आनंद मोहन की रिहाई के लिए नीतीश सरकार ने बदल दिए नियम, IAS कृष्णैया मर्डर केस में सजायाफ्ता हैं बाहुबली पूर्व सांसद
बिहार न्यूज़ लाइव / इस वक्त की खबर बिहार से सामने आ रही है जहां उम्र कैद की सजा मिली आनंद मोहन को अब उनके जीवन में कुछ किस्मत चमकती हुई दिखाई दे रही है! जी हां आपको बता दें बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। बिहार के सरकार के एक नोटिफिकेशन से ऐसा ही लगता है। जेल से रिहाई के लिए नियम को बदल दिया गया। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन सजायाफ्ता हैं। फिलहाल वो सहरसा के जेल में बंद हैं। मगर अब नए नियम के मुताबिक उनकी जेल से रिहाई हो सकती है।
बिहार के गृह विभाग (कारा) की ओर से एक नोटिफिकेशन 10 अप्रैल को ही जारी किया गया था। मगर मीडिया तक ये चिट्ठी अब पहुंची। जेल से रिहाई के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। इस अधिसूचना में कहा गया है इस अधिसूचना पर बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव के दस्तखत है और सभी जरूरी विभागों समेत सभी जिलाधिकारियों को भेजा गया है। कानून के जानकारों ने मीडिया से कहा कि संशोधन करके उस वाक्यांश को हटा दिया गया है, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था। नोटिफिकेशन के बाद से अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की कैटेगरी में नहीं गिना जाएगा, बल्कि ये एक साधारण हत्या मानी जाएगी।
बिहार सरकार के नए अधिसूचना से पूर्व सांसद आनंद मोहन के जेल रिहाई अब आसान हो जाएगी, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी। अब इसे विलोपित (हटा देना) कर दिया गया है। राज्य सरकार की रिमिशन (परिहार) की पॉलिसी-1984 में 2012 में दो बड़े बदलाव किए गए थे। इसके तहत पांच श्रेणी के कैदियों को नहीं छोड़ने का प्रावधान शामिल था। जिसमें एक से अधिक मर्डर, डकैती, बलात्कार, आतंकवादी साजिश रचने और सरकारी अफसर की हत्या के दोषी होंगे। मगर सरकारी अफसर वाली बाध्यता को समाप्त कर दिया गया। 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर जिले में जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी.
कृष्णैया की पीटकर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे। एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया। मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई। तब कृष्णैया मात्र 35 साल के थे।
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