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विश्वसनीयता और सकारात्मकता ही पत्रकारिता में नई ऊर्जा का करेंगे संचार : डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर अयोध्यापुरी में परिचर्चा आयोजित

सिवान। वर्तमान डिजिटल क्रांति के दौर में सब कुछ बदलता जा रहा है। हर हाथ में एंड्रॉयड फोन और सोशल मीडिया के प्रसार से खबरों के प्रसार में तीव्रता तो आई है लेकिन विश्वसनीयता का मानदंड एक चुनौती बन गया है। खबरें लोकप्रियता और व्यूज के आधार पर परोसी जा रही है, जिससे खबरों से नैतिक मूल्य और सकारात्मकता की खुशबू गायब हो रही है। अगर पत्रकारिता को सही अर्थों में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बनना है तो विश्वसनीयता और सकारात्मकता के संदर्भ में पत्रकारिता जगत को विशेष प्रयास करने होंगे। ये बातें वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने गुरुवार को हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में सिवान के अयोध्यापुरी में आयोजित परिचर्चा में कही। इस अवसर पर कई छात्र और स्थानीय लोग उपस्थित थे।

डॉक्टर पाठक ने कहा कि पहले हिंदी अखबार उदंड मार्तंड के 1826 में आज के दिन प्रकाशन से लेकर पूरे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी पत्रकारिता ने राजनीतिक चेतना के संचार में अहम भूमिका निभाई और स्वाधीनता आंदोलन के लिए मजबूत आधार को तैयार किया। हालांकि आज के दौर में बेहतर तकनीकी सुविधा के बावजूद खबरों के चयन में व्यवसायिकता को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। फेक न्यूज और पेड न्यूज के दौर में पत्रकारिता की विश्वसनीयता एक बड़ी चुनौती बन गई है।

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डॉक्टर पाठक ने कहा कि ऐसा नहीं है कि स्तरीय खबरों के पाठक मौजूद नहीं है। स्थानीय स्तर पर देखा जा रहा है कि विशेषकर किसी जिले के स्थापना दिवस या जिले के किसी विभूति के जयंती समारोह और पुण्यतिथि पर भी भी विशेष खबरें प्रकाशित नहीं की जा रही है, जो पत्रकारिता का अनिवार्य दायित्व है। पत्रकारिता का काम सिर्फ मनोरंजन की खबरें देना कभी नहीं रहा। आम जन की जागरूकता और जानकारी बढ़ाना भी पत्रकारिता का ही दायित्व है।इस अवसर पर डॉक्टर पाठक ने कहा कि नकारात्मक खबरें नकारात्मकता के वातावरण को सृजित करती हैं। इसलिए पत्रकारों को ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक खबरें, जो सकारात्मकता का संचार करें, प्रेरणा का संचार करें, उसे ज्यादा तवज्जो देने से समाज में सकारात्मकता का संचार होगा।

डॉक्टर पाठक ने कहा कि तकनीकी प्रगति के कारण समय बहुत तेजी से बदल रहा है। आज बस एक क्लिक पर पत्रकार बना जा सकता है। विश्वसनीयता के गंभीर संकट और नकारात्मकता के कलेवर में सिमटती जा रही पत्रकारिता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में बड़ी चुनौतियों का सामना करने जा रही है। पत्रकारिता को विश्वसनीय और सकारात्मक बनाने की रणनीति कार्ययोजना पर बात करना बेहतर है न कि सिर्फ पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति पर रोना।

डॉक्टर पाठक ने कहा कि पत्रकारिता को विश्वसनीय बनाने के लिए कंटेंट के वैल्यू एडिशन की दरकार है। फटाफट खबरों के प्रवाह की जगह पर थोड़ा संभलकर सावधानीपूर्वक खबरों के प्रवाह को बढ़ावा देना होगा। छोटी छोटी सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक उपलब्धियों को महत्व देना होगा। हर विशेष दिवस पर विशेष खबरों का प्रकाशन करना होगा। संबंधित स्थान के मजबूत पक्ष, कमजोर पहलुओं, संभावनाओं पर विचार मंथन करना होगा। तभी पत्रकारिता में सकारात्मकता की बयार बह सकती है।

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