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समस्तीपुर: खानपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी को यह पता नहीं कि कृषि पदाधिकारी का काम कृषि के लिए क्या है,और पशुओं की बीमारी के लिए पशु चिकित्सा पदाधिकारी का काम क्या है।

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बिहार न्यूज़ लाइव समस्तीपुर डेस्क: अर्जुन कुमार झा/सामस्तीपुर/खानपुर सरकार एक ओर जहां सभी विभाग को डिजिटल बना रही है,ऑनलाइन सर्विस दे रही है।वहीं खानपुर प्रखंड मुख्यालय की स्थिति ऐसी हो गई है।जहां पर पदास्थापित प्रखंड विकास पदाधिकारी श्रुति को प्रखंड के पशु चिकित्सा पदाधिकारी का नंबर तक मालूम नहीं है।और न हीं वह क्षेत्र के किसानों की समस्या को सुनना पसंद करते हैं।

 

जिसका जीता जागता उदाहरण है।खानपुर प्रखंड के पूर्व बीस सूत्री अध्यक्ष सह किसान संजीव कुमार सिंह और खानपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी श्रुति के बीच मोबाइल से हुई बातचीत।बता दें कि आए दिन खानपुर प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ो पशु विशेष प्रकार की नई बीमारी से ग्रसित हो रहे है।जिसमें पशुओं की जान जा रही है।लेकिन सरकारी व्यवस्था ऐसी है कि अधिकतर लोगों को पशु चिकित्सालय कहां पर स्थापित है।और कौन से डॉक्टर कहां बैठते हैं।उनका नंबर क्या है।इसकी जानकारी पशुपालक किसानों को नहीं है।

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हां,कुछ समाजसेवी जागरूक किसान हैं जिनके द्वारा जब चिकित्सा पदाधिकारी को फोन धराया जाता है,तो उनका मोबाइल बंद या कवरेज क्षेत्र से बाहर बताता है।तब जाकर लाचार एवं विवश किसान इसकी सूचना खानपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी श्रुति को मोबाइल से पशु के बीमार होने की सूचना देते हैं एवं चिकित्सा पदाधिकारी का नंबर उपलब्ध कराने को कहते हैं।तो प्रखंड विकास पदाधिकारी आक्रोशित हो जाते हैं और चिकित्सा पदाधिकारी के बजाय कृषि पदाधिकारी का नंबर किसान को देने की बात कहने लगते हैं।

 

समद रहे कि प्रखंड विकास पदाधिकारी को यहां तक पता नहीं है कि प्रखंड में पशु चिकित्सा पदाधिकारी भी होते हैं जिनका काम पशु की देख रेख करना है।इतना ही नहीं वह खुले शब्दों में कहते हैं कि पशु चिकित्सा पदाधिकारी का नंबर मेरे पास नहीं है।साथ हीं वे किसानों को बार-बार कृषि पदाधिकारी का नंबर देने की बात कहने लगते हैं।किसान संजीव कुमार सिंह ने बताया कि कहीं ना कहीं यूं कहे तो यह व्यवस्था ऑफसर शाही का हो गया है।

 

इसके अलावा कोई ना तो किसान हित में है और ना ही पशुपालक किसान के हित में ही,जिसका खामियाजा है कि आज सैकड़ो पशु विदेशी बीमारी से ग्रसित होकर मरने के कगार पर हैं ।
मामला का खुलासा तो तब हुआ जब इसकी सूचना संजीव कुमार सिंह के द्वारा मीडिया कर्मी को दी गई एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी से की गई बातचीत का ऑडियो वायरल किया गया।

 

 

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