स्नेह और मंगल की कामना का प्रतीक है चुमावन की परंपरा

Rakesh Gupta

 

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

 

सिवान:सनातनी समाज में विवाहोत्सव के दौरान अनेक ऐसी परंपराएं देखने को मिलती हैं, जिसका विशेष महत्व और निहितार्थ होता है। ऐसी ही एक विशेष लोकपरंपरा चुमावन की होती है, जिसका विशेष वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व होता है।

 

विवाह उत्सव के दौरान वर और वधू के कई बार चुमावन की परंपरा का पालन किया जाता है। इस परंपरा में वर और वधू के परिवार की सुहागन महिलाएं और बालिकाएं हाथ में स्वर्ण आभूषण लेकर अक्षत यानी चावल के टुकड़े को लेकर वर वधू के पहले चरण फिर कंधे पर रखते हुए उसके ऊपर छींटती हैं। इस तरह वर और वधू को स्नेहपूर्ण मंगल आशीष दिया जाता है। इस दौरान लोक परम्परा के मुताबिक हंसी ठिठोली के लिए गारी गायन किया जाता है। जिसमें ननद भौजाई आदि के रिश्तों की ठिठोली होती है लेकिन इस लोक परम्परा का मूल उद्देश्य वर वधू को स्नेह से भरपूर मंगल आशीष देना ही होता है।

 

अब हम चुमावन की परंपरा के वैज्ञानिक महत्व पर मंथन करें तो पाते हैं कि इसमें इस्तेमाल होने वाले अक्षत और स्वर्णाभूषण का विशेष महत्व होता है। वैदिक शास्त्रों में अनाज के रुप में चावल को सबसे शुद्ध माना जाता है। चावल का सफेद रंग शांति और सुकून का प्रतीक भी माना जाता है इसलिए घर परिवार में शांति की कामना के लिए अक्षत से चुमावन किया जाता है। अक्षत का अर्थ ही होता है, जो खंडित न हो इस तरह अक्षत एकाग्रता और समग्रता का प्रतीक होता है। शायद इन्हीं तथ्यों के कारण चुमावन में अक्षत का प्रयोग किया जाता है।

 

इसी तरह भारतीय समाज में स्वर्ण आभूषण की विशेष महता रही है। ऋग्वेद के हिरण्यगर्भ सूक्त में उल्लेख है कि सृष्टि हिरण्य गर्भ यानी स्वर्ण के गर्भ से आरंभ हुई थी। हिन्दू सोने को दुनिया को चलाने वाली सबसे बड़ी शक्ति सूर्य का प्रतीक भी मानते हैं। स्वर्ण को समृद्धि के साथ जीवन में सुख और आनंद का आधार भी माना जाता है।

 

साथ ही लोक परम्परा की एक कथा के मुताबिक एक हेम नामक राजा के यहां पुत्र के जन्म होने पर ज्योतिषियों ने बताया कि शादी के चार दिन बाद इसकी मृत्यु हो जायेगी। राजकुमार के विवाह के बाद उसकी मृत्यु हो गई तो यमराज उन्हें लेने आए लेकिन राजकुमार की पत्नी ने गहनों का ढेर लगाकर यमराज का रास्ता रोक लिया और यमराज राजकुमार के जीवात्मा को नहीं ले जा सके और राजकुमार जीवित हो गए। इसीलिए लोक परम्परा में स्वर्ण को विशेष महत्व दिया जाता है।

 

इसलिए विवाह उत्सव में वर वधू के चुमावन की परंपरा का मूल उद्देश्य दोनों के ऊपर स्नेह और मंगल आशीष का बारिश करना ही होता है ताकि वर वधू का दाम्पत्य जीवन सुखद और समृद्ध रह सके।

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