बिहार न्यूज़ लाइव नालंदा डेस्क: बिहारशरीफ। एक ऐसी जानलेवा बीमारी जिसका नाम सुनते ही रुह फाख्ता हो जाती है। बीमारी से पीड़ित तो पीड़ित रोगी के अलावे परिजन भी बीमारी का नाम सुनते सकते में आ जाते हैं।जी हां,इस बीमारी का नाम है -डेंगु , जिसमें प्लेटलेट्स लेबल 100सी एम एम से भी काफी कम हो जाता है।बुखार के लक्षण से
शुरूआत होने वाली इस बीमारी में कमजोरी ज्यादा होती है।
लखीसराय जिले के कोनीपार निवासी, जो मुंगेर जिले के धरहरा अस्पताल में कार्यरत डा एन के मेहता हैं ।उन्होंने एक भेंट वार्ता में बताया कि डेंगू से निपटने के लिए बेशक कोई समुचित दवा का
ईजाद नहीं हो पाया है, परन्तु डेंगू से पीड़ित अधिकांश रोगी दो से तीन दिन में सिर्फ बुखार की साधारण दवा पारासीटामोल के सेवन से ठीक होते देखा गया है। हालांकि उन्होंने ने बताया कि दवा का सेवन चिकित्सक के देखरेख में ही करना चाहिए।
डा एन के मेहता ने बताया कि ऐडेस एजेस्टी मच्छर डेंगू को फ़ैलाने का कारक बनता है, जो घर के अंदर नहीं ,बल्कि खुले स्थलों पर निवास करता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी बीमारी में बचाव हीं कारगर उपाय यानि प्रीवेंशन इज वेटर दैन ट्रीटमेंट माना गया है। इससे बचने के लिए बाहर निकलने पर शरीर को सम्पूर्ण रुप से शरीर को कपड़े से ढक कर निकलने चाहिए। हालांकि डेंगू के दो क्वालिटी में एक साधारण एवं दुसरा हेमोरेजिक डेंगू है जिसमें अंदरुनी अंगों से खुन का स्राव होने लग जाता है।
चमड़े का लाल हो जाना,उसपर चकत्ते उभरना, पैखाना लाल रंग मिला होने जैसे लक्षणों में हेमोरेजिक डेंगू प्रमाणित करता है ,जिसका इलाज सकुशल चिकित्सक के देखरेख में यथाशीघ्र करवाने चाहिए।वैसे बुजुर्गो को माने तो डेंगू का ईलाज में पपीते के पत्ते का काढा का इस्तेमाल अत्यंत हीं लाभकारी माना गया है।
बिहारन्युज/प्रमोद कुम
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