बिहार न्यूज़ लाइव वाराणसी डेस्क: वाराणसी|भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित तथा शिक्षा विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी., वसंत महिला महाविद्यालय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विशेषाधिकार के अंतर्गत) A+ ग्रेड के साथ NAAC द्वारा मान्यता प्राप्त, के.एफ.आई., राजघाट, वाराणसी द्वारा “नई शिक्षा नीति 2020 : 21वीं सदी की परिवर्तनकारी शिक्षण पद्धति” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन दिनांक 3 नवंबर, 2023 को दीप प्रज्वलन एवं संगीत विभाग के डॉ. संजय वर्मा तथा डॉ. हनुमान प्रसाद गुप्ता द्वारा कुलगीत गायन से किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. डॉ. अलका सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में कई सकारात्मक उद्देश्य शामिल किए गए। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करना, मौजूदा परीक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षा के ढांचे में सुधार जैसे आवश्यक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है।
विषय स्थापना करते हुए संगोष्ठी संयोजक प्रो. डॉ. मीनाक्षी बिस्वाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है जिसका लक्ष्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना है। महत्वपूर्ण बात यह है कि एनईपी : 2020 में 21वीं सदी के महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी शिक्षण पद्धति कौशल के विकास पर बल दिया गया है जो उच्चतर शिक्षा के लिए अच्छा है। यह 21वीं सदी के उच्च शिक्षण में एक सकारात्मक परिवर्तन है। यह 10+2 संरचना से 5+3+3+4 सिस्टम में परिवर्तन का प्रतीक है।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. श्रीकांत मूर्ति (कुलपति, एस.एस.एस.यू.एच.ई., कलबुर्गी, कर्नाटक) ने अपने वक्तव्य में कहा कि नई शिक्षा नीति : 2020 एक अंतःविषयक महाविद्यालयी शिक्षा प्रदान करती है जिसमें लचीली अध्ययन योजनाएं शामिल हैं। नई नीति का एक प्रमुख लक्ष्य अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है। वास्तव में, एनईपी का लक्ष्य 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 50% तक है। इस नीति का लक्ष्य 100% युवाओं और वयस्कों के लक्ष्य को हासिल करना है। नई शिक्षा नीति स्पष्ट रूप से सही दिशा में एक बहुत आवश्यक कदम है। यदि सही ढंग से इस नीति को लागू किया जाए, तो यह भारतीय शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव की शुरुआत कर सकता है।
हमारा जोर बच्चे के सर्वांगीण विकास पर है। इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि जीवन कौशल आधारित पाठ्यक्रम का उपयोग करके स्वतंत्र मस्तिष्क का पोषण किया जाए जो यह सुनिश्चित करता है कि 21वीं सदी के करीब के छात्रों के लिए कौशल की आवश्यकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र सीखने का आनंद लें और जीवन भर के लिए सीखने का आनंद लें।
मुख्य वक्ता प्रो. अंजलि वाजपेई (अध्यक्ष एवं संकाय प्रमुख, शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी) ने नई शिक्षा नीति : 2020 के मुख्य उद्देश्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए उच्चतर शिक्षा का एक मुख्य उद्देश्य युवा को समाज और देश की समस्याओं के लिए प्रबुद्ध, जागरूक, जानकार और सक्षम बनाना है ताकि युवा नागरिकों का उत्थान कर सकें और समस्याओं का सशक्त समाधान ढूंढ कर और उन समाधानों को कार्यान्वित करके एक प्रगतिशील, सुसंस्कृत, उत्पादक और समृद्ध राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर सकें।
उच्चतर शिक्षा के सन्दर्भ में विभिन्न आयामों की ओर ये नई शिक्षा अग्रसर होती है जिसमें मुख्य हैं- गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालय और महाविद्यालय, संस्थागत पुनर्गठन और समेकन, समग्र और बहु- विषयक शिक्षा, सीखने हेतु सर्वोत्तम वातावरण और छात्रों को सहयोग, प्रेरणादायक, सक्रिय और सक्षम संकाय, शिक्षा में समता का समावेश, भविष्य के अध्यापकों का निर्माण, व्यावसायिक शिक्षा का नवीन रूप, गुणवत्तायुक्त अकादमिक अनुसंधान, उच्चतर शिक्षा की नियामक प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन, उच्चतर शिक्षा संस्थानों में प्रभावी प्रशासन और नेतृत्व।
संगोष्ठी में महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के शिक्षाविद् सम्मिलित थे।
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