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हाजीपुर: मासान्त कवि-गोष्ठी में बही सामयिक कविता की रसधार

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बिहार न्यूज़ लाइव हाजीपुर डेस्क: डॉ० संजय( हाजीपुर) – ऐतिहासिक गांधी स्मारक पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित रविवार को मासान्त कवि-गोष्ठी में सामयिक कविता की रसधार बही। वरिष्ठ रंगकर्मी मनोरंजन वर्मा की अध्यक्षता तथा डॉ० संजय विजित्वर के संचालन में आगत कवियों ने मर्मस्पर्शी कविताओं की प्रस्तुति की। कवि-गोष्ठी की शुरुआत प्रवीण सागर की गीतमयी रचना -जब बादल बन के आना,प्रेम वृष्टि बरसाना से हुई।

 

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इसके बाद उदीयमान कवियित्री साक्षी गोस्वामी ने नारी शिक्षा पर -मुझे सम शिक्षा दो, आरक्षण नहीं–वहीं,कविता नारायण ने -जीवन संभव हो जिसमें वह प्रकृति नाम है नारी — सुनाकर नारी शक्ति का बोध करायी। डॉ० महेन्द्र प्रियदर्शी की कविता- देखा था जैसा सपना, बापू, सुभाष, तिलक महान, कहाँ बना उनके सपनों का –इसके बाद स्वनाम धनी सोनपुर से पधारे वरिष्ठ कवि सीताराम सिंह ने गीत की चार पंक्तियाँ-दुश्मनी जब कहीं दूर जाने लगी,दोस्ती की हवा गुनगुनाने लगी -गाकर कवि-गोष्ठी में रस भर दिया। डॉ० नंदेश्वर की मुक्तक रचना-जमीन जल चुकी है,आसमान बाकी है, कुएं सूख चुके हैं,इम्तेहान बाकी है सुनाकर खूब वाहवाही लूटी –के बाद कवि गोष्ठी का संचालन कर रहे मासान्त कवि-गोष्ठी के संयोजक डॉ० संजय विजित्वर ने गीतमयी रचना-सत्य अड़ा है,खड़ा है,रहेगा- -सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी।इसके बाद विद्यालय शिक्षक, डॉ० महेश राय ने अपनी रचना से – भ्रष्टाचार पर प्रहार किया।

 

मनोरंजन वर्मा ने एक गीत -आओ तुम्हें तिमिर से आलोक में लेकर चलें सुनायी। कवि-गोष्ठी के अन्त में सुमन कुमार ने आगत कवियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कवि-गोष्ठी के माध्यम से अधिक- से-अधिक लोग जुटें और यह परंपरा चलती रहे , यही कामना है। इस अवसर पर साहित्य अनुरागी – गंगोत्री प्रसाद सिंह, सत्येश्वर कुमार, रोहन तथा विपिन कुमार सिंह की उपस्थिति रही।

 

 

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