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पोषण पुनर्वास केंद्र में पूरे हो रहें बेबस मां के अरमान, नौनिहालों के चेहरे पर लौट रही है मुस्कान

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• कुपोषित बच्चे के जीवन में उजियारा ला रहा है पोषण पुनर्वास केंद्र
• मेरी लाडली और लाडला दोनो हो गये थे कुपोषित, अब स्वस्थ होकर घर लौटे
• जागरूकता फैलाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण

छपरा। हर मां की लालसा होती है कि कलेजे के टुकड़े को खिला-पिलाकर स्वस्थ रखे। उसके मनोरंजन के लिए मनपसंद खिलौने दे, लेकिन मुफलिसी व बेबसी के कारण उसकी इच्छा पूरी नहीं हो पाती। उसके अरमान को पूरा कर रहा है छपरा सदर अस्पताल में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी में न सिर्फ कुपोषण के चलते बीमारियों से ग्रसित नौनिहालों का उपचार किया जा रहा है, बल्कि वार्ड में बच्चों को खेलने से लेकर सभी सुविधाएं भर्ती के दौरान मुहैया कराई जा रही हैं। पोषण पुर्नवास केंद्र बच्चों को न केवल नवजीवन प्रदान कर रहा है, बल्कि कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बड़ा हथियार साबित हो रहा है।

मेरी लाडली और लाडला को मिला जीवनदान…

मेरी तीन वर्षीय बेटी पीहू कुमारी कुपोषण का शिकार थी, वह काफी कमजोर थी जिस वजह से वह हमेश बीमार रहती थी, तब मुझे पोषण पुनर्वास केंद्र के बारे में जानकारी मिली तब मैनें अपने बेटी और बेटे दोनों को लेकर यहां आयी। जब यहां आयी थी तो बेटी पिहू का वजन सिर्फ 8 किलो 500 ग्राम था। यहां 21 दिन तक रही और सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने अच्छे से निस्वार्थ भाव से देखभाल और इलाज कर मेरी बेटी को पूरी तरह से स्वस्थ कर दिया। अब उसकी वजन बढ़कर 9 किलो 700ग्राम हो गया है। इसी तहर मेरा बेटा आशीष जो दो साल का है वह भी काफी कमजोर था। उसे खून की कमी थी। लेकिन यहां भर्ती होने के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गया। उसका भी वजहन 7 किलो 600 ग्राम से बढ़कर 8 किलो 700 ग्राम हो गया है। वह भी पूरी तरह से ठीक है।

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सीमा देवी, गोदना, रिविलगंज सारण

अब मेरी बेटी खूब खिलखिलाती है और खेलती है:
मेरी अनुष्का कुमारी जो 13 माह की है। हमेशा बीमार रहती थी, उसे हमेशा बुखार रहता था और सुस्त रहती थी। चेहरे पर कभी मुस्कान नहीं आती। कितना भी इलाज कराएं लेकिन ठीक नहीं हो रही थी। एक दिन मेरे पड़ोस की एक दीदी आयी और बोली कि यह कुपोषित है। इसे एनआरसी में ले जाओ वहां ठीक हो जायेगी। तब मैं यहां अपनी बेटी को लेकर आयी। 8 दिनों से यहां पर है। पहले से काफी ठीक हो चुकी है। इसका वजन भी बढ़ रहा है और अब हंसती खिलखिलाती है। सही से आहार भी खा लेती है। बुखार भी अब नहीं आ रहा है।
ललिता देवी, चतरा, जलालपुर सारण

हमेश सुस्त रही थी बेटी मेरी:
पहले में मेरी बेटी कनक कुमारी (2 साल) हमेशा सुस्त रहती थी, न खेलती थी न दूध पचा पा रही थी। उल्टी कर देती थी। इसको लेकर मुझे चिंता सता रही थी कि मेरी बेटी ठीक हो पायेगी या नहीं, लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में आकर मेरा विश्वास बढ़ गया। यहां मेरी बेटी 13 दिनों से भर्ती है। अब इसके स्वास्थ्य में काफी सुधार है। इसका वजन भी पहले से बढ़ रहा है। जब आयी थी तो इसका वजन 7 किलो 800 ग्राम था जो अब बढ़कर 8 किलो 400 ग्राम हो गया है। अब दूध पीलाने और खिलाने पर अच्छे से खा रही है। इसे स्वस्थ देखकर मुझे काफी खुशी हो रही है।
पूजा देवी, कादीपुर, नगरा सारण

कुपोषण के खिलाफ जंग में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण:
किसी भी कार्यक्रम को समुदाय तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसे में पोषण पुनर्वास केंद्र को लेकर समुदाय में जागरूकता फैलाने में मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया है। यहां कुपोषित बच्चों के इलाज के साथ-साथ खेलने की सुविधाएं, रहने-खाने, माँ को साथ रहने की सुविधाएं है। साथ हीं माँ प्रतिदिन 100 रूपये के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। पोषण पुनर्वास केंद्र में समर्पित चिकित्सक और कर्मी तैनात हैं जो कुपोषित बच्चों का देखभाल करते हैं।
डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, सिविल सर्जन, सारण

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