*1985 से 5 पिलर एवं बालू के रेट कर रहा है सड़क निर्माण का इंतजार है*
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शिवहर— जिला पदाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के तबादले से बेलवा डैम निर्माण कार्य में लग सकता है ग्रहण,पूर्व जिला पदाधिकारी अवनीश कुमार सिंह,ने काफी प्रयास से बेलवा डैम का निर्माण कार्य शुरू कराया था ,उस दौरान बेलवा में आवागमन की भी परेशानी होती थी, लेकिन , डीएम श्री सिंह के प्रयास के बाद सुरक्षात्मक तटबंध पर ईंट सोलिंग एवं मिटटी भराई कर आवागमन को सुलभ बनाया था,वही श्री सिंह के तबादले के बाद बेलवा में कार्य पर ग्रहण लग गया था।
लेकिन निवर्तमान जिला पदाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता,ने बेलवा में डैम निर्माण और सड़क निर्माण को लेकर लगातार प्रयास कर रहे थे, जिसका परिणाम था कि बेलवा में डैम निर्माण कार्य अंतिम चरण में है वही सड़क के लिए भी भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हो चुका था, लेकिन उनके तबादले के बाद फिर से इस योजना पर ग्रहण लग सकता है कुछ दिन पहले ही पिपराही प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत स्टेट हाईवे 54 जो बेलवा होते हुए मोतिहारी जाती है जो बेलवा से लेकर देवापुर तक लगभग 3 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया डीएम मुकुल कुमार गुप्ता के द्वारा कराया गया था , उस दौरान,अखिलेश कुमार झा भू अर्जन विशेषक जल संसाधन विभाग पटना,अनुमंडल पदाधिकारी इश्तियाक अहमद,अपर समाहर्ता कृष्ण मोहन,अंचलाधिकारी पुष्प लता कुमारी,मोतिहारी जिला से बागमती विभाग के कार्यपालक अभियंता शशि कुमार चौधरी,ने अधिकारियों के साथ बेलवा में सड़क निर्माण को लेकर निरीक्षण, किया गया था 30 एकड़ भूमि का अधिग्रहण की प्रक्रिया भी की गई थी।
ज्ञात हो कि 40 वर्षों से बेलवा का सड़क बाधित होने कारण आने जाने वाले को नदी किनारे बालू से गुजरना पड़ता है बाढ़ एवं बरसात के दिनों में आवागमन बंद हो जाता है जहां पर सरकार के द्वारा आवागमन के लिए प्रतिवर्ष कुछ ना कुछ कार्य होता ही रहता है।बेलवाघाट में 4 दशक से पुल का निर्माण लंबित है। बेलवा का दर्द अब नासूर बन गया है। जबकि, 4 दशक पूर्व बने पांच पिलर व्यवस्था की नाकामी का दर्द बयां करता है।हमेशा बेलवा घाट में पुल निर्माण चुनावी मुद्दा बनता है। बताते चलें कि शिवहर को पूर्वी चंपारण जिले को जोड़ने वाली बागमती पुरानी धार पर बेलवा घाट में पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा की पहल पर पुल की स्वीकृति मिली।वर्ष 1985 में बेलवाघाट में पुल निर्माण के लिए तीन एकड़ जमीन अधिगृहित किया गया और चार करोड़ की लागत से पुल निर्माण की शुरूआत भी हुई। इसी बीच नदी ने धारा बदल दिया।
इसके चलते काम रूक गया। तबतक निर्माण एजेंसी ने पांच पिलर बना लिया था।इसके बाद वर्षों तक पुल निर्माण की दिशा में कोई पहल नही हो सकी।बरसो बाद जब बेलवा में डैम निर्माण एवं मुख्य सड़क की पहल कर कार्य में पूर्व डीएम अवनीश कुमार सिंह के द्वारा तेजी लाई गई थी तीन किमी में भूमि अधिग्रहण नहीं होने के चलते पेंच फंस गया।
मुआवजे को लेकर कुछ लोग कोर्ट चले गए।शिवहर का पूर्वी चंपारण जिले के ढ़ाका से संपर्क भंग है। उधर, पुल ही नही यहां सड़क भी बड़ी समस्या है। शिवहर-ढ़ाका पथ में लगभग तीन किलोमीटर भाग में सड़क बनाने के लिए सर्वे भी 35-40 साल से अटकाया। इधर, जर्जर तटबंध और पुल के अभाव में हर साल नदी कयामत बरपाती है। वर्ष 1985 में बेलवा बांध के टूटने के बाद हाहाकार मच गया था। तब से अब तक हर साल बाढ़ के दौरान बेलवा, नरकटिया गांव व इनरवा समेत दर्जनों गांवों की हजारों की आबादी बाढ़ का कहर झेलती है।
डेम निर्माण भूमि अधिग्रहण की कार्य में डीएम मुकुल कुमार गुप्ता के द्वारा भी तेजी लाई परंतु इन के तबादले से अब बेलवा में हो रहे कार्य प्रक्रिया मे फिर से ग्रहण लग सकता है।अब यह सड़क निर्माण प्रक्रिया कितने रंग लाती है।
*संजय गुप्ता/ शिवहर*