*शाहबाज सिर्फ ढाई साल
*अन्य प्रसिद्ध घोड़े दबंग, भारत ध्वज और नागेश्वर भी लेकर आए
(हरिप्रसाद शर्मा ) पुष्कर/ अजमेर:विश्वविख्यात पुष्कर पशु मेले में इस बार सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बना है ‘शाहबाज’ नाम का घोड़ा, जिसकी कीमत 15 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह घोड़ा चंडीगढ़ के घोड़ा पालक गैरी गिल का है। गिल ने बताया कि शाहबाज सिर्फ ढाई साल का है और अब तक कई शो में विजेता रह चुका है।
रेतीले धोरों पर सजा देश का सबसे बड़ा और विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला इस बार भी अपनी भव्यता और अनोखे आकर्षण के लिए सुर्खियों में है। देश के कोने-कोने से आए पशुपालकों और व्यापारियों के बीच लाखों-करोड़ों का लेन-देन हो रहा है। इसी भीड़ के बीच इस बार मेले का सबसे बड़ा आकर्षण बना हुआ है 15 करोड़ रुपये की कीमत वाला घोड़ा ‘शाहबाज’, जो अपनी शानदार कद-काठी और रिकॉर्ड जीतों के कारण लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
*पंजाब के मशहूर पशुपालक गैरी पहुंचे 40 से ज्यादा घोड़े लेकर
पंजाब के रहने वाले प्रसिद्ध पशुपालक गैरी गिल इस बार भी अपने 40 से ज्यादा घोड़ों के साथ पुष्कर मेला पहुंचे हैं। हर साल की तरह इस बार भी उन्होंने अपने बेहतरीन और महंगे नस्ल के घोड़ों का प्रदर्शन किया है। लेकिन इस बार सबकी नजरें उनके सबसे खास घोड़े ‘शाहबाज’ पर टिकी हैं। गैरी ने बताया कि शाबाज अब तक 6 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर के शो जीत चुका है और ब्रीडिंग के लिए इसकी डिमांड काफी ज्यादा है। शाहबाज की हाइट करीब 65 इंच है और एक बार ब्रीडिंग के लिए 2 लाख रुपये तक की कीमत ली जाती है।
*9 करोड़ तक मिल चुकी ऑफर, अब 15 करोड़ की मांग
गेरी ने बताया कि अब तक 9 करोड़ रुपये तक की कीमत शाहबाज के लिए ऑफर मिल चुकी है, लेकिन उन्होंने इसकी कीमत 15 करोड़ रुपये तय की है। उनका कहना है कि यह घोड़ा न सिर्फ रूप-रंग में बेहतरीन है, बल्कि अपनी चाल, गति और शो प्रदर्शन के लिए भी अद्वितीय है। शाहबाज के साथ गैरी अपने अन्य प्रसिद्ध घोड़े दबंग, भारत ध्वज और नागेश्वर भी लेकर आए हैं, जो मेला परिसर में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
*रेतीले धोरों पर सज चुकी है पशुओं की सबसे बड़ी मंडी
पुष्कर के रेतीले धोरों पर इस समय देश-विदेश के पशुपालकों की भीड़ उमड़ी हुई है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक और मेला अधिकारी डॉ. सुनील घीया के अनुसार, तक मेले में 3021 पशु दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें 2102 घोड़े, 917 ऊंट, 1 गौवंश और 1 भैंस वंश शामिल हैं। इन पशुओं में से 234 पशु राजस्थान के बाहर से आए हैं। केवल रविवार को ही 1500 से ज्यादा घोड़ों की आवक दर्ज की गई, जबकि 184 ऊंट पहुंचे।
*खुले आसमान के नीचे चल रहा करोड़ों का व्यापार
मेले में सुबह से देर रात तक पशुओं की खरीद-फरोख्त का सिलसिला जारी है। खुले आसमान के नीचे पशुपालक और व्यापारी लाखों-करोड़ों के सौदे कर रहे हैं। पशुपालन विभाग ने पशुओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की है। मेले के पहले ही हफ्ते में ‘शाहबाज’ जैसे करोड़ों की कीमत वाले घोड़ों के आने से पुष्कर मेला एक बार फिर देश-विदेश के सैलानियों और पशुपालकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।
