*पुष्कर मेला:फिर से 14 से 27 नवम्बर तक ,सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे
*हर साल की तरह ही भरेगा पुष्कर मेला
*पांच दिन होंगी पशु प्रतियोगिताएँ
*मेले का समापन 27 नवंबर को
* पुष्कर मेला का होगा तीन चरण
बिहार न्यूज़ लाईव पुष्कर/अजमेर डेस्क: (हरिप्रसाद शर्मा) आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इंटरनेशनल पुष्कर मेले की अवधि घटाने को लेकर इंडियन टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन और स्थानीय नागरिकों द्वारा लगातार विरोध के चलते जिला प्रशासन ने मेला री-शेड्यूल किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब मेला 14 से 27 नवंबर तक उसी स्वरूप में भरेगा जैसे हर साल भरता है। टूर ऑपरेटर्स द्वारा चुनाव आयुक्त भारत सरकार के नाम पत्र भेजकर मेला अवधि बढ़ाने की मांग की थी ।इसके बाद राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कलेक्टर को मेले को लेकर दिशा-निर्देश दिए।.
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीर्थराज पुष्कर मेले में पाँच दिनों तक 19 से 23 नवंबर तक पशु प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। जबकि पूर्व में पशु मेला 14 से 20 नवंबर के बीच पूरा होने जा रहा था। पहला मौका था जब मेले को इतना सीमित अवधि में कर दिया गया। जो अन्तर्राष्ट्रीय पुष्कर मेला प्रशासन की भेंट चढ़ जाता, यह मेला करीब चार सौ वर्ष पुराना मेला बताया जाता है ।इसका पुष्करवासियों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा था। अन्यथा पुष्कर मेले में किसी प्रकार से संशोधन नहीं किया जाता ।
पुष्कर मेले का विधिवत कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा पर होगा। इसी दिन पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन मेला मैदान में प्रशासन द्वारा किया जाएगा। मेले के दौरान आयोजित सभी प्रतियोगिताओं के विजेता व उपविजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। मेले के समापन पर भव्य आतिशबाजी होगी।
14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल एकम् को झंडा चौकी का आयोजन होगा। 16 नवंबर को चौकियों की स्थापना होगी। 18 नवंबर को विधिवत मेला मेला में प्रशासन ध्वाजारोहण कर मेले का शुभारंभ पूजन के साथ किया जायेगा ।सफेद चिट्टी, 19 नवंबर को पशुओं का रवन्ना व गीर गाय प्रदर्शनी का आयोजन होगा। जबकि कार्तिक शुक्ल ग्यारस से चतुर्दशी तक 23 से 26 नवंबर के बीच प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन पूर्व की तरह किया जाएगा। कार्यक्रम के तहत केमल व हॉर्स डेकोरेशन, मूंछ व पगड़ी प्रतियोगिता, देशी-विदेशियों के बीच रस्साकसी, फुटबॉल व क्रिकेट मैच सहित गीत, संगीत व नृत्य के अन्य आयोजन होंगे। संबंधित विभागों को इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए कहा गया है।
पुष्कर का 15 दिवसीय मेला तीन चरणों में होता है। पहला चरण में दीपावली के दूसरे दिन से पशु मेला शुरू होता है। इसी दिन से पशु व पशुपालकों की आवक शुरू हो जाती है। दूसरा चरण प्रशासनिक स्तर पर कार्तिक शुक्ल गोपाष्टमी से शुरू होता है। इस दिन जिला कलेक्टर मेला स्टेडियम में ध्वजारोहण कर मेले का विधिवत आगाज करते हैं।
इस दिन से खेलकूद व पशु प्रतियोगिता एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू होता है। तीसरे और अंतिम चरण के तहत धार्मिक मेला देव उठनी एकादशी को शुरू होता है। पांच दिवसीय धार्मिक मेले का समापन कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर होने वाले महास्नान के साथ होता है।
हजारों पशु एवं लाखों श्रद्धालु आते हैं
पुष्कर पशु मेले में हजारों ऊंट, घोड़े समेत विभिन्न प्रजाति के पशु आते हैं। पशुपालकों के बीच करोड़ों रुपयों का लेनदेन होता है।
लाखों श्रद्धालु सरोवर में स्नान व मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। प्रशासन की ओर से मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जाते हैं। जिसमें राजस्थानी लोक कलाकारों के साथ-साथ कई अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों को भी आमंत्रित किया जाता है।