सारण: वैज्ञानिक संस्कार मुंडन से होता है बच्चों में तीव्र विकास जनेऊ संस्कार में भी मुंडन का रहा है विशेष महत्व.

Rakesh Gupta

 

 

डॉ विद्या भूषण श्रीवास्तव
बिहार न्यूज़ लाइव सारण  डेस्क: छपरा। सनातन संस्कृति में जितने भी रीति-रिवाज शामिल किए गए हैं, उनके पीछे केवल जरूरत ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी छिपे हैं। सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार होते हैं, जिनमें मुंडन संस्कार सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक माना जाता है। मुंडन संस्कार के पीछे एक भी तर्क दिया जाता है कि मां के गर्भ में रहने के दौरान बच्चे के बालों में कई अशुद्ध तत्व आ जाते हैं। जब तक ये अशुद्ध तत्व बच्चे के बालों में रहते हैं, बच्चे का दिमागी विकास तेजी से नहीं हो पाता है। इसलिए माना जाता है कि मुंडन के बाद से बच्चे का बुद्धि ज्यादा तेज हो जाती है।

वैदिक परम्परा काल से होता है मुंडन
वैदिक परंपराओं और मुंडन के संदर्भ में यजुर्वेद में उल्लेख मिलता है कि मुंडन संस्कार कराने से बल, आयु, आरोग्य और तेज की वृद्धि होती है। जो किसी भी शिशु के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, ऐसा करने से बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होता है।

मां की गोद में मुंडन कराने का है प्रचलन
हिंदू धर्म में मुंडन के दौरान बच्चे को मां की गोद में बिठाया जाता है। मुंडन कराते समय बच्चे को चेहर पश्चिम की तरफ रखा जाता है, जिसे अग्नि की दिशा भी कहा जाता है। इसके बाद उस्तरे की मदद से बच्चे के सिर से बाल हटाए जाते हैं। बाल हटाने के बाद बच्चे के सिर को गंगाजल से साफ करके हल्दी और चंदन का लेप लगाया है, अगर बच्चे के सिर पर उस्तरे से कोई कट लगा हो तो लेप चोट पर फायदेमंद होता है। मुंडन के बाद कुछ लोग बालों को भगवान की मूर्ति के आगे अर्पित कर देते हैं, तो कुछ लोग अपनी कुलदेवी के चरणों में बाल रखते हैं। कई जगहों पर मुंडन के बाद बालों को पवित्र नदियों में भी विसर्जित करने की मान्यता होती है।

जनेऊ संस्कार में मुंडन है विशेष महत्व
जनेऊ संस्कार के दौरान अभिजात्य वर्ग में आज भी मुंडन संस्कार कराने का विशेष महत्व है।जो पुरे विधि विधान से होता है और गीत गाया जाता है।इस अवसर पर जनेऊधारी बनने वाले किशोर का मुंडन करा कर भिक्षावृति कराई जाती है जो विद्या ग्रहण करने से जोड़ा जाता है।जनेव होने वाले किशोर को बरूआ के नाम से पुकारा जाता है।

माॅरीशस में भी संगीतमय वातावरण में होता है मुंडन संस्कार
हमारे हिंदु भारतीय संस्कार को सात समुद्र पार मारिशस में जिंदा रखा है सनातन धर्मियों। मारिशस के लोकगीतों की किताब में सहज रुप से वर्णन है। जहां भोजपुरी के पारम्परिक गायन के साथ वहां मुंडन संस्कार होता है। सुचिता रामदीन द्वारा लिखित मारीशस के लोकगीत पुस्तक में रामचरित मानस की चैपाई-चूड़ाकरन कीन्ह गुरु जाई। बिप्रन्ह पुनि दछिना बहु पाई।। से मुंडन संस्कार के महत्व को रेखांकित किया गया है। साथ भोजपुरी के पारम्परिक गीत गायन की महिमा का बखान है।

रामेश्वर गोप शिक्षक व लोकगायक
हिन्दू सभ्यता, संस्कृति का एक अतुलनीय व सुखद मुंडन संस्कार है। जिसका वर्णन करना कठिन है, पर एहसास अवश्य अवश्य किया जा सकता है। यह एक पुरानी परम्परा भी है। इस परम्परा का निर्वहन करने एवं जीवित रखने के लिए हम सभी को एक दायित्व के रूप में पूरा करना चाहिए। इससे कई अनुभूतियां भी झलकती है व मिलती भी है। शहर या ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं ओ या पुरूष मुंडल संस्कार कार्यक्रम में सक्रिय रूप से योगदान देते है और एक धार्मिक रीति-रिवाज एवं पौराणिक मान्यता के मुताबिक पूरे कार्यक्रम को सभी लोग सक्रिय होकर संपन्न कराते है। चाहे वह नाते रिश्तेदार हो या आस पास के पड़ोसी ही क्यों न हो।

