथा कार्यशाला के माध्यम से इसे बढ़ाया जा सकता है. अंग्रेजियत से निकल हिन्दी को पूरे मन से अंगीकार करने की आवश्यकता है. हिन्दी में साहित्य के सभी विधाओं में बड़े पैमाने पर लेखन की अवशायकत है, तभी हिन्दी को विश्व पटल पर पहचान दिलाई जा सकती है.
शोध छात्रा मुस्कान कुमारी
हिन्दी को व्यापक फलक देने में हिन्दी चलचित्र (सिनेमा) का बड़ा योगदान है. हिन्दी भाषा में बनी प्रेरणादायक फिल्मों ने गैर भाषी लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित किया है. लोग हिन्दी को सीखने के लिए समय खर्च कर रहे हैं. विदेशी सैलानी और पर्यटक भी हिन्दी भाषा के मोहपाश में बंधने को विवश हैं. यह हिन्दी के बढ़ते दायरे का असर ही है कि हॉलीवुड की फिल्मों को हिन्दी में डब कर दर्शकों के सामने परोसा जा रहा है. दक्षिण के कलाकार हिन्दी में अपना करियर ढूंढ रहे हैं.।
अर्चना कुमारी, कुशल गृहिणी
निज भाषा उन्नति अहैय
सब उन्नति के मूल
हिन्दी हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि हमारे गर्व है ।हमे हिंदी सम्मान मातृभूमि एवं माता के समान करना चाहिये।
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