बिहार न्यूज़ लाइव सारण डेस्क: छपरा ।
जेपी की जन्मस्थली सिताबदियारा में आयोजित भोजपुरी समागम 2023 रविवार की देर रात शानदार कवि सम्मेलन के साथ रविवार की देर रात संपन्न हुआ। इसके पूर्व समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने भोजपुरिया समाज की समाप्त हो रही उनूठी संस्कृति पर चिंता जाहिर की।
उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने के पूर्व हमें अपनी विरासत और संस्कृति को बचाना अधिक आवश्यक है। चरित्र और संकल्प को हमारा समाज खो रहा है। इसे नहीं बचाया गया तो दूनिया में स्थापित अपनी पहचान को हम खो देंगे। उन्होने यह भी कहा कि अपने श्रम और काबलियत से दूनिया के विभिन्न क्षेत्रों में हम भोजपुरिया लोगों ने अपनी पहचान स्थापित की है। यह पहचान ही हमारी धरोहर है। बाजारी करण की दौर में आर्थिक उन्नति के साथ यह पहचान खोते जा रहे हैं जो चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि हम भोजपुरिया लोग अब उतने ईमानदार नहीं रहे। बेईमानी चुनने वाला समाज आखिर अपने को कैसे मूल्यवान बना सकता है। समापन समारोह को आईजी जेपी सिंह, मोहन सिंह, प्रो पृथ्वीराज सिंह, स्वंय प्रकाश आदि ने संबोधित किया।
*साहित्यकारों ने संगम पर किया जलसत्याग्रह*
समागम के दूसरे दिन की सुबह बिहार और यूपी के विभिन्न जिलों के अलावें भोजपुरी साहित्यकारों, कवियों और कलाकारों ने जलसत्याग्रह किया।
सिताबदियारा गांव के पास गंगा-सरयूग के संगम पर करीब दो घंटे के जलसत्याग्रह में उन्होंने कहा कि भोजपुरिया भू-भाग वराणसी में नरेन्द्र मोदी को मां गंगा ने बुलाया था वैसे ही जेपी के गांव में हमें मां गंगा व सरयू ने बुलाया है। हम इस संगम के पानी में शपथ लेते हैं कि भोजपुरी भाषा और भोजपुरिया समाज के हक को हासिल करने के लिए हम किसी भी हद दक जाने में नहीं हिचकिचाएंगे।
उन्होंने भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने, भोजपुरी भाषा-भाषी क्षेत्र के संभावित पर्यटन स्थलों के विकास, भोजपुरी चित्र कला को सरकारी संरक्षण और संवर्धन, भोजपुरिया इलाके की कृषि को उद्योग का दर्जा और मेहनतकश भोजपुरिया लोगों के आर्थिक उन्नति के लिए नए मार्ग खोलने की मांग उठाई। नेतृत्व समागम के मुख्य संयोजक प्रो पृथ्वीनाथ सिंह, सह संयोजक डाॅ अमरेन्द्र सिंह, शिवानुग्रह नारायण सिंह, बृजेश सिंह, भंवर विक्रम आदि कर रहे थे।
*साहित्यिक सत्रों में हुआ गंभीर विमर्श*
दूसरे दिन के तीन साहित्यिक सत्रों में भोजपुरी साहित्यकारों और बुद्धजीवियों ने गंभीर विचार मंथन किया। पहले सत्र का विषय मनोरंजन के नाम पर अपसंस्कृति, दूसरे का भोजपुरिया क्षेत्र में कृषि विकास और पर्यटन की संभावनाए और तीसरे का भोजपुरी की पढ़ाई और शोध की स्थिति थी और इनपर लंबी परिचर्चा हुई।
साहित्यक सत्रों को बीएचयू के हिन्दी विभागाध्यक्ष सदानंद शाही, लंगट सिंह कॉलेज के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डाॅ जयकांत सिंह जय, वाराणसी के डाॅ प्रकाश उदय, प्रो रामकुमार सिंह, जेपीयू के पूर्व कुलसचिव डाॅ अशोक कुमार यादव, दिल्ली के डाॅ संतोष पटेल, मेरठ के डाॅ विद्या सागर सिंह, दिल्ली के डाॅ हरिमोहन सिंह, शिवानुग्रह नारायण सिंह सहित अन्य भोजपुरी भाषा विद्वानों ने संबोधित किया। संचालन राणा अवधूत, स्पंदन सुमन और मोहन सिंह ने किया।
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