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सारण: अष्टधातु की मूर्ति की चोरी की घटनाओं पर नहीं लग पा रहा अंकुश

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समय-समय पर घटनाओं को दिया जा रहा है अंजाम
कुछ में पुलिस को लगी हाथ तो कुछ का नहीं मिला सुराग
जलालपुर की घटना ने पुरानी घटनाओ को दिलाया याद

फोटो 01 जलालपुर स्थित मंदिर

बिहार न्यूज़ लाईव सारण डेस्क   डॉ. विद्या भूषण श्रीवास्तव
छपरा कार्यालय। अष्टधातु की मूर्तियों की चोरी की घटनाएं समय- समय पर घट रही है।इस पर विराम नहीं लग रहा है।यूं कहें,पुलिस की खुली चुनौती दी जा रही है।भय एवं डर समाप्त हो चुकी है।वाहन चेकिंग करने एवं शराब के धंधों पर रोक लगाने का कार्य थोड़ा बहुत प्रयास हो रहा है मगर यदा कदा अष्टधातु की मूर्तियो की चोरी कर पुलिसिया कार्य व गतिविधि पर प्रश चिन्ह खड़ा हो जा रहा है।पुलिस अभी मूर्ति चोरी की घटना की गुत्थी सुलझाने में जैसे ही व्यस्त नजर आने लगती है अपराधी दूसरों घटना को परिलक्षित कर उनकी और उलझने एवं परेशानी पैदा कर दे रहे है।कई घटनाओं की गुत्थी तो सुलझने का मामला उजागर हो जा रहा है मगर अभी भी धाकड़ अपराधी इनसे कोसों दूर है और यही कारण है कि अभी तक मानो सलाखों के पीछे नहीं पहुंच सके है फिर भी सारण पुलिस एक सकारात्मक योजना से इन घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगाने में लगी है,इसमें कोई शक या आशंका नहीं है,मगर जब तक सफलता नहीं मिलती तब तक उपलब्धि का संकेत देना बेमानी है।
उल्लेखनीय है कि सारण जिला अंतर्गत जलालपुर थाना क्षेत्र के जीएस बंगरा के प्राचीन अद्भूतनाथ शिव मंदिर से गुरुवार की रात्रि लाखों की अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई है।

जो अनुमानित कीमत आर्तमान में लाखों रुपए की बताई जा रही है| ग्रामीणों के मुताबिक यह मूर्ति अष्टधातु की थी ।ग्रामीणों ने बताया कि बीती मध्य रात्रि मे गांव मे बारात से लोग लौटे थे| उसी समय कुछ ग्रामीण मंदिर का जब दरवाजा खुला देखे तो मंदिर में से राम जानकी की अष्ट धातु की मूर्ति गायब थी| ग्रामीणों के सूचना पर जलालपुर हान पुलिस टीम थानाध्यक्ष पिंटू कुमार के नेतृत्व मे पहुंची और जांच में जुट गई |उन्होने बताया कि पुलिस इस मामले में लगातार कार्य कर रहीहै|वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि 1962 में लगी राम जानकी की यह मूर्ति जिसकी कीमत आज की बाजार में करोड़ों रुपए की है| चोरों ने चुरा कर लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है| थानाध्यक्ष ने खाकी मठिया मार्ग से फिलहाल मरती का माला और वस्त्र तो बरामद किया है।मूर्ति नहीं मिला।
इस घटना के पूर्व कई ऐसी घटनाएं भी घट चुकी है।पुलिस हाथ -पांव फैलाती अवश्य है ,सक्रियता दिखती भी है मगर मुकाम हासिल नहीं हो पाता।अपराधियो के नकेल कसे बिना इस तरह की घटनाओं पर रोकना कठिन-सा प्रतीत हो गया है।
तीन प्रमुख नदियों सरयू ( घाघरा ),गंगा एवं गंडक नदियों से घिरा सारण जिला के विभिन्न तटीय एवं प्रमुख स्थलों पर कई ऐसे सैकडो प्राचीन एवं प्रसिद्ध मठ-मंदिरे है जहां अष्टधातु से निर्मित मूर्तियां है तथा कई एकड़ में भूमि भी है जिसकी कीमत लाखो-करोड़ों रुपये में एक अनुमान के तहत आंकी जाती है फिर भी,सुरक्षा नगण्य है।केवल पुजारियों एवं महंतों के ऊपर मठ मंदिर संचालित है और उन्हीं के देख भाल में मंदिरों की सुरक्षा है।कहीं सुरक्षा के मानक नहीं हैं।इन अधिकांश मंदिरों में सीसीटीवी कैमरा तक नहीं है।मठ मंदिरों अनायास जमावड़ा होना भी एक महत्वपूर्ण समस्या है।पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालु तो मात्र पूजा अर्चना कर शीघ्र लौट जाते हैं।एक ग्रामीण तो यहां तक कहते है कि बिना काम के मठ मंदिरों में किसी को बैठना या रुकना कहीं से कोई औचित्य नहीं है।इस पर अंकुश लगना चाहिये।
विगत कई वर्षों के अंतराल में छोटी-बड़ी मूर्ति की चोरी की घटनाएं घटित हुई है।
वर्ष 2004 में सारण जिला अन्तर्गत मांझी थाना क्षेत्र जो बिहार एवं उत्तर प्रदेश राज्य के सीमावर्ती थाना क्षेत्र है,में,धनी छपरा मठ से अष्टधातु की मूर्ति की चोरी कर ली गई जिसका कोई सुराग नहीं मिल सका है।
ठीक दो वर्ष वाद वर्ष 2006 में इसी थाना क्षेत्र के मझनपुरा ग्राम स्थित गंगा पराईंन मंदिर से अष्टधातु की मूर्ति की चोरी हो गई।
इस घटना के करीब सात वर्षों बाद 02 फरवरी 2013 को एकमा थाना क्षेत्र के आमडाढ़ी मठ से पुजारी को ही बंधक बनाकर अष्टधातु की प्रतिमा को ही चंपत कर दिया गया था।
वैसे,अभी यह घटना सुलझी ही नहीं थी कि पुनः पड़ोसी थाना मांझी के फतेहपुर मैथ से विगत 9 दिसम्बर 2015 की रात्रि में अष्टधातु की मूर्तियां की चोरी की घटना को धरातल पर उतारा गया ।इस घटना की खासियत यह रही कि संलिप्त अपराधी पुलिस की गिरफ्त में तो आये मगर मूर्ति अभी तक हाथ नहीं लगी।
इस घटना के एक वर्ष बाद यानी 06 फरवरी 2016 को नगर थाना क्षेत्र के साहेबगंज सोनारपट्टी स्थित बनारसी दास मंदिर से श्री राम-जानकी एवं श्री लक्ष्मण की अष्टधातु की मूर्ति की चोरी की वारदात अवश्य हुई थी मगर सारण पुलिस की सक्रियता एवं दबिश से एक माह के अंदर सभी मूर्तिया बरामद हो गई।
वही विगत 29 दिसम्बर 2017 को मांझी एवं दाउदपुर थाना क्षेत्र के सीमावर्ती इलाका बरेजा गांव स्थित ठाकुरबाड़ी से राधाकृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति की चोरी कर ली गई।
इसके ठीक एक वर्ष बाद वर्ष 2018 के फरवरी माह के चौथे सप्ताह यानिब18 फरवरी को तिविलगंज के प्रसिद्ध गौतम ऋषि मंदिर से चोरी हुई करीब 30 करोड़ से ज्यादा की कीमत वाली अष्टधातु की प्रतिमाएं आज तक पुलिस को हाथ नहीं लगी।

