दिव्यांग क्रिकेट में विश्व फतह के भारतीय सितारे
श्रीलंका के कोलंबो में भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के रणबांकुरों ने दी इंग्लैंड टीम को करारी शिकस्त
डीसीसीआई महासचिव रविकांत चौहान के नेतृत्व में लम्बी सुव्यवस्थित तैयारी और सुनियोजित रणनीति से मिली मंजिल
✍️ डॉक्टर गणेश दत्त पाठक
श्रीलंका के कोलंबो में भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम ने विगत दिवस इतिहास रचा है। इंटरनेशनल पीडी चैंपियंस ट्रॉफी में इंग्लैंड की टीम को करारी शिकस्त देकर विश्व खिताब पर कब्जा जमाया। इस सफलता में एक लंबी सुनियोजित और सुव्यवस्थित रणनीति की भूमिका है। दिव्यांग खिलाड़ियों के हौंसले और जुनून की भागीदारी है तो टीम प्रबंधन का समर्पित प्रयास भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। डीसी सीआई महासचिव रविकांत चौहान के शानदार नेतृत्व की भी बड़ी भूमिका है।
भारतीय राष्ट्रीय दिव्यांग टीम के खिलाड़ियों के चयन के लिए कई टूर्नामेंट आयोजित किए गए। सबसे पहले राष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन उदयपुर में अक्टूबर में किया गया और विभिन्न प्रांतों की टीम में से 54 दिव्यांग खिलाड़ियों का चयन किया गया। फिर दिसंबर में जयपुर में चैलेंजर ट्रॉफी का आयोजन किया गया और 54 में से 17 दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ियों का चयन किया गया। इन खिलाड़ियों ने कोलंबो की पी डी चैंपियन ट्रॉफी में इंग्लैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका की टीम को पराजित किया।
इन विभिन्न टूर्नामेंटों के सफल आयोजन में डीसीसीआई महासचिव रविकांत चौहान के कुशल और शानदार प्रबंधन की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने संसाधनों और फिटनेस आदि के प्रबंधन में किसी चीज की कमी नहीं रहने दी। साथ ही कोलंबो में पी डी चैंपियन ट्रॉफी के दौरान प्रारंभिक मुकाबले में इंग्लैंड टीम से शिकस्त खाने के बाद जब भारतीय टीम हताश हो गई थी तो उन्होंने अपने प्रेरणा द्वारा भारतीय दिव्यांग टीम के जुनून और हौंसले को ऊर्जा दिया और हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने इतिहास रच दिया। डीसीसीआई महासचिव रविकांत चौहान ने जैसे रावण की लंका को हनुमान ने जलाया था, वैसे ही भारतीय दिव्यांग खिलाड़ियों को ऊर्जस्वित, प्रेरित कर कोलंबो फतह की पृष्ठभूमि तैयार की।
कोलंबो में पीडी चैंपियन ट्रॉफी के दौरान कुछ भारतीयों दिव्यांग खिलाड़ियों ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया। मुंबई के विक्रांत केनी ने टीम कप्तान के तौर पर टीम को शानदार नेतृत्व प्रदान किया। पहली बार अंतराष्ट्रीय स्पर्धा में शिरकत कर रहे राजेश कन्नूर ने पहले ही मैच में शतक ठोका। अयोध्या, उत्तरप्रदेश के राधिका प्रसाद के बॉलिंग ने भी कमाल ढाया। मध्यप्रदेश के राजेश भदौरिया ने विकेटकीपिंग में शानदार भूमिका निभाई।हरियाणा के नरेंद्र मांगोरे का हरफनमौला प्रदर्शन भी लाजवाब रहा। जम्मू और कश्मीर के माजिद मार्गे ने मध्यक्रम की बल्लेबाजी को जबरदस्त मजबूती प्रदान किया।
टीम प्रबंधन में जहां राजस्थान के रणजी टीम के कप्तान रहे हेड कोच रोहित जलान ने शानदार कमान संभाली वहीं भारतीय टीम में सहायक कोच रहे रवि पाटिल ने भी भारतीय दिव्यांग टीम के प्रबंधन, प्रशिक्षण में सराहनीय भूमिका निभाई। बीसीसीआई नेशनल अकादमी और भारतीय महिला क्रिकेट टीम के ट्रेनर रहे रामस्वरूप सैनी ने टीम के फिजिकल फिटनेस पर समर्पित तरीके से ध्यान रखा। वीडियो एनालिस्ट संकेत खांडेकर ने भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के रणनीति निर्धारण में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने प्रतिस्पर्धी टीम की बारीकियों को परखा और अपनी टीम को मारक रणनीति निर्धारण में बड़ी भूमिका निभाई। फील्डिंग कोच रोहित शर्मा ने प्रशिक्षण द्वारा क्षेत्ररक्षण को मजबूती प्रदान किया। भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के फिजियो डॉक्टर मयंक पुष्कर ने बारीकी से खिलाड़ियों पर ध्यान दिया। टीम प्रबंधन में अविनाश शर्मा और धीरज हार्डे की भूमिका बेहद सराहनीय रही।
इस तरह से समन्वित, सुनियोजित, सुव्यवस्थित रणनीति के साथ भारतीय दिव्यांग क्रिकेट रणबांकुरों ने कोलंबो में अंतराष्ट्रीय स्पर्धा में विजय श्री हासिल करके भारत की प्रतिष्ठा के गौरव को बढ़ाया है। साथ ही यह विश्वास भी दिलाया है कि भारतीय दिव्यांग खिलाड़ी अपने हौंसले और जुनून के बल पर भविष्य में भी इतिहास रचते रहेंगे।