बिहार न्यूज़ लाइव वाराणसी डेस्क: | विधान परिषद में चल रहे मानसून सत्र के पांचवें दिन सपा एमएलसी ने वाराणसी के विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा है कि विकास प्राधिकरणों का मुख्य कार्य नगरीय क्षेत्रों में सुनियोजित विकास के उद्देश्य से आवासीय फ्लैट, प्लॉट व कालोनियां विकसित करके उसको जनता को उचित दरों पर उपलब्ध कराना है। विकास प्राधिकरण क्षेत्र के अन्तर्गत कोई भी विकास एवं निर्माण कार्य किए जाने से पूर्व उ0प्र0 नगर योजना और विकास अधिनियम, 1973 की धारा-15( मानचित्र स्वीकृति) के अधीन अनुज्ञा प्राप्त किया जाना अनिवार्य है, लेकिन आजकल इसका दुरुपयोग चरम पर है। उन्होंने बताया कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में 100 वर्ग मीटर का नक्शा पास कराए बिना भी भवन निर्माण कराया जा सकता है।
इसके साथ ही आजकल अधिनियम की धारा 27 (नोटिस), 28 (निर्माण कार्य रोकन (2) (पुलिस को सूचना) 27 (1) (ध्वस्तीकरण) का भी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा जबरदस्त दुरुपयोग किया जा रहा है और यह सारी धाराएं गरीब और सामान्य नागरिकों के लिए हैं, जबकि बड़े-बड़े भवन माफियाओं द्वारा सभी नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कराए जा रहे हैं, और विकास प्राधिकरण के अधिकारी उन्हें संरक्षण भी दे रहे हैं।
आज व्यवसायिक भवनों के निर्माण के मानचित्र स्वीकृति हेतु विद्युत विभाग, अग्निशमन विभाग, ट्रैफिक, नगर निगम,जल संस्थान व कहीं कहीं पर पुरातत्व विभाग के एनओसी की आवश्यकता होती है जो कि पूरे प्रदेश में शायद ही 5 से 10% लोगों द्वारा ही पूरा किया जाता है। चूँकि प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन सरकार नहीं देती है, इसलिए उन्हें स्वयं ही अपने वेतन की व्यवस्था करनी पड़ती है। साथ ही आउटसोर्सिंग के माध्यम से 12000-15000 रुपये मानदेय पर कर्मचारी व अधिकारी रखे जा रहे हैं, जिससे उनके द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना भी स्वाभाविक है।
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