मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को पारिवारिक माहौल में दी जाती है अक्षर-ज्ञान की शिक्षा-दीक्षा
मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से नामांकित बच्चों को बनाया जाएगा स्मार्ट: डीपीओ
मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र में नौनिहालों का रखा जाता है विशेष ख़्याल: सीडीपीओ
बच्चों को पढ़ाई के साथ ही पौष्टिक आहार खाने से लेकर सभी तरह का रखा जाता है ख्याल: सिद्धार्थ
बच्चों का रुझान बढ़ाने में मॉडल केंद्र की अहम भूमिका: महिला पर्यवेक्षिका
फोटो 08 अक्षर ज्ञान की जानकारी देती आंगनबाड़ी सेविका
बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क: छपरा कार्यालय।
ग्रामीण क्षेत्रों के नौनिहालों को विशेष रूप से ख्याल रखना हम सभी की जिम्मेदारी होती है। क्योंकि बच्चों को मनोरंजन के साथ ही अक्षर ज्ञान देने के उद्देश्य से समेकित बाल विकास परियोजना के द्वारा शहर से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। ताकि बच्चों को स्कूल जाने से पूर्व सभी प्रकार से अक्षर ज्ञान की शिक्षा-दीक्षा दी जा सके। जिले में 4638 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं। जबकि विभिन्न प्रखंडों में 66 चयनित आंगनबाड़ी केंद्रों का कायाकल्प करने के उद्देश्य से मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में विकसित कर आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाया गया है। इसके साथ ही इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ा गया है। ताकि बच्चों के लिए इसे बेहतर व उपयोगी बनायी जा सके।
मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से नामांकित बच्चों को बनाया जाएगा स्मार्ट: डीपीओ
समेकित बाल विकास परियोजना विभाग की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) कुमारी अनुपमा ने बताया कि जिले के सभी 66 मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को स्मार्ट बनाए जाने को लेकर कवायद पहले से ही शुरू कर दी गई है। इसके लिए इन प्रखंडों से कुछ ही आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल बनाया गया है। ताकि उसको देख कर आसपास के केंद्रों की सेविकाओं द्वारा एक सार्थक प्रयास कर अपने केंद्रों को भी उसी तर्ज़ पर बनाया जा सके। जिन केंद्रों में आधारभूत सुविधाओं की कमी रहेंगी वहां बढ़ायी जाएगी। इसके साथ ही आधुनिक तकनीक से भी जोड़ा जाएगा। ज़िले के सभी प्रखंडों में मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। इन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को संबंधित सेविकाओं द्वारा खेल-खेल में ही नई-नई तकनीकों के सहारे अक्षर का ज्ञान दिया जाता है।
मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र में नौनिहालों का रखा जाता है विशेष ख़्याल: सीडीपीओ
नगरा प्रखंड की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी पूजा कुमारी ने बताया कि स्थानीय प्रखंड में 139 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है। 3 आंगनबाड़ी केंद्रों को जनवरी 2020 में मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बनाया गया है। इन तीनों केंद्रों को मॉडल बनाए जाने के बाद से बच्चों का रुझान काफ़ी बढ़ गया है। क्योंकि हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जिस कारण अभिभावकों का विश्वास पहले की अपेक्षा काफी बढ़ा हुआ है। वहीं नामांकित बच्चों का ध्यान बढ़ाने के लिए खेलकूद के अलावा सभी तरह की व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है।
बच्चों को पढ़ाई के साथ ही पौष्टिक आहार खाने से लेकर सभी तरह का रखा जाता है ख्याल: सिद्धार्थ
राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि जिले के सभी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही पौष्टिक आहार खाने से लेकर सभी तरह का ख्याल रखा जाता है। सभी जगह पोषण वाटिका बनायी गयी है। जहां नींबू, पालक, पपीता, अमरुद, केला, गाजर, फूल की खेती कराई जाती है। मौसम के अनुसार भी खेती की जाती है। वहीं पढ़ने वाले बच्चों की माताओं के विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए महीने के प्रथम शुक्रवार को आरोग्य दिवस मनाया जाता है। जिसमें एएनसी जांच की सुविधा उपलब्ध रहती है।
बच्चों का रूझान बढ़ाने में मॉडल केंद्र की अहम भूमिका: महिला पर्यवेक्षिका
महिला पर्यवेक्षिका प्रिया राज ने बताया कि धूप नगर धोबवल पंचायत अंतर्गत बरनपुरा गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या- 22 विगत 2014 से ही संचालित है। कोरोना संक्रमण काल से पहले यानी जनवरी 2020 में इसको मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बनाया गया है। जबसे मॉडल केंद्र बना हुआ है तभी से इसके प्रति बच्चों का रुझान बढ़ा हुआ है। पहले के दिनों में पोषक क्षेत्र के बच्चे या अभिभावकों द्वारा केंद्र पर आने में अधिक रुचि नहीं रहती थी। अब आवश्यकता अनुसार सुख- सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। जिस कारण सुविधाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है।
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