कृति सहाय, गृहिणी

16 संस्कारों में मुंडन संस्कार महत्वपूर्ण
मुंडन संस्कार हिंदू धर्म में शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार बच्चे का बल, आरोग्य, तेज को बढ़ाने और गर्भवस्था की अशुद्धियों को दूर करने के लिए मुंडन संस्कार एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है। मुंडन संस्कार करवाने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि इससे शिशु की बुद्धि पुष्ट होती है, जिससे बौद्धिक विकास सही से होता है। इसके अलावा माना जाता है कि गर्भ के बालों का विसर्जन करने से बच्चे के पूर्व जन्म के शापों का मोचन हो जाता है। वैज्ञानिक कारण में नवजात बच्चे का मुंडन करवाने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि जब बच्चा जन्म लेता है तब उसके बालों में बहुत से किटाणु और बैक्टीरिया होते हैं और सिर की त्वचा में भी गंदगी होती है, जिसकी सही प्रकार से सफाई करने के लिए उन बालों को हटाया जाता है।
पं. हरेराम पांडेय संगीतज्ञ, संकटमोचन मंदिर भरहोपुर एकमा

सोलह संस्कारों में मुंडन संस्कार भी एक आता है यह हिंदू धर्म में किया जाने वाला संस्कार है,जब मां के गर्भ में 9 महीने बच्चा रहकर इस दुनिया में आता है उसके सिर पर जो बाल रहता है उसी बाल का मुंडन करवाया जाता है मुंडन का सही समय बच्चे का 1 वर्ष की आयु 2 वर्ष की आयु 3 वर्ष की आयु 4 वर्ष की आयु 5 वर्ष की आयु या 7 वर्ष की आयु भी हो सकती है।ऐसी मान्यता है कि जब शिशु गर्भ में ही रहता है

 

तो घर के बड़े बुजुर्ग भगवान से यह मन्नत मांगते हैं ईश्वर के दरबार में जाकर अपना सिर रखकर यह मन्नत मांगते हैं । भगवान के चैखट पर कि हे भगवान जब मेरे घर बच्चे का जन्म होगा तब हम आपके चैखट पर आकर बच्चे का मुंडन करवाएंगे, बच्चे के मुंडन में बहुत ही उत्साह रहता है अगल-बगल के लोग, साथी नाते रिश्तेदारों को बुलाया जाता है,घर में बड़ी बहनों बुआ दीदी को बुलाया जाता है ,बुआ एवं दीदी की बहुत ही प्राथमिकता रहती है मुंडन में क्योंकि इन्ही के आँचल में बाल रखा जाता है,और जिस धार्मिक स्थल पर या गंगा नदी के किनारे जहां मन्नत माना गया होता है

 

वहां जाते हैं और बाल का मुंडन करवाते हैं,आजकल तो जहा मुंडन होता है। वहां पर नाई भी पहले से मौजूद रहते हैं,बच्चा के सिर के बाल को पूरी तरह से नाई अपने छुरी से छिलते हैं इस केश को घर की बड़ी बहन या फुआ के आंचल में रखा जाता है,आंचल में फल मिठाई पैसा सोना चांदी का गहना कपड़ा इत्यादि अपने सामर्थ्य के अनुसार फुआ के आंचल में दिया जाता है,और जब नाई सिर के बाल को छिल देते हैं उस वालों को फुआ के आंचल में रखकर मंगल गीत गाए जाते हैं घर की महिलाएं नाचती है, गाती हैं,मंगल मनाती हैं यहां तक कि कोई कोई तो आँचल पर भी नाच करवाते है और खुशियां मनातें हैं,

 

एक साथ गीत भी बहुत सारे लोग गातें है जो दूर,दूर तक गीत गूंजती है उस गीत में से मैं एक गीत आप सभी के समक्ष रखना चाहती हूं-
आज बुआ के अचरा में केश उतरेला,आज बबुआ के हमरा मुडन होखेला इन मंगल गीतों के साथ ही मंगल कार्य का संपादन किया जाता है। फूआ आंचल में केश उतारा हुआ जो रखी रहती है मन मुताबिक वह नेग भी मांगती है जो उनका अधिकार बनता है,मन मुताबिक नेग नहीं मिलने पर रूठ भी जातीं है जब फुआ रूठ जाती हैं तो भाभी यानी जो शिशु की मां है

 

बड़े आदर और दुलार के साथ अपनी ननद को मनाती हैं और कहती हैं जब बाबू बड़ा होगा और बाबू का जब जनेव होगा तो जनेऊ संस्कार में,मैं अपने वचनों को पूरा करूंगी और आपके मन मुताबिक आपको नेग जो आप कहेंगीं मैं दूंगीं, बुआ इस प्यार और दुलार को पाकर अभिभूत हो जातीं हैं,अति प्रसन्नता व्यक्त करतीं हैं और शिशु को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद देतीं हैं, जो नाई मुंडन करते हैं उनको भी कपड़ा और पैसा मिठाई दिया जाता है, बड़ी हंसी खुशी का माहौल रहता है,सभी लोग हंसी ठिठोली करते हैं मजाक करते हैं।
प्रियंका सिंह
संगीत शिक्षिका

 

 

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