बिहार न्यूज़ लाइव मुंगेर डेस्क: मुंगेर से निरंजन कुमार की रिपोर्ट /पादुका दर्शन सन्यास पीठ में चल रहे लक्ष्मी नारायण यज्ञ के चौथे दिन स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि योग नगरी में स्थापित सन्यास पीठ का उद्देश्य समाज का उत्थान एवं संस्कृति का अवतरण है| कहां कि स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने सन्यास पीठ की स्थापना किए थे तभी से आश्रम में लक्ष्मी नारायण यज्ञ शुरू हुआ जो पर्व के रूप में प्रत्येक साल मनाया जाता है| स्वामी जी ने बताया कि सेवा प्रेम की अभिव्यक्ति होती है इच्छा काम वासना के साथ किया गया कार्य सेवा नहीं होता जिस प्रकार की मां अपने बच्चे का सेवा करती है
उन्होंने बताया कि प्रेम सद्भावना के साथ जोड़ते हैं भक्ति कहलाती है सद्भावना का अर्थ है ईश्वर की ओर आकर्षित होना| बताया कि प्रेम को समझना है तो संतो के जीवन को देखने का कोशिश करें| अपने आप को परोपकार से जोड़ें| घर और परिवार में संगठन पर बल देते हुए कहा कि अहंकार से दूर रहें और निष्ठा से जुड़े परिवार में शांति का माहौल सदैव बना रहेगा| भक्तों के बीच यज्ञ का अक्षत प्रसाद बांटा गया| स्वामी जी ने बताया कि आध्यात्मिक जीवन का अर्थ सेवा के लिए समर्पित जीवन होता है|
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