वैदिक संगोष्ठी तीसरा दिन,
वेद और व्याकरण जाने बिना मानव जीवन निष्फल है-आनंद
व्याकरण भाषा को अनुशीलन करता है-उमेश
वेद मात्र श्रवन से मनुष्य का होता है कल्याण -चंद्र कांत शुक्ला
गुण और कर्म से ही वर्ण का होता है निर्धारण: मिश्र
फोटो 01 02 सम्बोधित करते अतिथि एवं उपस्थित विद्वतजन
बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क: छपरा कार्यालय। स्थानीय भरत मिश्र संस्कृत महाविद्यालय और सांदीपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान ,उज्जैन के तत्वावधान में आयोजित त्रि दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व विधान परिषद प्रत्याशी और समाजसेवी आनंद पुस्कर ने कहा कि मेरे पिता केदार नाथ पांडेय आजीवन संस्कृत की सेवा किए और मैं उन्हीं के बताए मार्गो पर चल रहा हूं।वेद देव की भाषा है वेद जाने बिना मनुष्य का जीवन असफल है।उन्होंने प्राचार्या डॉ.आभा कुमारी को धन्यवाद दिया कि भारत में यह पहला कार्यक्रम है जिसमें देश भर से संस्कृत के विद्वान आए हुए है और वेद और व्याकरण पर विषद चर्चा हुई।
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ,दरभंगा के पूर्व कुलपति उमेश शर्मा ने कहा कि व्याकरण वेद का एक अंग है साथ ही में यह भाषा का अनुशीलन करता है।
व्याकरण के बिना वेद में सही उच्चारण संभव नहीं है।उन्होंने कहा कि संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी है और इसे सभी भाषाओं के साथ जोड़कर देखना चाहिए।उन्होंने छपरा के लोगो से अनुरोध किया कि संस्कृत को भोजपुरी के साथ जोड़ना जरूरी है।उन्होंने बताया कि कॉन्वेंट में पढ़ने वाला बच्चा माता पिता को कभी आदर नही कर सकता है।विदेशो में कॉनेन्वेंट में अनाथ बच्चों को पढ़ाया जाता है और हमारे भारत में कॉन्वेंट में पैसे वाले के बच्चे पढ़ते है।आज ये सब वेद से विमुख होने का प्रमाण है।
छपरा के महान साहित्यकार शंभु कमलाकर मिश्र ने कहा कि जो वेद को जाने वही ब्राह्मण है। जन्म से सभी शुद्र होते है।गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि गुण और कर्म से ही वर्ण का निर्धारण किया जाता है।संस्कृत के बारे में बताया कि संपूर्ण संस्कृत वांग्मय राष्ट्र पर आधारित है।
उन्होंने भरत मिश्र के जीवन चरित्र पर कहा कि आज उनकी कृति से छपरा में एक विद्यालय सोहम संस्कृत उच्च विद्यालय और भरत मिश्र महाविद्यालय संस्कृत के प्रचार प्रसार में बिहार ही नहीं भारत में अपना प्रमुख स्थान बनाए हुए है।कार्यक्रम के दौरान प्रिंट और एल्ट्रोनिक मीडिया के लोगो को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
पंचम सत्र में मुख्य अतिथि के रूप मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अवध किशोर मिश्र,विशिष्ठ अतिथि के रूप में शंभू कमलाकर मिश्र, अतिथि के रूप में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य चंद्र कांत शुक्ल ने अपना वैदिक विचार प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय की प्राचार्या ड़ॉ. आभा कुमारी ने इस कार्यक्रम के लिए सांदीपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के अखिलेश्वर मिश्र,महाविद्यालय के आचार्य डॉ अम्बरीष कुमार मिश्र,ड़ॉ सर्वेश रमण तिवारी,प्रोफेसर विनोद पांडेय,प्रोफेसर निशा शर्मा,प्रोफेसर विमलेश सिंह,समाजसेवी सुधांशु शर्मा,सर्वेश कुमार पद्मनाभ ,नीलेश कुमार तिवारी लिपिक विनोद कुमार,आदेशपाल प्रभावती देवी सहित महाविद्यालय और विद्यालय के सभी कर्मियों के प्रति आभार जताया। साथ ही इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र और छात्राओं के प्रति आभार जताया।सत्र का संचालन जय प्रकाश विश्विद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. आशुतोष कुमार द्विवेदी ने किया। इस मौके पर आचार्य बद्री नारायण पांडेय,ड़ॉ दिवांशु कुमार,जितेंद्र सिंह ,सुरेश कुमार चौबे सहित कई गणमान्य व बुद्धिजीवी ,विद्यार्थी उपस्थित थे।