इस मंदिर से अष्टधातु की सीता माता एवं लक्ष्मण जी की करीब चालिस करोड़ की मुर्ति चोरी हुई थी।
इस थाना क्षेत्र के गोरिया छपरा (श्मशान घाट) स्थित ब्रह्मचारी जी के मंदिर में 23 सितंबर 2021 की रात्रि अज्ञात चोरों द्वारा मंदिर में स्थापित श्रीराम जानकी, हनुमंत लाला, लड्डु गोपाल एवं नारद जी आदि की अष्टधातु निर्मित करीब पांच किलोग्राम के 06 करोड़ मुल्य की मूर्ति चोरी गयी थी।

वही गत 07 सितंबर 2023 की रात्रि अज्ञात चोरों द्वारा विजय राय के टोला के सामने सरयू नदी घाट स्थित पौराणिक करियावा बाबा मंदिर परिसर से दान पेटी चोरी तथा मंदिर के ताला तोड़ कर मुर्ति चोरी करने का असफल प्रयास किया गया था।
जबकि मांझा स्टेट, हथुआ स्टेट एवं लक्ष्मी दास मंदिर में भी पुर्व में दर्जनों बेशकीमती लगभग एक अरब रुपये मूल्य की मुर्तियों की चोरी की घटना हो चुकी है। लेकिन अब तक चोरी गयी बेशकीमती एक चोरी की घटना को छोड़ कर किसी भी मुर्ति की बरामदगी नहीं हो सकी है।

वही करीब तीस वर्ष पूर्व विजय राय के टोला स्थित परमार्थी बाबा छावनी स्थित मंदिर परिसर में शत्रुध्न प्रसाद दास उर्फ मौनिया बाबा की सोये अवस्था में गला रेत कर निर्मम हत्या अज्ञात अपराधियों द्वारा कर दिया गया था। जिसकी गुत्थी भी आजतक नहीं सुलझ सकी है।
सितम्बर 2023 में पवहारी बाबा मठ से 44 किलोग्राम की अष्टधातु की हनुमान जी की करोड़ों की मूर्ति चोरी हुई थी,बीस वर्ष पहले भी पवहारी बाबा मठ से अष्टधातु की तीन मूर्तियां चोरी हुई थी।आज तक पुलिस मठ मंदिरों से मूर्ति चोर गिरोह के सरगनाओं तक नहीं पहुंच पाई है।
बहरहाल,भौगोलिक संरचनाओं एवं विभिन्न नदियों से घिरे सारण जिला में अवस्थित मठ मंदिरों में हो रही मूर्तियों की चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक सार्थक व सकारात्मक कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है।

 

 

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