अररिया: ये भरगामा पीएचसी है,यहां बेड कबाड़ में आराम करता है,चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से मरीज बेहाल
बिहार न्यूज़ अररिया डेस्क: अंकित सिंह,प्रतिनिधि,भरगामा।
भरगामा में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा अब लोगों के जुबान पर जोर पकड़ने लगा है. गरीब मरीजों का फ्री ईलाज के लिए सरकार की ओर से लंबी-चौड़ी बातें जरूर सुनने को मिलती है,लेकिन स्वास्थ्य विभाग के चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण भरगामा पीएचसी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है.
पीएचसी के बदहाली के कारण इस क्षेत्र के लोगों को निजी क्लिनिकों पर निर्भर रहने को विवश होना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि जब अस्पताल खुद हीं बीमार है तो यहां लोगों का इलाज कैसे संभव हो पाएगा. लोगों का कहना है कि डिजिटल इंडिया,स्कील इंडिया,स्मार्ट इंडिया,आयुष्मान भारत जैसी विभिन्न योजनाओं के बीच लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा तक उपलब्ध नहीं होना जनता के रहनुमाओं को आईना दिखाने के लिए काफी है. लापरवाह व हांफती स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते मजबूरी में लोग निजी क्लिनिक व निजी चिकित्सक के शरण में जाने को मजबूर हैं. जहां गरीबों के शोषण में कोई परहेज नहीं किया जाता है. आज के इस दौर में जहां स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त दुरुस्त करने का सरकार दंभ भर रही है,वहीं भरगामा प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य सेवा सरकार को मुंह चिढ़ा रही है. बताया जाता है कि यहां पदस्थापित कई चिकित्सक लंबे समय से गयाब हैं,
जिसका जानकारी विभाग को नहीं है. इलाजरत मरीजों ने बताया कि यहां चिकित्सक के नियमित नहीं रहने के चलते नर्स व कंपाउंडर के भरोसे रोगियों का इलाज हो रहा है,यहां मरीजों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक की व्यवस्था नहीं है,मरीजों के लिए ढंग का शौचालय नहीं है,नाम मात्र एक शौचालय है भी तो वहां भी गंदगियों का अंबार लगा रहता है,यहां पदस्थ सफाई कर्मचारियों का अस्पताल के अन्दर गंदगी से कोई सरोकार नजर नही आता है. कहा कि यहां ईलाज करवाने वाले गरीब मरीजों को मुक्त दवाइयां भी नहीं मिलती है,कई रोगियों ने बताया कि जब वे मुक्त में मिलने वाली सरकारी दवाइयां के लिए दवाई स्टोर पर जाते हैं तो उन्हें दवाई स्टोर रूम के स्टॉफ के द्वारा कहा जाता है कि यहां तुम्हारे बीमारियों का कोई दवाइयां उपलब्ध नहीं है,बाहर के मेडिकल से सभी दवाइयां ले आओ. मरीजों ने बताया कि बारिश होने के बाद स्वास्थ्य भवन की बिल्डिंग से पानी टपकता रहता है,यहां प्रसव और नवजात प्रसूता मरीजों के लिए भी किसी प्रकार की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है,कहा कि इतनी भयंकर गर्मी में भी मरीजों के लिए पंखा नहीं है,
अगर कहीं पंखा लगा हुआ भी है तो वह पंखा भी काफी दिनों से खराब है,कहा कि आधा से ज्यादा मरीजों के रूम की लाइट खराब है,जिसके कारण रात में मरीजों के रूम में अंधेरा कायम रहता है,कहा कि जिस रूम में प्रसव और नवजात प्रसूता मरीजों को रखा जाता है,उस रूम में गंदगियों का अंबार लगा रहता है,कहा कि मरीजों के लिए लगाए गए बेड और चादर अक्सर गंदा रहता है,कहा कि यहां इलाज करवाने वाले गरीब मरीजों का इलाज भगवान भरोसे होता है. बताया कि कुल मिलाकर यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमराई हुई है,जिसके कारण मरीज बेहाल है. बता दें कि इस अस्पताल परिसर में वर्षों से करीब 50 बेड खुले आसमान के नीचे फेका हुआ है,जिसे कोई देखने वाला नहीं है.
इस अस्पताल के आसपास के लोग कहते हैं कि कभी इस स्वास्थ्य केंद्र की भी बड़ी हस्ती थी. सुबह से शाम तक मरीजों का आना-जाना लगा रहता था. चिकित्सक से लेकर नर्स तक की व्यवस्था हर समय उपलब्ध रहती थी. लेकिन बेरहम व्यवस्था ने ऐसा डंक मारा कि अब यह अस्पताल खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है. बताया गया कि इस अस्पताल में भरगामा हीं नहीं आसपास के प्रखंडो के लोग भी इलाज करवाने आते थे,लेकिन आज लापरवाह व सुस्त व्यवस्था के चलते लोगों को निजी चिकित्सक व निजी अस्पताल के शरण में जाना पड़ रहा है.
बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां अच्छी स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने के कारण मरीजों को फारबिसगंज,रानीगंज,अररिया एवं पूर्णिया ले जाने को मजबूर होना पड़ता है. ऐसे में मरीजों के साथ अनहोनी भी हो जाती है. इतनी घनी आबादी रहने के बावजूद यहां ढंग की स्वास्थ्य सुविधा तक नहीं है जो शर्मनाक बात है. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर के.के. कश्यप ने बताया कि उक्त सभी बिंदुओं पर जांच-पड़ताल के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
Comments are closed.