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*जनता से किए वादे से पीछे नहीं हटूंगा, हर गलती सजा मांगती – पायलट *
* पायलट ने कहा संबंध कैसे भी न्याय नीली छतरी वाला करता
* कांग्रेस के लिए पायलट को पार्टी में बनाये रखना मजबूरी
जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा) राजेश पायलट की 23वीं पुण्यतिथि पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि मैं जनता से किए वादे से पीछे नहीं हटूंगा, हर गलती सजा मांगती है। चाहे जो हो, पीछे हटने वाले नहीं है । लेकिन राजस्थान की सियासी खलबली को लगभग विराम लग गया है ।
रविवार को सचिन ने अपने पिता राजेश पायलट की 23वीं पुण्यतिथि पर दौसा के भंडाना में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर फिर तंज कसा और कहा कि पांच साल प्रदेशाध्यक्ष रहा तो सरकार के दांत खट्टे कर दिए।
पायलट ने कहा, मैंने साल के 365 दिन वसुंधरा सरकार का विरोध किया। कभी कोई गलत बात नहीं कही, लेकिन यदि उनके खान आवंटन का मामला उठा और उसे रद्द कर दिया गया तो इसकी जांच तो होनी ही चाहिए थी।किसी ने सही कहा है कि हर गलती सजा मांगती है। हमारे आपस में कैसे भी संबंध हों, सबसे बड़ा न्याय नीली छतरी वाला करता है। आज नहीं तो कल न्याय जरूर मिलेगा। मैंने हमेशा युवाओं के हित की बात की। हमारी कुछ कमी है तो बताना चाहिए। हम भ्रष्टाचार से मुक्त राजनीति चाहते हैं। मैं इन मांगों को लेकर लड़ता रहूंगा।
पायलट के इस भाषण के बाद राजनीतिक गलियारों में यह साफ हो गया है कि अब वे नई पार्टी नहीं बनाएंगे। बल्कि कांग्रेस में ही रहकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। सचिन के करीबी और कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी मानना है कि सचिन की मजबूरी है कि अब उन्हें कांग्रेस में ही रहना पड़ेगा, वहीं कांग्रेस के लिए भी पायलट को पार्टी में बनाए रखना बेहद जरूरी है। पायलट के समर्थक विधायक भी नहीं चाहते हैं कि वे कांग्रेस छोड़ें। खासकर कर्नाटक के नतीजों के बाद कांग्रेस ने जिस तरह नई संभावनाएं जगाई हैं, उसे देखते हुए इस वक्त कांग्रेस को छोड़ना और नई पार्टी बनाना किसी भी तरह सही नहीं होगा।
लोगों का मानना है कि राजस्थान मैं अशोक गहलोत और सचिन पायलट कांग्रेस के जाने माने चेहरे हैं। गहलोत के बाद पायलट दूसरे नंबर पर आते हैं। उन्होंने पार्टी छोड़ने जैसा निर्णय इसलिए नहीं किया जा सकता है , क्योंकि वे जानते थे कि अगर वे नई पार्टी बनाने का फैसला लेते हैं तो पिछले 20 वर्षों में जो समर्थक उन्होंने जुटाए वे उनसे अलग हो जाएंगे।
47 वर्षीय पायलट करीब 27 साल से कांग्रेस में अहम भूमिका में हैं। अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वे केंद्रीय मंत्री से लेकर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष से लेकर उपमुख्यमंत्री जैसे अहम पदों पर भी रहे चुके हैं। बीते कुछ सालों में पायलट ने पूर्वी राजस्थान ही नहीं, प्रदेश भर में अपने समर्थकों की फौज खड़ी की है।
पायलट राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में भी युवा नेता की छवि के हिसाब से अपनी पहचान रखते हैं। कांग्रेस पार्टी में बने रहने से उनका जो व्यक्तिगत प्रभाव बना हुआ है, वह नई पार्टी बनाने के बाद समर्थकों के नजरिए से उतना ही बना रहे, इसमें संशय है। कांग्रेस से दूर होते ही निश्चित रूप से पायलट अपने समर्थकों को भी खुद से दूर कर देंगे।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान सियासी बवाल को थामना चाहती है। दूसरी ओर पायलट अपने मुद्दों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में आलाकमान की पूरी कोशिश है कि पायलट को मना लिया जाए। इसके लिए एक फार्मूला तैयार किया गया है, जिसमें माना जा रहा है कि दिल्ली में हुई बैठक के बाद वेणुगोपाल ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही है। उसके पीछे कहीं न कहीं पायलट को एक बार फिर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष का ताज पहनाने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने इसकी लगभग पूरी तैयारी कर ली है। ऐसे में इसे कांग्रेस में फैले बवाल और पायलट की नई पार्टी की घोषणा को रोकने से जोड़ा जा रहा है।
कार्यक्रम में अनेक कांग्रेस के क़द्दावर नेता, पार्षद, राजस्थान सरकार के मंत्री, विधायक आदि उपस्थित थे ।
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