पवित्र पुष्कर सरोवर की धार्मिक आस्था व अस्तित्व के साथ खिलवाड़ क्यों? – पाराशर
*पुष्कर तीर्थ में बुनियादी सुख- सुविधाओं से जुड़े प्रकरणों का निस्तारण हो
* नवीन चिकित्सालय के लिए शीघ्र भूमि आवंटन हो
* आज पवित्र पुष्कर सरोवर की अस्मिता पर प्रश्न चिन्ह
*पुष्कर सरोवर के डूब क्षेत्र,बरसाती जल -बहाव क्षेत्र व कैचमेंट एरिया में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही
बिहार न्यूज़ लाइव/अजमेर डेस्क: (हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर तीर्थ नगरी में बुनियादी सुख सुविधाओं से जुड़े लंबित प्रकरण निस्तारण एवं पवित्र पुष्कर सरोवर के डूब क्षेत्र में अवैध निर्माणों से सरोवर के अस्तित्व से खिलवाड़ व धार्मिक आस्था को आघात मामले में प्रभावी कार्यवाही होनी चाहिए । यह बात पुष्कर के सामाजिक कार्यकर्ता अरूण पाराशर ने कही।
पाराशर ने कहा कि आज पुष्कर का नागरिक व तीर्थ यात्री मूलभूत सुविधाओं का मोहताज है ।पुष्कर के नागरिकों, जन प्रतिनिधियों के द्वारा पुष्कर में उच्च स्तरीय 100 बेड के सामुदायिक चिकित्सालय भवन निर्माण हेतु भूमि आवंटन की मांग की गई थी । जिस पर पाराशर ने पुष्कर की जन सुनवाई के दौरान उपखंड अधिकारी को पत्र लिखकर यह माँग उठाई है ।
पाराशर ने बताया कि ज़िला कलक्टर द्वारा चिकित्सालय के लिए उपखंड अधिकारी के माध्यम से नेडलिया ग्राम की खसरा नंबर 364 की भूमि में से रकबा 5 एकड़ भूमि( साढ़े बारह बीघा) का प्रस्ताव बनाकर गत् पांच माह पूर्व ही भिजवाया जा चुका है लेकिन आज दिन तक उक्त अति महत्वाकांक्षी बुनियादी विकास कार्य चिकित्सालय भवन हेतु भूमि का आवंटन नहीं हो सका है ।जबकि राज्य सरकार ने तो नवीन चिकित्सालय हेतु बजट में घोषणा के साथ गत दिनों 100 बेड का नवीन चिकित्सालय के लिए कार्मिकों के पद सृजन आदेश भी संबंधित विभाग को कर दिए बताया गया । फिर भी प्रकरण का निस्तारण नहीं हो सका। पाराशर ने लिखा कि चिकित्सालय की क़वायद शीघ्र ही हो तो पुष्कर क्षेत्र के निवासियों के साथ तीर्थ यात्रियों ,पर्यटकों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सके।
पाराशर ने एक अन्य प्रकरण में लिखा है कि पवित्र पुष्कर सरोवर के डूब क्षेत्र,बरसाती जल -बहाव क्षेत्र व कैचमेंट एरिया में स्थानीय प्रशासन व जिम्मेदार विभागों की घोर अनदेखी और मिली भगती से डूब क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में बिना भू उपयोग परिवर्तन कराएं व बिना नक्शा स्वीकृति के अवैध निर्माण हुए हैं।जिनमें होटलों सहित अवैध आवासीय कालोनियां तक बसाई जा रही है ।इस कारण इन अवैध निर्माणों से निकलने वाली मल -मूत्र गंदगी सरोवर के जल में समावेश हो जाने से पवित्र पुष्कर सरोवर का जल दूषित होने व इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है ।जिसके कारण सनातन हिंदू धर्मावलंबियों की धार्मिक भावना व आस्था को आघात पहुंच रहा है।
पाराशर के अनुसार यह ऐसी अनदेखी भी तब हो रही है जब अब्दुल रहमान बनाम सरकार के निर्णय में ऐसे अवैध निर्माण डूब क्षेत्र में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित माने गए है। ये ही नही कॉमन काज सोसायटी अजमेर द्वारा दायर रिट याचिका में माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में पारित निर्णय की पालना में तत्कालीन जिला कलक्टर अजमेर सन 2009 में पुष्कर सरोवर के डूब क्षेत्र व कैचमेंट एरिया में बिना अनुमति निर्माण व भू उपयोग परिवर्तन नहीं करने व न ही जल विद्युत कनेक्शन देने के स्पष्ट आदेश स्थानीय राजस्व विभाग ,नगर पालिका जल विद्युत विभाग को दिए जा चुके हैं । इसके बावजूद उक्त आदेशों की पूर्ण अवहेलना होते रहने से सरोवर डूब क्षेत्र और कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माणों की मानों बाढ़ सी आई हुई है। आज इसका दुष्परिणाम सबके सामने है कि सन 2019 व इसी वर्ष मानसून में भारी बरसात के कारण पुष्कर सरोवर का जल भराव उच्च स्तर लेवल तक पहुंच कर डूब क्षेत्र में बने अवैध निर्माणों में पांच से सात फीट तक भर गया ।ऐसे मेंअवैध निर्माणों का मल मूत्र गंदगी के सेफ्टी टैंक पवित्र सरोवर जल को खुले आम दूषित करते दिखाई दे रहे है ।
पाराशर ने पुष्कर की आस्था और पवित्र सरोवर के अस्तित्व अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि पुष्कर की आस्था के इस कदर हो रहे खिलवाड़ घोरतम बर्बादी और अनिष्ट को अविलंब रोके जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए डूब क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माणों को उच्च स्तरीय कार्यवाही अमल में लाकर हटाएं जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की जावे अन्यथा यह गंभीर मामला दिन प्रतिदिन अति संवेदनशील बनता जा रहा है । जो आम जन मानस की भावना को प्रभावित कर उन्हें उग्र आंदोलन करने पर मजबूर कर सकता है ? इसलिए पवित्र पुष्कर तीर्थ सरोवर के अस्तित्व की रक्षार्थ तत्काल प्रभावी आवश्यक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए ।