एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत दो दिवसीय कार्यशाला अयोजित
डीडीसी ने किया कार्यशाला का उद्घाटन, रोग नियंत्रण के लिये सामूहिक प्रयास पर दिया जोर
महिलाएं व किशोरी को होता है एनीमिया का अधिक खतरा, जागरूकता से बचाव संभव
बिहार न्यूज़ लाइव अररिया डेस्क: एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत दो दिवसीय कार्यशाला सह समीक्षात्मक बैठक का आयोजन मंगलवार को किया गया. जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन डीडीसी मनोज कुमार, सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह, डीआईओ डॉ मोईज, डीपीएम स्वास्थ्य संतोष कुमार, डीसीएम सौरव कुमार झा सहित अन्य ने सामूहिक रूप से किया. प्रशिक्षण में एनीमिया के कारण, इसकी पहचान व निदान को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर विस्तृत चर्चा की गई. कार्यक्रम में पोषण विशेषज्ञ रबि नारायण, पोषण पदाधिकारी संदीप घोष, स्टेट कंस्लटेंट प्रकाश सिंह, जिला समन्वयक आशुतोष कुमार द्वारा एनीमिया रोग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए समुचित जानकारी उपस्थित अधिकारी व कर्मियों को उपलब्ध करायी गयी.
*एनीमिया पर प्रभावी नियंत्रण से मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी संभव*
उपविकास आयुक्त मनोज कुमार ने जिले में एनीमिया मुक्त भारत अभियान की सफलता को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि महिलाएं व किशोरी खून के कमी की समस्या से ज्यादा ग्रसित रहती हैं. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जानकारी के अभाव में महिलाएं नियमित खान-पान में पोषक तत्वों के कमी के कारण एनीमिया की शिकार हो रही हैं. एनीमिया के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण से मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में बहुत हद तक कमी संभव है. सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि एनीमिया के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा आम लोगों को नि:शुल्क आयरन व फोलिक एसिड की दवा उपलब्ध करायी जा रही है. किशोर-किशोरियों को एनीमिया के खतरों से निजात विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है.
*विभिन्न आयु वर्ग के लोगों पर रोग का होता है अलग-अलग प्रभाव*
डीआईओ डॉ मोईज ने बताया कि अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों पर रोग के प्रभाव में अंतर होता है. एनीमिया के कारण बच्चे व किशोरों के मानसिक शक्ति का ह्रास होता है. वहीं उनका रोग प्रतिरोधात्मक इससे प्रभावित होता है. वहीं वहीं व्यस्कों में इसके कारण उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है. मांसपेशियों में दर्द, चिड़चिड़ापन, मोटापा अनियमित हृदय गति जैसे लक्षण दिखते हैं. गर्भवती महिला के मामले में समय पूर्व प्रसव, प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा रहता है. वहीं धात्री महिलाएं के लिए तनाव, अवसाद, थकान व सांस की कमी की समस्या की वजह बनता है. डीपीएम स्वास्थ्य संतोष कुमार ने कहा कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को छह समूह में विभक्त कर उन्हें विभाग द्वारा नि:शुल्क आयरन व फॉलिक एसिड की दवा उपलब्ध करायी जाती है.
*स्वास्थ्य विभाग लोगों को नि:शुल्क उपलब्ध कराती है दवा*
डीसीएम सौरव कुमार ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत 06 से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए की 01 एमएम दवा दी जाती है. 05 से 09 साल के बच्चे को सप्ताह में दो बार 01 एमएम आईएफए की दवा दी जाती तो 05 से 09 साल के बच्चों को आंगनबाडी व प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक द्वारा आईएफए की एक गुलाबी गोली खिलाई जाती है. स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आशा के माध्यम से गृह भ्रमण के दौरान दवा सेवन कराया जाता है.
वहीं 10 से 19 साल के किशोर-किशोरियों को हर सप्ताह आईएफए की एक नीली गोली, 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को हर सप्ताह आईएफए की एक लाल गोली आरोग्य स्थल पर आशा कर्मियों के माध्यम से खिलाया जाता है. वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भ के चौथे महीने के बाद व धात्री महिलाओं को प्रसव के उपरांत प्रतिदिन खाने के लिये आईएफए की 180 गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है।
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