Bihar News Live
News, Politics, Crime, Read latest news from Bihar

 

हमने पुरानी ख़बरों को archive पे डाल दिया है, पुरानी ख़बरों को पढ़ने के लिए archive.biharnewslive.com पर जाएँ।

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई के आयोजित कार्यक्रम का किया उद्घाटन

आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, हमें इसे अपनाने की जरूरत है', बोधगया में बोले राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

306

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई के आयोजित कार्यक्रम का किया उद्घाटन

आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, हमें इसे अपनाने की जरूरत है’, बोधगया में बोले राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

बोधगया: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर बोधगया में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसे हम सबों को अपनाने की जरूरत है | उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी मां रसोई घर से ही कुछ चीज़े लेकर मा इलाज कर देती थी और मैं ठीक हो जाता था। हम इस पद्धति को अलग नहीं हो सकते हैं.’

आयुर्वेद भारत के प्राचीन वैदिक काल में उत्पन्न एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है. इस प्राचीन पद्धति को हमसबों को अपनाने की जरूरत है. यह पद्धति अपने आपको केवल मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर और मन का भी विचार आयुर्वेद में किया गया है. उक्त बातें बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई के आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा.

उन्होंने कहा आगे कहा कि वर्तमान दौर में आयुर्वेद की मान्यता बढ़ रही है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति भारतीय वैदिक संस्कृति से जुड़ी है. विश्व की जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां आज है, सबकी जननी किसी न किसी रूप में हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ही है. लेकिन बदलते दौर में इस चिकित्सा पद्धति को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति मानते हैं। आयुर्वेद के क्षेत्र में हजारों सालों से जो शोध या अनुसंधान किया गया है. वह हमारे समक्ष है। परन्तु हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति को मूलभूत मानते हैं।

 

उन्होंने कहा कि हर घर के रसोई में भी आयुर्वेद की दवा उपलब्ध है. इसे अपनाने की जरूरत है. मानव विचार को एक साथ लेकर चलना ही हमारी संस्कृति है. कहा कि हम स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। इस मौके पर आयुर्वेद चिकित्सा के छात्रों को सम्मानित भी किया।

विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई के द्वारा आयोजित पाटलिपुत्र राष्ट्रीय संभाषा 2024 एवं पंडित गंगाधर शर्मा त्रिपाठी स्मृति अखिल भारतीय स्नातक स्तरीय निबंध प्रतियोगिता तथा श्लोकवाचन प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह दिनांक 10 एवं 11 फरवरी को गया जिले के महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र, बोधगया में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। सेमिनार का विषय नेत्र रोगों की आयुर्वेदिक चिकित्सा थी। जिसमे देश एवं राज्य से 750 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार राज्य के राज्यपाल राजेंद विश्वनाथ अर्लेकर के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम मे भारतीय चिकित्सा पद्धति, राष्ट्रीय आयोग,भा0 चि0 प0 चिकित्सा आकलंन और रेटिंग बोर्ड के अध्यक्ष, वैध प्रो0 रघुराम भट्ट , श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति वैध प्रो0 के0 एस0 धीमान, वैध प्रो0 रजनी एन नायर, सदस्य रेजिस्ट्रेशन बोर्ड (NCISM), वैद्य प्रो0 मंजूषा राजगोपाला, प्रोफेसर शालाक्य विभाग, आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद साइंस नई दिल्ली, एवं प्रो0 गोविन्द सहाय शुक्ला राष्ट्रीय अध्यक्ष, तथा राष्ट्रीय सचिव, विश्व आयुर्वेद परिषद् , वैध शिवादित्य ठाकुर, का सानिध्य मिला। इसके अतिरिक्त पटना, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, गया छपरा, सिवान आयुर्वेद महाविद्यालयों शासी निकाय के सदस्यों के साथ विद्वान शिक्षक, चिकित्सक छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे। प्रतियोगिता में बिहार प्रान्त के अतिरिक्त दिल्ली, गुजरात, भोपाल, बैंगलोर, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराँचल, के सफल प्रतिभागियों को स्वर्ण पदक, रजत पदक, कांस्य पदक के साथ ₹10000,₹7500,₹5000 की राशि प्रदान की गई। यह जानकारी वैद्य सुधांशु त्रिपाठी (महासचिव) विश्व आयुर्वेद परिषद्, बिहार इकाई ने दी है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More